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भूतों वाला शहर: 250 सालों तक नहीं बुझी आग, सिर्फ 7 लोग रहते उस वीराने में

 वैसे तो आज के आधुनिक दौर में कोई भूत-प्रेत को नहीं मानता है। लेकिन इस दुनिया में ऐसे से भी देश है जिन्हें भूतहा शहर के नाम से जाना जाता है। ये भूतहा शहर है पेनसिल्वेनिया के शहर सेंट्रेलिया।

Vidushi Mishra
Published on: 6 Jun 2020 1:03 PM GMT
भूतों वाला शहर: 250 सालों तक नहीं बुझी आग, सिर्फ 7 लोग रहते उस वीराने में
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नई दिल्ली। वैसे तो आज के आधुनिक दौर में कोई भूत-प्रेत को नहीं मानता है। लेकिन इस दुनिया में ऐसे से भी देश है जिन्हें भूतहा शहर के नाम से जाना जाता है। ये भूतहा शहर है पेनसिल्वेनिया के शहर सेंट्रेलिया। इस शहर की सड़कों पर दरारें पड़ी हुई हैं और सुनसान घरों में बहुत सी चीजें जली हुई दिखती हैं। कई विदेशी सैलानी यहां घूमने के लिए आते रहते हैं लेकिन शहर में जगह-जगह बोर्ड लगे हुए हैं जो सैलानियों को उन खतरनाक जगहों पर जाने से आगाह कर देते हैं। से लोगों को आगाह करते हैं। शहर का माहौल हमेशा से ऐसा भूतहा नहीं था, एक समय वो भी था जब यहां चहल-पहल बनी रहती थी। इस शहर के भुतहा होने की वजह सन् 1962 की एक घटना है, जिसने पूरे शहर को जलाकर राख में तब्दील कर दिया।

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चहल-पहल भरा शहर उजाड़ा

सेंट्रेलिया शहर में सन् 1850 में कोयले की खदानों का पता चला। देखते ही देखते यहां पर बस्तियों में लोग रहने लगे। इन लोगों में से अधिकतर खादानकर्मी और उनके परिवारवाले थे।

इसके बाद सन् 1930 में आए ग्रेट डिप्रेशन का असर सबसे ज्यादा कोयले की खदानों पर पड़ा, तब शहर आराम से चलता रहा। फिर बाद में शहर के नीचे भीषण आग लगी, जिसने इस चहल-पहल भरे शहर को उजाड़ कर रख दिया।

हालांकि आग लगने की असली वजह आज तक कोई पता नहीं लगा पाया। कई इतिहासकार इसके पीछे कई कारण बताते हैं। जैसे कोयले के खनन के बाद बने गड्ढों में तब सिटी काउंसिल के लोग कचरा जमा कर देते थे और भर जाने पर उसमें आग लगा देते।

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सुरंगें गर्म होकर जलने लगीं

सन् 1962 में भी हमेशा की तरह गड्ढों में भरे कचरे में आग लगा दी गई। हालांकि कुछ गड्ढों के नीचे कोयला अब भी जमा हुआ था। आग कचरे से होते हुए जमीन के नीचे के कोयले को दहकाने लगी और धीरे-धीरे ये आग जमीन के अंदर ही अपना विस्तार करने लगी।

जिसके बाद आग बुझाने की सारी कोशिशें हुई लेकिन कुछ भी कामयाबी हासिल नहीं हुई। जमीन के नीचे कोयले की खादानें ही और खदानों के लिए बनाई गई सुरंगें गर्म होकर जलने लगीं। जो जमीन एक के बाद एक करके फटने लगी।

जमीन का तापमान इतना बढ़ गया कि शहर के कई इलाके 900 डिग्री फैरनहाइट से भी ज्यादा गर्म हो गए। लोग गंभीर रूप से बीमार पड़ने लगे। यहां तक की हालत इतनी खराब थी कि शहर में बने घरों का आकार भी बदलने लगा।

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250 साल तक लगातार जलती रहेगी

महाभयंकर गर्मी से वो टेढ़े-मेढ़े होने लगे। खिड़कियों के रॉड पिघलने लगे। विशेषज्ञों की मानें तो सेंट्रालिया में जमीन के नीचे अभी भी इतना कोयला मौजूद है कि ये जगह करीब 250 साल तक लगातार जलती रहेगी।

अंत में कई दुर्घटनाओं के बाद सन् 1992 में शहर के लोगों को तत्कालीन सरकार ने बाहर बसाया। इससे पहले सरकार ने पूरा हिसाब लगाया कि आग बुझाने की पूरी कोशिश की जाए तो कितने पैसे खर्च हो सकते हैं।

यहां तक इस शहर का पिन कोड भी नष्ट कर दिया गया, जिससे गलती से भी वहां कोई न चला जाए। इस दौरान सेंट्रेलिया के कई लोगों ने अपनी प्रॉपर्टी बेचने की कोशिश की लेकिन कोर्ट ने इसपर सख्ती से रोक लगा दी, ये कहते हुए कि ऐसा करना मौत को दावत देने जैसा है।

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इस शहर में 7 लोग रहते

आपको एक ऐसी बात बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आप बेहद हैरान हो जाएंगे। आज भी इस शहर में 7 लोग रहते हैं। ये वे लोग हैं, जिन्होंने किसी भी हाल में अपना घर छोड़ने से मना कर दिया।

हालांकि इसपर भी भारी मुकदमे भी चले। आखिरी में कोर्ट ने तय किया कि वे सातों अपनी जिंदगी वहीं बिताएं लेकिन उनकी मौत के बाद उनके घरों का अधिकार सरकार के पास चला जाएगा। जिस पर वो वहीं रह रहें हैं।

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