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आग की तरह फैलेगी महामारी, दुनिया के सबसे बड़े रिफ्यूजी कैंप में कोरोना
कोरोना वायरस का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। अब इसकी चपेट में दुनिया का सबसे बड़ा रिफ्यूजी कैंप आ सकता है। दरअसल, विषेशज्ञों ने चेताया है कि सबसे बड़े रिफ्यूजी कैंप में कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा है
नई दिल्ली: कोरोना वायरस का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। अब इसकी चपेट में दुनिया का सबसे बड़ा रिफ्यूजी कैंप आ सकता है। दरअसल, विषेशज्ञों ने चेताया है कि सबसे बड़े रिफ्यूजी कैंप में कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा है। बता दें कि इसके पहले सबसे बड़े स्लम एरिया धरावी में भी कोरोना पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं।
रोहिंग्या रिफ्यूजी कैंप पर कोरोना का खतरा
दुनिया का सबसे बड़ा रिफ्यूजी कैंप रोहिंग्या शरणार्थियों का है, जो बांग्लादेश के कॉक्स बाजार (Cox's Bazar) में बसा हुआ है। यहां तंग शिविरों में लगभग 10 लाख रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं, जो कोरोना वायरस से प्रभावित हो सकते हैं। वहीं गरीबी और सुविधाओं की कमी के कारण इन लोगों के लिए कोरोना से लड़ पाना भी बेहद मुश्किल है।
यहां नहीं हो सकता सोशल डिस्टेंसिंग की पालन
विशेषञों की माने तो शरणार्थियों के शिविरों में कोरोना का आना लाखों लोगों की मौत का सबब बन सकता है। बता दें कि इस रिफ्यूजी कैंप में ज्यादातर शरणार्थी रोहिंग्या मुस्लिम हैं। तंग टेंट में लाखों लोग सोशल डिस्टेंसिंग की पालन कर ही नहीं सकते।
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एक झोपड़ी में साथ रहते दर्जनों लोग, सुन सकते हैं सांसों की आवाज
कैंप में बनी सभी झोपड़ी करीब 10 वर्ग मीटर (12 वर्ग गज) की है, जिसमें कम से कम 12 लोग एक साथ रहते हैं। इस बारे में यहां के सहायता कार्यकर्ता ने बताया कि झोपड़ी की दूरी का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि आप पड़ोसी की सांसों की आवाज तक सुन सकते हैं। मामले में बांग्लादेश के प्रमुख डॉक्टर पॉल ब्रॉकमैन ने कहा कि इन शिविरों में सोशल डिस्टेंसिंग लगभग असंभव है।
काम के लिए रोजाना जाते हैं बाहर
गौरतलब है कि कुटापलोंग 600,000 रोहिंग्या के साथ दुनिया के सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर है। यहां रह रहे लोग खाना जुटाने के लिए हर दिन काम करने बाहर जाते हैं।
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इंटरनेट पर रोक, कोरोना की नहीं शरणार्थियों को जानकारी
वहीं रोहिंग्या इस बीमारी के बारे में कम ही जानते हैं, वजह ये हैं कि सरकार ने शरणार्थियों पर शिकंजा कसने के तहत पिछले साल के आखिर में उनतक इंटरनेट पहुंच पर रोक लगा दिया था।
रोहिंग्या समुदाय के नेता सईद उल्लाह का कहना है कि इंटरनेट बंद होने के कारण उन्हें वायरस के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता है। हममें से ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि यह बीमारी क्या है। लोगों ने केवल यह सुना है कि इससे बहुत से लोगों की मौत हुई है। हमारे पास यह जानने के लिए इंटरनेट नहीं है कि क्या हो रहा है। हम अल्लाह की दया पर भरोसा कर रहे हैं।
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बांग्लादेश ने कोरोना वायरस के मामले बेहद कम
बता दें कि बांग्लादेश ने अब तक कोरोना वायरस से हुई मौतों का आंकड़ा और संक्रमितों की संख्या काफी कम बताई जा रही है। कहा गया कि बांग्लादेश में 50 से भी कम लोग संक्रमित है। हालाँकि कुछ समय पहले ही इस कॉक्स बाजार के पास ही एक बांग्लादेशी महिला कोरोना पॉजिटिव पाई गयी थी। ऐसे में अगर ये शरणार्थी शिविर तक पहुंचा तो जंगल की आग की तरह कोरोना फ़ैल जायेगा।
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