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दुनिया के सवालों में घिरा रूस अब करेगा इस वैक्सीन का ट्रायल, कंपनी को मिला पटेंट
चीनी कंपनी CanSino Biologics Inc की कोरोना वैक्सीन के पेटेंट को मंजूरी दे दी गई है। अब चीनी कंपनी ने वैक्सीन (Ad5-nCoV) के तीसरे फेज का ट्रायल रूस में शुरू किया है।
नई दिल्ली: अपनी कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर दुनियाभर में सवालों के घेरे में खड़े रूस ने अब चीनी कोरोना वैक्सीन का ट्रायल शुरू कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीनी कंपनी CanSino Biologics Inc की कोरोना वैक्सीन के पेटेंट को मंजूरी दे दी गई है। अब चीनी कंपनी ने वैक्सीन (Ad5-nCoV) के तीसरे फेज का ट्रायल रूस में शुरू किया है।
ट्रायल में शामिल होंगे 625 वॉलेंटियर्स
रूसी सरकार के दस्तावेज के मुताबिक, चीनी वैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल में 625 वॉलेंटियर्स को शामिल करने की योजना है। ट्रायल शुक्रवार को ही शुरू किया गया है। हालांकि समाचार एजेंसी का कहना है कि चीनी कंपनी CanSino Biologics Inc ने रूसी ट्रायल को लेकर अधिक जानकारी देने से इनकार कर दिया है।
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चीन इन देशों के साथ करेगा तीसरे फेज का ट्रायल
बताया जा रहा है कि कैनसिनो रूस के साथ-साथ मैक्सिको, सऊदी अरब, ब्राजील और चिली में भी वैक्सीन का फेज-3 ट्रायल शुरू करने की योजना पर काम कर रही है। बता दें कि CanSino Biologics Inc ऐसी पहली चीनी कंपनी है, जिसे कोरोना वैक्सीन का पेटेंट हासिल हुआ है। चीन दुनिया के कई देशों में इस वैक्सीन के तीसरे फेज का ट्रायल कर रहा है। कंपनी को वैक्सीन के ट्रायल में दिक्कत आ रही थी, क्योंकि वहां कोरोना के मामले बेहद कम हो चुके हैं।
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इस साल के अंत तक लॉन्च हो सकता है वैक्सीन
चीन के विशेषज्ञों का दावा है कि चीन बहुत तेजी से सुरक्षित और प्रभावी तरीके से कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि वैक्सीन को इस साल के अंत तक लॉन्च किया जा सकता है। वैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल में वैक्सीन की प्रभाव क्षमता का आकलन किया जाएगा। अगर यह वैक्सीन सफल रहती है तो फिर इसे बाजार में लॉन्च कर दिया जाएगा।
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फेज-3 ट्रायल से पहले ही वैक्सीन को करार दिया सफल
बता दें कि किसी भी वैक्सीन को सुरक्षित और प्रभावी घोषित करने से पहले बड़े पैमाने पर फेज-3 ट्रायल की जरूरत होती है। हालांकि रूस ने बिना फेज-3 ट्रायल के ही अपनी कोरोना वैक्सीन को सफल करार दे दिया था। वैक्सीन के प्रभावी होने को लेकर कई देशों के वैज्ञानिक संदेह जता चुके हैं।
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