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बचा लो मोदी सरकार: यहां भारतीय छात्रों ने लगाई गुहार, जाने पूरा मामला

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन तो कर दिया गया है, लेकिन भारत के उन बच्चों का क्या जो अच्छी पढ़ाई करने के लिए देश के कुछ अच्छा करने के लिए विदेशों में पढ़ाई कर रहें हैं,और इन भयावह हालातों में फंसे हुए हैं।

Vidushi Mishra
Published on: 1 April 2020 12:32 PM GMT
बचा लो मोदी सरकार: यहां भारतीय छात्रों ने लगाई गुहार, जाने पूरा मामला
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नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन तो कर दिया गया है, लेकिन भारत के उन बच्चों का क्या जो अच्छी पढ़ाई करने के लिए देश के कुछ अच्छा करने के लिए विदेशों में पढ़ाई कर रहें हैं,और इन भयावह हालातों में फंसे हुए हैं। ऐसे में फिलीपींस के मनीला में मेडिकल के सैकड़ों भारतीय छात्र इस वैश्विक महामारी को लेकर चिंतित है। इनके कॉलेज भी बंद चुके हैं और खुलने के हालात अभी दिख नहीं रहें हैं। ये सभी छात्र अपने-अपने रुम, हॉस्टल के अंदर फंसे हुए है। इसके साथ यूक्रेन में भी 10 से 15 हजार छात्र फंसे हुए हैं।

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फिलीपींस के मनीला के मेडिकल कॉलेज

फिलीपींस के मनीला के मेडिकल कॉलेज Perpetual Help College Of Manila के छात्रों की स्थिति बहुत गम्भीर है। वे किन हालातों में अपने परिवार से दूर रह रहे हैं, ये वो छात्र ही जान सकते हैं। कॉलेज के एक छात्र रावेंद्र सिंह जो मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने वीडियो कॉल के जरिए बताया कि वहां के हालात कितने बुरे होते जा रहे हैं। रावेंद्र ने बताया कि खाने-पीने के सामान और दवाई के लिए भी कभी-कभी ही बाहर जाने दिया जा रहा और न ही कोई सुविधाएं दी जा रही हैं, ऐसे में हम क्या खाएं और क्या बनाएं।

रो-रोकर बस अपने बेटे की सलामती

वीडियो कॉल पर रावेंद्र की इन बातों को सुनकर उनकी मां की आंखों से आंसू निकल पड़ें, वो रो-रोकर बस अपने बेटे की सलामती और उसके घर आ जाने के लिये भगवान से दुआ करती हैं। रावेंद्र ने बताया कि अभी उनके कॉलेज की एक लड़की भी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, ऐसें में हमारा यहां रुकना किसी भी खतरे से खाली नहीं है। इन्होंने बताया कि यहां लॉकडाउन का कोई मतलब नहीं है कामों के लिए सख्ती की जाती है बाकी लोग निकलते हैं।

भारतीय छात्रों का कहना है कि हम चिंतित हैं कि अगर हममें से किसी के साथ कुछ होता है तो ऐसी दयनीय स्थिति में हमारे साथ कैसा व्यवहार किया जाएगा? छात्रों का बस इतना ही कहना है कि पीएम मोदी हमें हमारे देश में बुला लीजें। हम वहीं सुरक्षित रह सकते हैं।

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यूक्रेन में फंसे छात्र

ऐसे ही हालात है यूक्रेन के। यूक्रेन में फंसे जब एक छात्र मनीष द्विवेदी से व्हाट्सएप कॉल से बात की तो उसने वहां के खतरनाक हो रहे हालातों के बारे में बताया। मनीष ने कहा, "किराने की दुकान और मेडिकल स्टोर के अलावा बाहर जाने की हमें अनुमति नहीं है। हम सभी यूक्रेन में वर्तमान स्थिति के कारण अपने बारे में बहुत चिंतित हैं। यहां तक हमें कह दिया गया है कि 5 अप्रैल तक हॉस्टल में खाना मिलेगा, उसके बाद सब बंद।"

मनीष ने चिंतित होते हुए कहा, "मंगलवार के आंकड़ों के अनुसार यूक्रेन में कोरोना के 549 पॉजिटिव मामले और अब तक 13 मौतें हुई हैं।

ऐसे में जो देश है वो अपने ही नागरिकों की ज्यादा देखभाल करता है, अन्य नागरिकों पर नहीं जो बाहर से आए हुए हैं। भारत की तुलना में, यूक्रेन में चिकित्सा आपूर्ति और डॉक्टरों की संख्या बहुत कम है और हमारे लिए सबसे बड़ी समस्या भाषा बाधा है क्योंकि हम रूसी या यूक्रेनी भाषा में धाराप्रवाह नहीं हैं।"

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भारत और नेपाल के छात्र यूक्रेन में फंसे हुए

मनीष ने अपने शहर के हालातों के बारे में बात करते हुए कहा, "हम यूक्रेन के ओडेसा शहर में फंसे हुए हैं जो यूक्रेन की राजधानी कीव से करीब 500 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां अभी वैसा लॉकडाउन नहीं है, जैसा भारत में है। इसलिए यहां खतरा भी ज्यादा है। यहां कोई सामान लेने जाते हैं तो ऐसा लगता है कि कहीं कोरोना वायरस से संक्रमित न हो। यदि हमें कुछ हो गया तो यहां इलाज की व्यवस्था भी नहीं है।"

मनीष ने बताया कि कुछ दिनों पहले हमने यूक्रेन में राजधानी शहर कीव में भारतीय दूतावास से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन हमारी समस्या का उचित जवाब और समाधान नहीं मिला। यूक्रेन की सरकार अपने देश के लोगों को विदेशों से ला रही है और यूक्रेन में बाहर के देशों के छात्र वापस भी चले गए हैं सिर्फ भारत और नेपाल के छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं।

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ऐसे में मनीष ने गुहार लगाते हुए कहा कि हम सभी भारतीय छात्र विनम्रतापूर्वक भारत के पीएमओ कार्यालय, विदेश मंत्रालय, भारतीय दूतावास कीव, यूक्रेन और अन्य संबंधित अधिकारियों से अनुरोध करते हैं कि कृपया हमें जल्द से जल्द यहां से निकालने और भारत में अपने घरों में वापस लाने का प्रयास करें। हमारे माता-पिता भी बहुत चिंतित हैं।

इन बुरे हालातों में देश के बच्चों की मदद करना सरकार का फर्ज है। बच्चों के माता-पिता घरों में बंद है न तो वो अपने बच्चों के लिए कुछ कर पा रहेें है और नहीं ही दोनों में से कोई आ जा सकता है।

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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