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अमेरिका पर बड़ा 'आतंकी हमला' करेगा ईरान! बनाया ये खतरनाक प्लान...

Shivani Awasthi
Published on: 13 Jan 2020 4:38 PM IST
अमेरिका पर बड़ा आतंकी हमला करेगा ईरान! बनाया ये खतरनाक प्लान...
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Nuclear deal between iran us

दिल्ली: अमेरिका-ईरान के बीच अगर जंग होती है तो दोनों ही देशों को इसके बुरे परिणाम झेलने होंगे। हालाँकि कि अमेरिका ईरान की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली देश हैं लेकिन ईरान की स्थित भी कमजोर नहीं है। इसकी कई वजह है। अमेरिका तक भले ही ईरानी मिसाइल न पहुंच सके लेकिन बदला लेने के लिए ईरान दुनियाभर के सबसे खतरनाक और खूंखार आतंकी संगठनों को इस्तेमाल कर सकता है। दरअसल, अमेरिका के खिलाफ कई आंतकी संगठन ईरान का साथ देने के लिए तैयार खड़े हैं।

ईरान भले ही अमेरिका के साथ सीधी लड़ाई न लड़ सके लेकिन 'प्रॉक्सी वॉर' के जरिए अमेरिका को निशाना बना सकता है। इसके लिए ईरान का कई आतंकी संगठन साथ देंगे। ईरान को इसमें सबसे ज्यादा भरोसा लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह पर है।

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इन आतंकी संगठनों के जरिये अमेरिका को निशाना बनाएगा ईरान:

लेबनान अमेरिका पर हमला करने के लिए ईरान का सबसे भरोसेमंद हथियार है। लेबनान का आतंकी संगठन 'हिजबुल्लाह' ईरान के सबसे ज्यादा काम आ सकता है। बता दें कि सिविल वॉर के दौरान 1980 में इस संगठन की स्थापना हुई थी। वहीं अब हिजबुल्लाह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऑपरेट कर रहा है। ईरान ने इजरायल के खिलाफ जंग में हिजबुल्लाह को हथियार सप्लाई किए थे। सूत्रों के मुताबिक, ईरान हिजबुल्लाह को हर साल 700 मिलियन डॉलर की आर्थिक मदद भी देता है।

हिजबुल्लाह के अलावा ये आतंकी संगठन अमेरिका के खिलाफ:

लेबनान के बाद ईराक का 'कताएब हिजबुल्लाह' संगठन भी ईरान के साथ खड़ा होगा। दरअसल, ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी के साथ कताएब हिजबुल्लाह का एक कमांडर भी अमेरिकी हवाई हमले में मारा गया था। जिसके बाद कताएब हिजबुल्लाह के आतंकियों ने ही नए साल के मौके पर इराक में अमेरिकी दूतावास पर हमला किया था। इराक के इस सशस्त्र संगठन पर कासिम सुलेमानी का बहुत ज्यादा प्रभाव था।

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सीरिया के आतंकी संगठन भी देंगे ईरान का साथ:

वहीं अगर ईरान अमेरिका के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर करता है तो उसे सीरिया की असद सरकार का तो साथ मिलेगा ही, साथ ही वहां के आतंकी संगठनों से भी बल मिलेगा। बता दें कि सीरिया में शिया मिलिशिया के दर्जनों गुट हैं, जिन्हें ईरान हथियारों की सप्लाई करता है। ऐसे में वो ईरान का साथ देंगे।

यमन और फिलिस्तीन के आतंकी अमेरिका पर बोल सकते हैं हमला:

गौरतलब है कि यमन में साल 2015 से सिविल वॉर जारी है, जिसमें ईरान वहां के हूती विद्रोहियों का साथ दे रहा है। ईरान इन्हें हथियार, तकनीक, रक्षा सलाह से लेकर हाईटेक ड्रोन्स तक की सप्लाई कर रहा है। ऐसे में जब ईरान को जरूरत पड़ेगी तो यमन के हूती विद्रोही ईरान के साथ खड़े रहेंगे।

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अफगानिस्तान और फिलिस्तीन के आतंकी भी ईरान के साथ:

अफगानिस्तान के आईएसआईएस भी अमेरिका ईरान के बीच जंग की स्थिति में ईरान का साथ दे सकते हैं। इसके संकेत भी ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ दे चुके हैं। वहीं फिलीस्तीन के 'हमास गुट' से भी कही न कहीं ईरान से रिश्ते हैं। ऐसे में हमास सुन्नी मुसलमानों का संगठन होते हुए भी ईरान का साथ दे सकते हैं, लेकिन पैसों और हथियारों की शर्ट पर।

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