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SCO Summit 2023: बिलावल भारत में, लेकिन आपसी सम्बन्ध सुधरने के संकेत नहीं

Bilawal Bhutto India Visit: पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने पहले भी कहा था और भारत रवाना होने से ठीक पहले भी कहा कि उनकी यात्रा को एससीओ के संदर्भ में देखा जाना चाहिए जो आठ सदस्यीय राजनीतिक और सुरक्षा ब्लॉक है जिसमें रूस और चीन भी शामिल हैं।

Neelmani Lal
Published on: 4 May 2023 6:51 PM IST
SCO Summit 2023: बिलावल भारत में, लेकिन आपसी सम्बन्ध सुधरने के संकेत नहीं
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Pakistan Foreign Minister Bilawal Bhutto (Photo: Social Media)

Bilawal Bhutto India Visit: गोवा में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी भारत पधारे हैं। दस साल से ज्यादा समय के बाद पाकिस्तान का कोई विदेश मंत्री भारत आया है। दोनों देशों के बीच सम्बन्ध अच्छे नहीं हैं और पाकिस्तान ने इन्हें सुधारने के लिए कोई ठोस पहल भी नहीं की है, यहाँ तक कि विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भी भारत यात्रा से पहले स्पष्ट कर दिया कि इसे दो पड़ोसी देशों के बीच बेहतर द्विपक्षीय संबंधों के संकेत के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा हुआ है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ किसी बैठक के लिए अनुरोध नहीं किया है।

बिलावल ने पहले भी कहा था और भारत रवाना होने से ठीक पहले भी कहा कि उनकी यात्रा को एससीओ के संदर्भ में देखा जाना चाहिए जो आठ सदस्यीय राजनीतिक और सुरक्षा ब्लॉक है जिसमें रूस और चीन भी शामिल हैं। फिर भी बिलावल की भारत यात्रा को एक पहल के रूप में देखा जाएगा, हालांकि यह द्विपक्षीय संबंधों में कोई नाटकीय बदलाव नहीं ला सकता है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान ने एससीओ के महत्व को देखते हुए यह फैसला लिया है। इस यात्रा के पक्ष में जोरदार आवाजें उठ रही थीं कि पाकिस्तान को ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्रीय मंचों को नहीं छोड़ना चाहिए। आखिरी बार, 2011 में पाकिस्तान की तत्कालीन विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने भारत का दौरा किया था। उन्होंने नई दिल्ली में अपने भारतीय समकक्ष एसएम कृष्णा से मुलाकात की थी।

क्या बोले बिलावल

भारत यात्रा से पहले बिलावल ने कहा कि वह "द्विपक्षीय रूप से आकर्षक" देशों की ओर देख रहे थे जो एससीओ का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा - एससीओ परिषद की बैठक में शामिल होने का मेरा फैसला एससीओ चार्टर के प्रति पाकिस्तान की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पाकिस्तान पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि विदेश मंत्री अपनी यात्रा के दौरान अपने भारतीय समकक्ष के साथ कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं करेंगे। गोवा बैठक में महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और कुछ संस्थागत दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के अलावा, विदेश मंत्रियों की परिषद नई दिल्ली में जुलाई में होने वाली 17वीं एससीओ काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ स्टेट मीटिंग द्वारा अपनाए जाने वाले एजेंडे और निर्णयों को अंतिम रूप देगी। इस बैठक से इतर विदेश मंत्री के मित्र देशों के अपने समकक्षों से भी मिलने की उम्मीद है।

भारत ने अन्य मध्य एशियाई देशों के साथ चीन और रूस के विदेश मंत्रियों को भी निमंत्रण भेजा है। ईरान संगठन का सबसे नया सदस्य है और वह पहली बार पूर्ण सदस्य के रूप में एससीओ की बैठक में भाग लेगा। अपनी यात्रा से पहले बिलावल भुट्टो ने गठबंधन सरकार के सहयोगियों और जमात-ए-इस्लामी (जेआई) प्रमुख सहित कई राजनीतिक दलों के प्रमुखों से बातचीत की है। विदेश मंत्री ने जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) के अमीर मौलाना फजलुर रहमान, बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल (बीएनपी) के अध्यक्ष सरदार अख्तर मेंगल, मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) के संयोजक खालिद मकबूल सिद्दीकी, जमात-ए-इस्लामी (जेआई) अमीर सिराजुल हक और नेशनल पार्टी (एनपी) नेता ताहिर बिजेन्जो को फोन किया।

कुछ बिलावल के बारे में

बिलावल भुट्टो जरदारी 27 अप्रैल 2022 से पाकिस्तान के 37वें विदेश मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। वह भुट्टो परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जो पाकिस्तान का एक प्रमुख राजनीतिक परिवार है। वह पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के बेटे हैं। बिलावल 13 अगस्त 2018 को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य बने। बेनजीर के पिता और बिलावल के दादा, जुल्फिकार अली भुट्टो 1973 में पाकिस्तान के पीएम चुने गए थे, लेकिन बाद में जिया-उल-हक शासन के तहत 1979 में उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया गया और उन्हें फांसी पर लटका दिया गया। 1996 में, जब परवेज मुशर्रफ ने बेनजीर की कैबिनेट को बर्खास्त कर दिया, तो जरदारी को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। वह 2004 में रिहा हुये और 2007 तक दुबई में स्व-निर्वासन में चले गए। 1998 में बेनजीर भी स्वनिर्वासन में भी चली गईं। बाद में अमेरिका की मध्यस्थता के बाद वह मुशर्रफ के खिलाफ चुनाव में खड़े होने के लिए पाकिस्तान लौट आई। 2

7 दिसंबर, 2007 को रावलपिंडी में एक रैली से निकलते समय एक आत्मघाती विस्फोट में उनकी हत्या कर दी गई थी। उनकी मृत्यु के बाद, बिलावल भुट्टो-जरदारी को सिर्फ 19 साल की उम्र में पाकिस्तान की सबसे पुरानी लोकतांत्रिक पार्टी, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) का अध्यक्ष नामित किया गया था। पीपीपी की स्थापना जुल्फिकार ने की थी। हालाँकि 2008 के चुनावों में जरदारी को पाकिस्तान के पीएम के रूप में चुना गया था। उनके कार्यकाल को भ्रष्टाचार और कुशासन के आरोपों से चिह्नित किया गया था। 2013 में, पीपीपी को नवाज शरीफ की पार्टी, पाकिस्तान मुस्लिम लीग - नवाज (पीएमएल-एन) द्वारा सत्ता से बाहर कर दिया गया था। 2018 में सत्ता में चुनी गई इमरान खान सरकार के तहत शरीफ को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भी भेजा गया था। अब, शरीफ के भाई शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री हैं और भुट्टो जरदारी कैबिनेट में विदेश मंत्री हैं। गौरतलब है कि पिछले साल जब उन्हें कैबिनेट में चुना गया तो भुट्टो-जरदारी 33 साल की उम्र में देश के सबसे युवा विदेश मंत्री बने।

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