डूब जाएगा राज्य! काल बनी ये नदी, 33 साल बाद होगा ऐसा....

मुजफ्फरपुर के सिकंदरपुर में बूढ़ी गंडक नदी प्रलय ला सकती है। 33 साल में ये पहली बार हुआ है कि नदी खतरे के निशाने के इतने ऊपर आ गयी हो।

Update: 2020-08-01 04:40 GMT
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मुजफ्फरपुर: भारी बारिश और बाढ़ से बिहार पहले ही बुरी तरह प्रभावित हैं लेकिन पिछले एक सप्ताह से लगातार मुज्जफ्फरपुर में बूढ़ी गंडक नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। नदी जिस तरह से उफनाई हुईं है, उससे 33 साल पुराण रिकॉर्ड टूटने की कगार पर हैं। बता दें कि बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर 1987 में 54 मीटर 29 सेंटीमीटर था। वहीं अब जलस्तर महज 38 सेंटीमीटर नीचे रह गया है।

बूढ़ी गंडक नदी खतरे ने निशान से ऊपर

मुजफ्फरपुर के सिकंदरपुर में बूढ़ी गंडक नदी प्रलय ला सकती है। 33 साल में ये पहली बार हुआ है कि नदी खतरे के निशाने के इतने ऊपर आ गयी हो। वर्तमान में बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर 53 मीटर 91 सेंटीमीटर हो गया है। नदी का पानी नये इलाकों में फैलता ही जा रहा है। ऐसे में भयानक बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।

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नदी के उफान से 12 लाख लोगों पर असर:

राज्य के मुजफ्फरपुर जिले में गंडक, बूढी गंडक और बागमती नदी भारी बारिश के चलते भयानक हो गयी है। जिले में 13 प्रखंडों के 203 पंचायत की करीब 12 लाख की आबादी रहती है, जो बाढ़ के पानी की वजह से काफी प्रभावित हुई है। दो प्रखंड औराई और गायघाट पूरी तरह बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। बागमती नदी के बाढ़ का पानी औराई और गायघाट में रहने वाले लोगों के घरों में पहुंच गया। सड़कें डूब गयी, आवागमन बाधित हो गया। ऐसे में खाने पीने की समस्या भी बढ़ गयी। वहीं बूढ़ी गंडक नदी का पानी लगातार नए नए इलाकों में फैलता ही जा रहा है।

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राहत बचाव कार्य जारी:

प्रशासन ने नदियों के जलस्तर के लगातार बढ़ने पर चिंता जताई और इसके मद्देनजर राहत बचाव कार्य तेज कर दिया। प्रशासन की ओर से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सामुदायिक किचन चलाया जा रहा है, जहां बाढ़ पीड़ितों को दो वक्त का भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। आवागमन के लिए सरकारी नाव और निजी नाव की व्यवस्था की गयी है।

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