×

दुनिया का पहला फ्लोटिंग न्‍यूक्‍लियर रिएक्‍टर लांच, पर्यावरणविदों ने दिया बड़ा बयान

आज रूस ने दुनिया के पहले ‘फ्लोटिंग (तैरता हुआ) न्‍यूक्‍लियर रिएक्‍टर अकेडमिक लोमोनोसोव’ को लांच कर दिया है। हालांकि लंबे समय से पर्यावरणविदों की ओर से इसको लेकर गंभीर खतरे की चेतावनी दी जा रही है।

Aditya Mishra
Published on: 23 Aug 2019 11:16 AM GMT
दुनिया का पहला फ्लोटिंग न्‍यूक्‍लियर रिएक्‍टर लांच, पर्यावरणविदों ने दिया बड़ा बयान
X
दुनिया का पहला फ्लोटिंग न्‍यूक्‍लियर रिएक्‍टर लांच, पर्यावरणविदों ने दिया बड़ा बयान

लखनऊ डेस्क: आज रूस ने दुनिया के पहले ‘फ्लोटिंग न्‍यूक्‍लियर रिएक्‍टर अकेडमिक लोमोनोसोव’ को लांच कर दिया है।

हालांकि लंबे समय से पर्यावरणविदों की ओर से इसको लेकर गंभीर खतरे की चेतावनी दी जा रही है।

यहां तक कि उन्‍होंने इसे न्‍यूक्‍लियर टाइटैनिक व न्‍यूक्‍लियर चेरनोबिल का नाम तक दे दिया है। इस गंभीर खतरे की चेतावनी के बावजूद रिएक्‍टर को आर्कटिक पर भेजने की योजना है।

पढ़ें...

कश्मीर मुद्दे पर रूस नेभारत का किया समर्थन

Russia Probe: व्हाइट हाउस ने रूसी जांच मामले में किया अधिवक्ता नियुक्त

UNSC में कश्मीर पर चीन और पाक को तगड़ा झटका, भारत के साथ खड़ा हुआ रूस

5,000 किमी की दूरी तय करेगा अकेडमिक लोमोनोसोव:

पर्याप्‍त न्‍यूक्‍लियर इंधन के साथ अकेडमिक लोमोनोसोव मर्मांस्‍क के आर्कटिक पोर्ट से उत्‍तरपूर्व साइबेरिया तक 5,000 किमी की दूरी तय करेगा।

लेकिन पर्यावरणविदों के समूह की ओर से इस परियोजना को लेकर खतरे की काफी पहले से चेतावनी दी जा रही है।

इस माह रूस के सुदूर उत्‍तरी इलाके में घातक विस्‍फोट हुआ था जिसके कारण रेडिएक्‍टिव रिलीज की भी रिपोर्ट आई थी।

इस ट्रिप में लग सकते हैं 4-6 सप्‍ताह:

मौसम व राह में बर्फ की स्‍थिति को देखते हुए रिएक्‍टर की यह ट्रिप चार से छह हफ्तों के बीच खत्‍म हो जानी चाहिए।

सेंट पीट्सबर्ग में वर्ष 2006 में 144 मीटर के अकेडमिक लोमोनोसोव के लिए काम शुरू किया गया था।

जब यह साइबेरिया के शहर पेवेक में पहुंचेगा तब वहां के स्‍थानीय न्‍यूक्‍लियर प्‍लांट व बंद बड़े कोयले के एक प्‍लांट की जगह लेगा।

पढ़ें...

भारत और रूस के व्यापारिक संबन्ध और प्रगाढ़ होंगेः सीएम योगी

जानिए क्यों रूस गए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, यह है बड़ी वजह

PAK को आर्टिकल 370 और जम्मू-कश्मीर पर तगड़ा झटका, भारत संग आया रूस

जानें कैसा है ये फ्लोटिंग रिएक्‍टर:

इसे ले जाने वाले वेसेल का वजन 21,000 टन है और इसके दो रिएक्‍टर हैं। प्रत्‍येक रिएक्‍टर की क्षमता 35 मेगावाट है।

इसमें 69 क्रू मेंबर हैं और इसकी स्‍पीड 3.5 से 4.5 नॉट की स्‍पीड से चलता है।

न्‍यूक्‍लियर इंडस्‍ट्री मार्केट में अपनी स्‍थिति को दोबारा मजबूत बनाना चाहते हैं और इसलिए छोटे और सस्‍ते रिएक्‍टरों का निर्माण कर रहे हैं ताकि नये ग्राहकों को आकर्षित कर सकें।

इस साल के अंत तक इसका काम शुरू होगा।

ग्रीनपीस रूस के एनर्जी सेक्‍टर के प्रमुख राशिद आलिमोव ने कहा, ‘पर्यावरणविद समूह 1990 के दशक से ही फ्लोटिंग रिएक्‍टर के विरोध में हैं।

किसी भी न्‍यूक्‍लियर पावर प्‍लांट से रेडियोएक्‍टिव कचरा पैदा होता है लेकिन अकेडमिक लोमोनोसोव से नहीं होगा।

इसे वेसेल के जरिए ले जाया जाएगा। रोसाटोम की इसमें इंधन रखने की योजना है।

Aditya Mishra

Aditya Mishra

Next Story