TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

इस शहर के कारण रूस और चीन में होगी भीषण जंग! जानिए इसका इतिहास

चीन दक्षिण चीन सागर से लेकर लद्दाख तक पड़ोसी देशों की जमीन हथियाने की कोशिश में लगा है। चीन के सरकारी चैनल का दावा है कि रूस का व्लादिवोस्तोक शहर असल में चीन का है।

Newstrack
Published on: 4 July 2020 9:22 PM IST
इस शहर के कारण रूस और चीन में होगी भीषण जंग! जानिए इसका इतिहास
X

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर है। अब इस बीच चीन दक्षिण चीन सागर से लेकर लद्दाख तक पड़ोसी देशों की जमीन हथियाने की कोशिश में लगा है। चीन के सरकारी चैनल का दावा है कि रूस का व्लादिवोस्तोक शहर असल में चीन का है। इस बयान के रूस में चीन के खिलाफ गुस्सा बढ़ गया है।

चीन के सरकारी सीजीटीएन चैनल के एडिटर ने दावा किया कि रूस का व्लादिवोस्तोक शहर आज से लगभग डेढ़ सौ साल पहले चीन का हिस्सा था। सीजीटीएन के संपादक शेन सिवई ने कह दिया कि रूस का व्लादिवोस्तोक शहर साल 1860 से पहले चीन का हिस्सा था। इसे पहले इसे लोग हैशेनवाई शहर के नाम से जानते थे, लेकिन रूस ने एकतरफा संधि के जरिए चीन से ये शहर छीन लिया और उसका नाम तक बदल दिया। इसके बाद विवाद छिड़ गया है। रूस में भी चीन के खिलाफ लोगों में गुस्सा है जिसकी झलक सोशल मीडिया पर देखने को मिली।

विवाद बढ़ता देख दी सफाई

इस बाद विवाद बढ़ने पर संपादक ने सफाई दी और कहा कि चूंकि सीमा संधि पर दस्तखत हो चुके हैं, इसलिए चीन का दावा शहर को लेकर नहीं है। हालांकि इसके बाद से मामला गरम हो गया है। माना जा रहा है कि चीन का सरकारी मीडिया असल में कम्युनिस्ट पार्टी की सोच को कहता है। लोग मान रहे हैं कि इतने बड़े सरकारी चैनल का संपादक ये लिख रहा है तो कहीं न कहीं सरकार की यह सोच होगी।

यह भी पढ़ें…गलवान घाटी पर फिल्म बनाएंगे अजय देवगन, अक्षय कुमार हो गए ट्रोल

साल 1860 में रूस की सेना ने इस शहर को बसाया और इसे व्‍लादिवोस्‍तोक नाम दिया। व्‍लादिवोस्‍तोक का अर्थ है पूरब का राजा। ये रूस के प्रिमोर्स्की क्राय राज्य की राजधानी है। पहले ये शहर वाकई में चीन का हिस्सा था। 1860 से ठीक पहले चीन ने Treaty of Aigun और Treaty of Peking के तहत अपना ये हिस्सा रूस को सौंप दिया। इसके बाद से ही इस इलाके का लगातार विकास किया गया।

इस सयम शहर प्रशांत महासागर में रूस के सैनिक बेड़े का एक बेस है। व्यापारिक तौर पर भी ये शहर रूस के लिए काफी मायने रखता है। रूस से होने वाले व्यापार का काफी हिस्सा व्‍लादिवोस्‍तोक पोर्ट से होकर दुनिया में गुजरता है।

यह भी पढ़ें…कोरोना से जंग: WHO ने की भारत की तारीफ, कह दी इतनी बड़ी बात

टाइम बम पर बैठा है रूस का ये शहर

रूस के लिए चीन के साथ संबंध दोधारी तलवार की जैसी है। रूस के इस अविकसित इलाके को चीन विकसित कर रहा है और इसके लिए 10 अरब डालर का निवेश कर रहा है। इस निवेश के बाद रूस-चीन में दोस्‍ती की जगह तनाव बढ़ता जा रहा है। चीन के भारी-भरकम निवेश के कारण बड़ी संख्‍या में चीनी मजदूर इस इलाके में आ रहे हैं। इससे चीन को लेकर इलाके में डर का मौहाल पैदा हो रहा है। स्‍थानीय लोगों का मानते हैं कि यह क्षेत्र अब अघोषित रूप से चीन का हो गया है और चीन कभी भी इस पर कब्‍जा कर सकता है।

एक अनुमान के मुताबिक रूस के इस इलाके में 3 से 5 लाख चीनी रहते हैं। रूस और चीन के बीच वर्ष 1960 के दशक में सीमा व‍िवाद को लेकर युद्ध भी हुआ है। एक तरफ जहां रूसी इलाके अभी विकास की बाट जोह रहे हैं, वहीं इससे सटे चीनी इलाके में काफी विकास हुआ है।

यह भी पढ़ें…फ्लाइट पर रोक: कोलकाता से इन शहरों के लिए उड़ानें रद्द, सरकार ने लगाया प्रतिबंध

रूस का यह पूरा इलाका प्राकृतिक संसाधनों जैसे तेल और गैस भरा हुआ है, लेकिन रूस के लिए संकट बन गया है। रूस ने हाल ही में 150,000 हेक्‍टेयर जमीन को चीन को 49 साल के लिए लीज पर दे दिया है। रूस में इस फैसले की लोग कड़ी आलोचना कर रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को सुलझाया नहीं गया तो यह टाइम बम पर बैठा है और कभी भी यह युद्ध की वजह बन सकता है।

रूस ने चीन पर लगाया बड़ा आरोप

रूस ने कुछ दिन पहले ही चीन की खुफिया एजेंसी पर पनडुब्बी से जुड़ी कई सीक्रेट फाइलें चुराने का आरोप लगाया था। इस मामल में रूस का एक नागरिक गिरफ्तार भी किया था जिसपर देश द्रोह का आरोप लगा है। आरोपी रूस की सरकार में बड़े पद पर तैनात जिसने इस फाइल को चीन को सौंपा था।

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story