पाकिस्तान में शर्मिंदगी की सारी हदें पार, महिलाओं पर फेंके गए जूते-पत्थर

पाकिस्तान में कल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ‘औरत मार्च’ निकाला गया, इस दौरान मार्च में औरतों पर राजधानी इस्लामाबाद में पथराव किया गया।

Shreya
Published on: 9 March 2020 6:44 AM GMT
पाकिस्तान में शर्मिंदगी की सारी हदें पार, महिलाओं पर फेंके गए जूते-पत्थर
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पाकिस्तान में शर्मिंदगी की सारी हदें पार, महिलाओं पर फेंके गए जूते-पत्थर

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में कल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) के मौके पर ‘औरत मार्च’ निकाला गया। लेकिन इस दौरान इस मार्च में औरतों पर राजधानी इस्लामाबाद में पथराव किया गया, जिस वजह से कुछ लोग चोटिल भी हो गए हैं। यहीं नहीं पाकिस्तान के कट्टरपंथियों द्वारा इस मार्च पर जूते फेंके गए और लाठियां भी चलाई गईं। मीडिया रिपोर्ट्स में यह जानकारी सामने आई है।

'औरत मार्च' के खिलाफ खोला हुआ था मोर्चा

महिला संगठनों, मानवाधिकार संगठनों और लैंगिक अल्पसंख्यकों की ओर से अधिकार और हक के लिए निकाले गए 'औरत मार्च' के खिलाफ कट्टरपंथियों और परंपरावादियों ने पिछले कई दिनों से मोर्चा खोला हुआ था। इस मार्च पर रोक लगाने के लिए कोर्ट का भी रूख किया गया, लेकिन कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से साफ तौर पर इनकार कर दिया। इस मार्च में लगाए जाने वाले नारों को गैर इस्लामी करार देते हुए इसका विरोध किया गया। साथ ही इस पर अश्लीलता का भी आरोप लगाया गया, लेकिन इस बात को साबित नहीं किया जा सका।

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कई शहरों में निकाला गया 'औरत मार्च'

रविवार 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर पाकिस्तान के कई शहरों में हर बार की तरह इस बार भी 'औरत मार्च' निकाला गया, जिसमें काफी बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुईं। इस दौरान कई पुरूषों ने भी उनका समर्थन किया। इसके अलावा धार्मिक और परंपरावादी समूहों व दलों से जुड़ी महिलाओं ने अलग से अपना मार्च निकाला और कई जगहों पर महिलाओं ने अपने इस मार्च को 'शालीनता मार्च' बताया।

इस्लामाबाद में बिगड़े हालात

अन्य शहरों में मार्च में किसी तरह की कोई दिक्कत सामने नहीं आई, लेकिन राजधानी इस्लामाबाद में हालात काफी बिगड़ गए। एक ओर नेशनल प्रेस क्लब से 'औरत मार्च' निकाला गया और दूसरी ओर जामिया हफ्सा नाम के मदरसे की छात्राओं ने अपना अलग शालीनता मार्च' निकाला। वहीं दोनों ही एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। जिसके बाद पुलिस को उन्हें एक-दूसरे से दूर करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी।

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चलाई गईं लाठियां, फेंके गए जूते और ईंट

जब जामिया हफ्सा की छात्राओं का मार्च खत्म हुआ तो इसके बाद इसमें शामिल कुछ पुरुषों ने 'औरत मार्च' पर लाठियां फेंकने के साथ-साथ जूते, और ईंट तक फेंकीं। पाकिस्तान के प्रतिष्ठित अखबार डॉन के मुताबिक, इस हादसे में एक शख्स घायल हो गया, जबकि एक स्थानीय न्यूज चैनल में एक से ज्यादा लोगों के घायल होने की बात कही गई है। हालांकि पुलिस ने स्थिति पर काबू पा लिया।

राजधानी इस्लामाबाद में 'औरत मार्च' की आयोजकों (Organizers) ने ट्वीट कर कहा कि, 'रूढ़िवादियों ने औरत "आजादी मार्च" पर पथराव किया है जो (मार्च) शांतिपूर्ण था और है। हम इस निजाम (व्यवस्था) से चाहते हैं आजादी।'

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मिलती है जान से मारने और हत्या की धमकी

पाकिस्तान जैसे इस्लामिक देश में औरतों का अपने हक के लिए आवाज उठाना आसान नहीं। महिलाओं को धमकियां दी जाती हैं। प्रताड़ित किया जाता है और चार दीवारी से बाहर जाने से रोका जाता है। ऐसा ही पिछले साल भी हुआ था। जानकारी के मुताबिक़, पिछले साल औरत मार्च में हिस्सा लेने वाली कुछ महिलाओं को धमकियाँ मिली थी।

घर से निकलने से रोका जाता है

महिलाओं का इस बारे में कहना है कि पाकिस्तान जैसे देश में औरतों का अपने अधिकार के लिए आवाज उठाना आसान नहीं होता है। उन्हें मार्च निकालने से रोका जाता है। न मानने पर जान से मारने और रेप की धमकियाँ मिलती हैं। लेकिन वह फिर भी अपने हक के लिए लड़ेंगी।

बता दें कि पाकिस्तान में औरतों को लेकर काफी संकुचित और रुढ़िवादी सोच अपनाई जाती है। यहां महिलाओं को परदे में और चार दीवारी के अंदर रखने को कहा जाता है। हालाँकि कि देश के कई हिस्सों में अब ऐअसा कम हो गया है। लेकिन हालात अब भी उतने नहीं सुधरे हैं कि महिलाएं आजादी की सांस ले सकें।

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