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इस देश में फिर से जवान हो रहे बूढे़: रिसर्च में बड़ा दावा, वैज्ञानिकों के उड़े होश
स्टडी में शामिल लोगों को हाइपरबेरिक ऑक्सीजन रूम में बिठाया गया। इसके परिणामस्वरूप सभी 35 लोगों के टेलोमेरेस 20 फीसदी तक बढ़ गए।
नई दिल्ली: कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें बदलना नामुमकिन होता है। जैसे कि जीवन और मृत्यु, हमारे शरीर का अलग-अलग पड़ाव से गुजरना। यानी शरीर का बाल्यावस्था, युवावस्था और वृद्धावस्था तक का सफर तय करना। लेकिन एक देश में बुजुर्गों को फिर से जवान करने का दावा किया गया है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने यह दावा एक स्टडी के आधार पर किया है।
इजराइल में वैज्ञानिकों ने किया ये दावा
शरीर में जब एक सेल दोबारा बनता है तो फिर इंसान जवानी से वृद्धावस्था की ओर जाने लगता है, यानी इससे व्यक्ति की जवानी कम होती चली जाती है। ऐसा होता है टेलोमेरेस (Telomerase) की कमी के कारण। यह वही स्ट्रक्चर होता है जिसके माध्यम से हमारे क्रोमोसोम्स (Chromosome) 'कैप' होते हैं। लेकिन अब इजराइल में वैज्ञानिकों ने दावा कि है कि वे इस प्रोसेस को उलटा करने में सफल हो पाए हैं।
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स्टडी में रोगियों के टेलोमेरेस की लंबाई बढ़ी
यह दावा 35 लोगों पर की गई एक स्टडी के आधार पर किया गया है। स्टडी में शामिल किए गए रोगियों के टेलोमेरेस की लंबाई बढ़ा दी है। जानकारी के मुताबिक, स्टडी में शामिल हुए लोग तीन महीने तक हर सप्ताह पांच सेशन्स में शामिल हुए थे, जो कि डेढ़ घंटे तक के होते थे। सभी को हाइपरबेरिक ऑक्सीजन रूम में बिठाया गया। इसके परिणामस्वरूप सभी 35 लोगों के टेलोमेरेस 20 फीसदी तक बढ़ गए।
बता दें कि इससे पहले भी कुछ अन्य शोधकर्ताओं ने ऐसा करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता हासिल नहीं हुई। इस स्टडी के बारे में तेल अवीव यूनिवर्सिटी में मेडिसिन और फैकल्टी स्कूल ऑफ न्यूरोसाइंस के डॉक्टर और लीड शोधकर्ता शेयार एफर्टी ने बताया कि इस स्टडी की प्रेरणा उन्हें बाहरी दुनिया से मिली।
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बेहतर सेलुलर परफॉरमेंस से जुड़े होते हैं लंबे टेलोमेरेस
उन्होंने बताया कि जुड़वा बच्चों में से एक को नासा के द्वारा अंतरिक्ष भेजा गया और दूसरा धरती पर ही रहा। उन्होंने कहा कि शोध में Telomerase की लंबाई जितनी बढ़ी, उससे पता चला कि बाहरी वातावरण में बदलाव से उम्र बढ़ने के कोर सेलुलर प्रभावित हो सकते हैं। शेयार एफर्टी ने कहा कि लंबे टेलोमेरेस बेहतर सेलुलर परफॉरमेंस से जुड़े होते हैं।
सेन्सेंट सेल भी 37 फीसदी तक हुए कम
बताया जा रहा है कि इस स्टडी में जितने लोग शामिल हुए उनमें से किसी के भी जीवन शैली या डाइटिंग में कोई भी परिवर्तन नहीं किया गया। सभी को एक मास्क के जरिए 100 फीसदी ऑक्सीजन सांस लेते हुए हाइपरबेरिक रूम में रखा गया था। वहीं इस स्टडी में यह भी सामने आया कि थेरेपी से सेन्सेंट सेल 37 फीसदी तक कम हो गए और नई स्वस्थ सेल फिर से बनने लगीं।
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