नेपाल के बाद अब इस देश ने चली भारत के खिलाफ चीन की चाल! ड्रैगन को फायदा

चीन और नेपाल सीमा पर भारत के लिए मुश्किल खड़ कर रहे हैं। अब इस बीच श्रीलंका ने भी भारत के खिलाफ एक चाल चली है। अब कर्ज के लिए चीन की तरफ रुख कर रहा है।

Dharmendra kumar
Published on: 29 Jun 2020 2:48 PM GMT
नेपाल के बाद अब इस देश ने चली भारत के खिलाफ चीन की चाल! ड्रैगन को फायदा
X

नई दिल्ली: चीन और नेपाल सीमा पर भारत के लिए मुश्किल खड़ कर रहे हैं। अब इस बीच श्रीलंका ने भी भारत के खिलाफ एक चाल चली है। अब कर्ज के लिए चीन की तरफ रुख कर रहा है। बता दें कि पहले कर्ज नहीं दे पाने के कारण श्रीलंका को रणनीतिक रूप से अहम माने जाने वाले हंबनटोटा बंदरगाह चीन को देना पड़ा था। अब एक बार फिर चीन कर्ज के लिए चीन की तरफ जा रहा है।

कोरोना संकट में श्रीलंका को आर्थिक मार झेलनी पड़ रही है। श्रीलंका ने पहले भारत सरकार से कर्ज भुगतान को टालने की अपील की थी, लेकिन चार महीने हो जाने के बाद भी इसे लेकर कोई फैसला नहीं हो सका। विश्लेषकों के मुताबिक, अब नेपाल की ही तरह श्रीलंका भी भारत के साथ चीन कार्ड खेल रहा है।

श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा संगठनों से विकासशील देशों को कर्ज में राहत देने की मांग की। राजपक्षे ने भारत समेत सभी सहयोगियों से भी कर्ज अदायगी को टालने की अपील की। श्रीलंका ने भारत से 96 करोड़ डॉलर का कर्ज ले रखा है, इसके भुगतान को लेकर दोनों देशों के बीच अभी बातचीत चल रही है। इसके साथ ही श्रीलंका करेंसी स्वैप फैसिलिटी (मुद्रा अदला-बदली) देने की भी मांग कर रहा है।

यह भी पढ़ें...यहां हुआ बड़ा हमला: 23 लोगों की दर्दनाक मौत, सरेआम दागे मोर्टार

विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि नई दिल्ली और कोलंबो के बीच इस मुद्दे को लेकर एक वर्चुअल मीटिंग का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन ये बैठक क्यों नहीं हो सकी, इसकी वजह स्पष्ट नहीं हो पाई। एक भारतीय अधिकारी ने बताया, श्रीलंका की तरफ से बातचीत की तारीख तय नहीं हो पा रही है। एक मीडिया रिपोर्ट में यह खबर प्रकाशित की गई है।

यह भी पढ़ें...ट्रंप के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी, इस देश ने दिया आदेश, ये है वजह

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले सप्ताह, श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने यूरोपीय यूनियन के राजदूतों से बातचीत की थी। उन्होंने कहा था कि उनके देश को और कर्ज के बजाय नए निवेश की जरूरत है। मार्च और अप्रैल महीने में कोरोना वायरस महामारी के फैलने के बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संगठनों से भी ऐसी ही अपील की थी।

उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट और पिछले साल ईस्टर रविवार को हुए आतंकी हमले की वजह से श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार कम होता जा रहा है। कोरोना महामारी की वजह से श्रीलंका की सरकार की कमाई के मुख्य स्रोत निर्यात (चाय, कपड़ा), लेबर रेमिटेंस और पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

यह भी पढ़ें...इनके आगे फेल है चीनी मार्शल आर्ट, गुरिल्ला लड़ाके देंगे अब माकूल जवाब

कर्ज अदायगी को लेकर मोहलत बढ़ाने और मुद्रा की अदला-बदली सुविधा को लेकर श्रीलंका भारत से तीन बार अनुरोध किया है, लेकिन भारत से मदद को लेकर कोई आश्वासन ना मिलने के बीच श्रीलंका एक बार फिर चीन का दरवाजा खटखटा रहा है। श्रीलंका के इस कदम से भारत पर दबाव बढ़ेगा।

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

Next Story