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क्या वायरस से बनी हैं बैटरी? MIT प्रोफेसर ने किया ये दावा
प्रो. एंजेला बेल्शर ने ऐसे वायरस बनाए हैं, जो दुनिया में मौजूद 150 वस्तुओं के साथ अलग-अलग मिलकर बैटरी बना सकते हैं या फिर ये ऊर्जा पैदा कर सकते हैं।
नई दिल्ली: पूरी दुनि इस वक्त कोरोना वायरस यानि COVID-19 की लड़ाई लड़ रही है। इस बीच मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी MIT की बायोइंजीनियरिंक की प्रोफेसर एंजेला बेल्शर की एक थ्योरी ने उम्मीद जगा दी है। बता दें कि करीब 11 पहले साल 2009 में प्रोफेसर एंजेला बेल्शर ने एक थ्योरी पेश की थी कि वायरस से बैटरी बनाई जा सकती है। करीब 11 साल बाद उन्होंने ऐसे वायरस बनाए हैं, जो दुनिया में मौजूद 150 वस्तुओं के साथ अलग-अलग मिलकर बैटरी बना सकते हैं या फिर ये ऊर्जा पैदा कर सकते हैं।
वायरस से बैटरी बनाने वाली थ्योरी हुई सफल
बता दें कि प्रो. एंजेला बेल्शर वायरस से चलने वाली कार भी बनाना चाहती थी। हालांकि ऐसा संभव नहीं हुआ। लेकिन उनकी वायरस से बैटरी बनाने वाली थ्योरी सफल रही। प्रो. बेल्शर ने कहा कि अगर नैनो इंजीनियरिंग (Nano Engineering) के जरिए वायरस से बैटरी बनाई जाती है तो यह पूरी तरह से संभव है। उन्होंने कहा कि हम ऊर्जा को बेहद छोटी जगह में समाहित कर, उसे ज्यादा दिन चला सकते हैं।
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वायरस के साथ नैनो इंजीनियरिंग करने की आवश्यकता नहीं
हालांकि जॉन हॉपकिन्स एप्लाइड फीजिक्स लेबोरेटरी के सीनियर रिसर्चर कोंस्तातिनोस गेरासुपॉलोस ने कहा कि वायरस के साथ नैनो इंजीनियरिंग करने की आवश्यकता नहीं होती। वे खुद ही नैनो पार्टिकल्स हैं। केमिकल्स नैनो इंजीनियरिंग के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अगर बायोलॉजिकल मैटेरियल जैसे वायरस की रासायनिक प्रक्रिया से ऊर्जा पैदा होती है तो उससे बैटरी बनाई जा सकती है।
बाद में बैक्टीरिया में बदल जाता वायरस
प्रो. एंजेला बेल्शर ने एम13 बैक्टीरियोफेज वायरस के जरिए यह बैटरी बनाई है। यह वायरस सिगार के शेप का दिखाई देता है। यह वायरस बाद में बैक्टीरिया में बदल जाता है। साथ ही यह वायरस आसानी से नैनो इंजीनियरिंग के जरिए काम में लाया जा सकता है।
इससे काफी ऊर्जा पैदा होती है
प्रो. एंजेला बेल्शर ने कहा कि इस वायरस का जीनोम स्ट्रक्चर बेहद आसान है, जिसे अपनी आवश्यकता के अनुसार बदला जा सकता है। उन्होंने बताया कि अगर इसके DNA में थोड़ा बदलाव कर दिया जाए तो यह किसी खास तरह की वस्तु को समाप्त करने में सक्षम है। यानि यह नए वायरस पैदा कर सकता है। इससे काफी ऊर्जा पैदा होती है।
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इसी प्रक्रिया को तेजी से कराए जाने पर काफी अधिक मात्रा में ऊर्जा पैदा होगी। जिसे बैटरी में स्टोर किया जा सकता है। इसके लिए प्रो. बेल्शर ने जेनेटिकली मॉडिफाइड एम13 बैक्टीरियोफेज के बाहरी प्रोटीन को इस तरह बना दिया कि उससे कोबाल्ट ऑक्साइड के कण आकर्षित होने लगे। बैटरी के जिस हिस्से में ज्यादा कोबाल्ट ऑक्साइड हो, उसे इलेक्ट्रोड की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। यानी बैटरी के जिस हिस्से में कोबाल्ट ऑक्साइड है वह उसका निगेटिव प्वाइंट होता है और जहां नहीं है वह हिस्सा उसका पॉजिटिव प्वाइंट होता है।
बराक ओबामा भी यह देख दंग रह गए थे
प्रोफेसर एंजेला बेल्शर की इस तकनीक को बराक ओबामा ने भी देखी थी, जिसे देख वो हैरान रह गए थे। उसके बाद से प्रोफेसर ने वायरस से ऐसी बैटरियों को बनाया, जो हवा से चलती है। मतलब बैटरी में जब हवा लगती है तो उसमें मौजूद वायरस सक्रिय हो जाते हैं और वो बैटरी के अंदर मौजूद दूसरे तत्व को खाकर ऊर्जा पैदा करते हैं।
प्रोफेसर ने बताया कि शुरु में लोगों ने इसके लिए बेवकूफ कहा। लेकिन अब वायरस से बैटरी बनाने वाली एसेंबली को कंपनियां फंड करती हैं।
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