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अब इस बैक्टीरिया से मारा जाएगा कोरोना वायरस, शोधकर्ताओं ने की महत्वपूर्ण खोज

कोरोना वायरस को निष्क्रिय बनाने के लिए पूरी दुनिया में तमाम तरह के शोध चल रहे हैं। इस बीच शोधकर्ताओं ने दो ऐसे बैक्टीरिया की खोज की है जो खास तरह का प्रोटीन बनाते हैं।

Ashiki
Published on: 27 May 2020 5:57 AM GMT
अब इस बैक्टीरिया से मारा जाएगा कोरोना वायरस, शोधकर्ताओं ने की महत्वपूर्ण खोज
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अंशुमान तिवारी

बीजिंग: कोरोना वायरस को निष्क्रिय बनाने के लिए पूरी दुनिया में तमाम तरह के शोध चल रहे हैं। इस बीच शोधकर्ताओं ने दो ऐसे बैक्टीरिया की खोज की है जो खास तरह का प्रोटीन बनाते हैं। यह प्रोटीन कोरोना वायरस के साथ ही डेंगू और एचआईवी के वायरस को भी निष्क्रिय कर सकता है। चीनी और अमेरिकी शोधकर्ताओं ने मिलकर इन दोनों बैक्टीरिया की खोज की है और उनका कहना है कि इस प्रोटीन का इस्तेमाल एंटी वायरल ड्रग बनाने में किया जाएगा।

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इस मच्छर में मिला बैक्टीरिया

शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्हें एडीज एजिप्टी प्रजाति के मच्छर के अंदर ये बैक्टीरिया मिले हैं। जब बैक्टीरिया के जीनोम सीक्वेंस का विश्लेषण किया गया तो उसमें से निकलने वाले प्रोटीन की पहचान हुई। शोधकर्ताओं का दावा है कि यह प्रोटीन काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह तमाम तरह के वायरस को निष्क्रिय करने में पूरी तरह सक्षम है।

चीन और अमेरिकी वैज्ञानिकों का शोध

यह शोध चीन और अमेरिका दोनों देशों के वैज्ञानिकों ने मिलकर किया है। शोध में बीजिंग की शिन्हुआ यूनिवर्सिटी, एकेडमी आफ मिलट्री मेडिकल साइंस और शेंजेन डिसीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल सेंटर के शोधकर्ता शामिल रहे हैं। इसके साथ ही अमेरिका की कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने भी इस रिसर्च में मदद की है।

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पहले भी मिल चुकी है महत्वपूर्ण जानकारी

शोधकर्ताओं का कहना है कि बैक्टीरिया का प्रोटीन लाइपेज से लैस है। लाइपेज एक तरह का एंजाइम है जो प्रोटीन वायरस को निष्क्रिय करने की क्षमता रखता है। 2010 में हुए एक शोध में भी एक महत्वपूर्ण जानकारी हाथ लगी थी। शोध से पता चला था कि लिपॉप्रोटीन लाइपेज नामक रसायन हैपेटाइटिस-सी वायरस को निष्क्रिय करता है। 2017 में हुए एक शोध से पता चला था कि नासा मोसांबिका नामक सांप के जहर में फॉस्फो लाइपेज प्रोटीन मिला। यह प्रोटीन हैपेटाइटिस-सी डेंगू और जापानी इंसेफेलाइटिस को निष्क्रिय करने में सक्षम है।

फेफड़े में छिप जाता है कोरोना वायरस

चीनी शोधकर्ताओं के एक नए शोध में बताया गया है कि कोरोना वायरस से इतनी जल्दी मुक्ति नहीं मिलने वाली है। यह वायरस इलाज के बाद भी फेफड़ों में लंबे समय तक छिपा रह सकता है। चीनी शोधकर्ताओं का कहना है कि चीन में तमाम ऐसे मामले भी सामने आए हैं। इनसे पता चलता है कि हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के 70 दिन बाद भी मरीज कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इससे पता चलता है कि इलाज के बाद भी यह वायरस शरीर में छिपा सकता है।

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चीन के अलावा दक्षिण कोरिया में भी ऐसे मामले सामने आए हैं। दक्षिण कोरिया में ऐसे 160 मरीजों का पता चला है जो इलाज के बाद कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। चीन और दक्षिण कोरिया के साथ ही मकाउ, ताइवान और वियतनाम में भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं।

जांच में भी पकड़ में नहीं आता

दक्षिण कोरिया के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के डायरेक्टर जियॉन्ग यू कियॉन्ग का कहना है कि कोरोना वायरस मरीज को दोबारा संक्रमित करने की जगह रीएक्टिवेट हो सकता है। एक अन्य रिपोर्ट में भी कहा गया है कि कोरोना वायरस फेफड़े के अंदर लंबे समय तक छिपा रह सकता है। कई बार ऐसा भी होता है कि जांच रिपोर्ट में भी यह वायरस पकड़ में नहीं आता।

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