नीतीश का बड़ा ऐलान: सुन कर हिल उठे सत्ताधारी, अंत भला तो सब भला

बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू नेता नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव के आखरी दौर में पूर्णिया की अपनी रैली में ऐलान कर दिया कि यह चुनाव उनका आखिरी चुनाव है। अपने इस ऐलान से उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि अब वह बिहार की चुनावी राजनीति में सक्रिय नहीं रहेंगे

Update: 2020-11-05 11:24 GMT
बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू नेता नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव के आखरी दौर में पूर्णिया की अपनी रैली में ऐलान कर दिया कि यह चुनाव उनका आखिरी चुनाव है।

पटना. बिहार की राजनीति के 15 साल तक शासन की बागडोर संभालने वाले जदयू के सर्वे सर्वा नीतीश कुमार ने बृहस्पतिवार को पूर्णिया में अपनी चुनावी रैली में आखिरी पारी का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह उनका आखिरी चुनाव है। उनके बयान ने चुनावी राजनीति में खलबली पैदा कर दी है।

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बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू नेता नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव के आखरी दौर में पूर्णिया की अपनी रैली में ऐलान कर दिया कि यह चुनाव उनका आखिरी चुनाव है। अपने इस ऐलान से उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि अब वह बिहार की चुनावी राजनीति में सक्रिय नहीं रहेंगे।

इससे यह स्पष्ट हो गया कि वह बिहार को केवल अगले 5 साल तक नेतृत्व देने के लिए तैयार हैं लेकिन उनके भाषण ने विपक्ष में भी खलबली मचा दी है।

राष्ट्रीय जनता दल ने उन पर इमोशनल कार्ड खेलने का आरोप लगाया है। राष्ट्रीय जनता दल ने यह भी कहा है कि तेजस्वी के मैदान में आने के बाद जब नीतीश कुमार को समझ में आ गया है कि वह बिहार की जनता को आगे भरमा नहीं पाएंगे इसलिए उन्होंने संन्यास का ऐलान किया है।

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फोटो-सोशल मीडिया

नीतीश को मिल सकता है इमोशनल फायदा

बिहार विधानसभा के दो चरण के मतदान पूरे हो चुके हैं तीसरे चरण के चुनाव के लिए बृहस्पतिवार को प्रचार का आखिरी दिन है शाम 5:00 बजे चुनाव प्रचार बंद हो जाएगा उससे पहले ही पूर्णिया की रैली में नीतीश कुमार ने आखरी चुनाव का दांव चला है।

माना जा रहा है कि इसका उन्हें फायदा मिल सकता है क्योंकि तीसरे चरण में जिन सीटों पर चुनाव होने जा रहा है वहां से जदयू ने पिछले चुनाव में 22 सीटें जीती हैं। अगर जदयू इस आंकड़े को नीतीश कुमार की इमोशनल दांव से आगे बढ़ा पाती है तो यह विपक्ष पर करारा प्रहार होगा।

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कहा यह भी जा रहा है कि राजनीति के नौसिखिया तेजस्वी को नीतीश कुमार ने चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में फंसा दिया है। बिहार की जनता यह सोचकर मतदान कर सकती है कि नीतीश जैसे स्वच्छ छवि वाले नेता को कम से कम 5 साल के लिए और मौका दिया जाना चाहिए।

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