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WHO की चेतावनी: दुनिया के लिए खतरा बन सकते हैं कोरोना से ठीक हुए मरीज

कई देश अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने की योजनाएं तैयार कर रहे हैं। कई देश इस बारे में विचार कर रहे हैं कि में इम्युनिटी पासपोर्ट और जोखिम मुक्त सर्टिफिकेट के आधार पर लॉकडाउन में ढील देना शुरु कर दिया जाए।

Shreya
Published on: 27 April 2020 5:52 AM GMT
WHO की चेतावनी: दुनिया के लिए खतरा बन सकते हैं कोरोना से ठीक हुए मरीज
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नई दिल्ली: कोरोना के चलते दुनियाभर के तमाम देशों में लॉकडाउन लागू किया गया है। ऐसे में दुनिया की अर्थव्यवस्था को भारी पहुंच रहा है। ऐसे में अब कई देश अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने की योजनाएं तैयार कर रहे हैं। कई देश इस बारे में विचार कर रहे हैं कि में इम्युनिटी पासपोर्ट और जोखिम मुक्त सर्टिफिकेट के आधार पर लॉकडाउन में ढील देना शुरु कर दिया जाए। हालांकि इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस कदम को पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा बताया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का क्या है कहना?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया कि दुनियाभर के तमाम देशों से ऐसे मामले सामने आ चुके है, जहां कोरोना के मरीज बीमारी से रिकवर होकर फिर से कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। ऐसे में इस बात पर कैसे यकीन किया जा सकता है कि ठीक हो चुके लोग दोबारा संक्रमित नहीं होंगे और वो अब पूरी तरह से सुरक्षित हैं।

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दुनियाभर में बढ़ सकता है कोरोना वायरस का खतरा

संगठन का कहना है कि, इस तरह के कदम से दुनियाभर में कोरोना वायरस का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही इससे लोग इम्यून को लेकर सावधानी बरतना बंद कर सकते हैं। कई देशों की सरकारें तो रिकवर हो चुके लोगों को काम पर वापस लौटने की परमिशन भी देने पर विचार कर चुकी हैं।

अभी इस बात के नहीं मिले सबूत

बता दें कि दुनियाभर में अब तक करीब 29 लाख से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। जबकि कोरोना के चलते 2 लाख लोगों की जान जा चुकी है। वहीं अभी तक इस बात का कोई पुख्ता सबूत भी नहीं मिला है कि संक्रमण से ठीक होने के बाद जिन लोगों में एंटीबॉडी विकसित हो गया है, वो दोबारा कोरोना से संक्रमित नहीं होंगे।

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ऐसे लोगों ही दोबारा आ रहे कोरोना की चपेट में

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया कि ज्यादातर मामलों में कोरोना से ठीक हो चुके मरीज दोबारा वायरस से संक्रमित नहीं हुए हैं। इस लोगों के खून में एंटीबॉडीज मौजूद है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनमें एंटीबॉडी का स्तर (लेवल) काफी कम है और वायरस उन्हीं लोगों को दोबारा अपनी चपेट में ले रहा है।

एंटीबॉडी की मौजूदगी में इम्यून सिस्टम करेगा काम?

एक निष्कर्ष यह भी पता चला कि शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम में मौजूद टी-सेल्स भी कोरोना वायरस से लड़ने में मददगार होते हैं। हालांकि अभी तक इस बात के प्रमाण नहीं मिले हैं कि शरीर में एंटीबॉडी की मौजूदगी में इम्यून सिस्टम आगे भी वायरस से लड़ने में क्षमता प्रदान करेगा।

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अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए ऐसे नियम बनाने से बचना चाहिए

इस वायरस को लेकर आए दिन कोई न कोई नई मिल रही है, ऐसे में समय के साथ दिशा-निर्देशों में बदलाव भी किया जा सकता है। वहीं अभी सभी देशों को कोरोना को दूर करने से पहले अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए ऐसे नियम बनाने से बचना चाहिए। जिन लोगों के शरीर में एंटीबॉडी विकसित हो गई है, उन लोगों को इम्युनिटी पासपोर्ट के तहत पाबंदियों में ढील देना पूरी दुनिया के लिए खतरा भरा हो सकता है।

बता दें कि कई देशों की सरकार कोरोना से रिकवर हो चुके मरीजों को 'हेल्थ पासपोर्ट' जारी करने पर विचार कर रही है। अधिकारियों का कहा थो कि जिन लोगों के शरीर में वायरस का एंटीबॉडी पाया जाएगा वो काम पर लौट सकते हैं।

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