Bihar News:'गवर्नर बनने के लिए बीजेपी के आगे-पीछे घूम रहा है', जीतन राम मांझी पर बमके नीतीश, जमकर सुनाई खरी-खोटी

Bihar News: बिहार की राजनीति इन दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयानों से गरमाई हुई है। इस बार उनका गुस्सा कभी उनके सहयोगी रहे पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पर फूटा। नीतीश इतने गुस्से में दिखे कि पार्टी के नेताओं को उन्हें शांत कराने आगे आना पड़ा।

Update:2023-11-09 16:40 IST

बिहार सीएम नीतीश कुमार ने कहा गवर्नर बनने के लिए बीजेपी के आगे-पीछे घूम रहा है', जीतन राम मांझी: Photo- Social Media

Bihar News: बिहार की राजनीति इन दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयानों से गरमाई हुई है। पिछले दिनों विधानसभा में उनके द्वारा सेक्स को लेकर दिए गए बयान का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि एकबार फिर नीतीश कुमार सदन में आपे से बाहर दिखे। इस बार उनका गुस्सा कभी उनके सहयोगी रहे पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पर फूटा। नीतीश इतने गुस्से में दिखे कि पार्टी के नेताओं को उन्हें शांत कराने आगे आना पड़ा।

दरअसल, बिहार में जब से जाति सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक की गई है, तब से इस पर बवाल मचा हुआ है। विपक्ष रिपोर्ट में बताए गए आंकड़ों को खारिज कर रहा है। लेकिन महागठबंधन सरकार उसी आंकड़ों के आधार पर राज्य में जाति आरक्षण की सीमा बढ़ाने का बिल ले आई और विधानसभा से पारित कर लिया। सदन में इस पर आज चर्चा के दौरान पूर्व सीएम जीतन राम मांझी जैसे ही इसकी खामियां गिनाने लगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भड़क उठे। उन्होंने मांझी को तुम-ताम तक कह डाला, बोले मांझी उनकी (नीतीश) की मुर्खता से सीएम बने।

किस बात पर भड़के नीतीश ?

हिंदुस्तान आवामी मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने आरक्षण संसोधन विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा, हम नहीं मानते कि बिहार में जातिगण जनगणना सही हुई है। मुझे सरकार द्वारा जारी आंकड़े पर भरोसा नहीं है। अगर आंकड़े गलत हैं तो सही लोगों तक लाभ नहीं पहुंचेगा। इसके आगे उन्होंने कहा, आरक्षण की हर 10 वर्ष में समीक्षा की बात कही गई है, लेकिन क्या बिहार सरकार ने आरक्षण की समीक्षा की। आरक्षण का जमीन पर क्या हाल है, सरकार को उसे देखना चाहिए।

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‘मेरी मूर्खता से बना सीएम’

पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की बात चल ही रही थी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कभी बेहद खास रहे अपने इस नेता पर बुरी तरह झल्ला उठे। भरी सदन में उन्होंन मांझी को खरी – खोटी सुनाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। मुख्यमंत्री ने कहा, इस आदमी (मांझी) को कोई आइडिया है। इसको हमने मुख्यमंत्री बना दिया था। दो महीने के अंदर ही मेरी पार्टी के लोग कहने लगे इसको हटाइए, ये गड़बड़ है।

फिर हम मुख्यमंत्री बने थे। कहता रहता है, ये मुख्यमंत्री थी...ये क्या मुख्यमंत्री था। ये मेरी मूर्खता से सीएम बना। सीएम नीतीश यहीं नहीं रूके उन्होने आगे कहा, ये (मांझी) गवर्नर बनना चाहता है। इसके बाद उन्होंने बीजेपी विधायकों की ओर मुखातिब होते हुए कहा इसको गवर्नर बना दीजिए। नीतीश कुमार इतने बेकाबू दिखे कि डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, मंत्री विजय कुमार चौधरी और सत्तारूढ़ दल के अन्य विधायकों को उन्हें शांत कराने आना पड़ा।

नीतीश अब दलितों का कर रहे अपमान

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अब पूर्व जीतन राम मांझी ने भी पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि वे अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। उन्हें नीतीश कुमार की मनोदशा और दिमाग को देखकर दुख हो रहा है। मैं उनसे सीनियर लीडर हूं और उम्र में भी बड़ा हूं लेकिन इसके बावजूद उन्होंने मुझे सदन में अनाप-शनाप कहा। पहले महिलाओं का अपमान करने वाले नीतीश कुमार अब दलितों का भी अपमान कर रहे हैं।

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मांझी ने बताया क्यों नीतीश ने उन्हें सीएम बनाया

हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने बताया कि 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद अपनी लाज बचाने के लिए नीतीश कुमार ने मुझ जैसे सीधे-साधे आदमी को सीएम बनाया था। मुझे लोगों ने कहा कि जीतम मांझी रबर स्टांप है। मुझे हटाने के लिए क्या-क्या नहीं किया गया। नीतीश कुमार ने मुझे इसलिए सीएम नहीं बनाया कि हम योग्य हैं, बल्कि इसलिए सीएम बनाया कि हम सीधा साधा थे भुईयां थे।

मांझी ने आगे कहा कि उनकी कोई मंशा राज्यपाल बनने की नहीं है। मुझे इसका ऑफर आया था लेकिन मैंने खुद ठुकरा दिया। उन्होंने कहा कि हम अपनी बात देश की गृहमंत्री या राज्यपाल से मिलकर रखेंगे और उनसे बिहार सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करेंगे।

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नीतीश – मांझी का कुछ ऐसा रहा है रिश्ता ?

जीतन राम मांझी जब से बिहार में नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री की शपथ ली, तब से उनके साथ थे। महादलित समुदाय से आने वाले मांझी को उनका काफी करीबी माना जाता है। हालांकि, बीच में एकबार एक घोटाले में नाम आने के कारण उनसे इस्तीफा भी ले लिया गया था। लेकिन जल्द नीतीश कैबिनेट में उनकी वापसी हो गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भरोसा उन पर इनता था कि साल 2014 में जब लोकसभा चुनाव में जदयू की करारी हार हुई तो उन्होंने पद छोड़ने के बाद अपने उत्तराधिकारी के तौर पर अन्य प्रभावशाली दावेदारों को न चुनते हुए मांझी को चुना था।

तब इसे बिहार की राजनीति में नीतीश का मास्टरस्ट्रोक कहा गया था। 9 मई 2014 को मुख्यमंत्री बने मांझी को तब रिमोट कंट्रोल सीएम कहा जा रहा था। लेकिन मुख्यमंत्री पद पर विराजमान होते ही जीतन राम मांझी के तेवर बदलने लगे। जिससे उन्हीं की पार्टी के नेता और यहां तक की नीतीश कुमार असहज होने लगे। मामला ज्यादा बिगड़ने के बाद पार्टी ने उन्हें इस्तीफा देने को कहा लेकिन वे नहीं मानें। बीजेपी से उनकी नजदीकियों ने उनकी विदाई कर दी। आखिरकार फरवरी 2015 में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

मांझी फिर अपनी अलग पार्टी बना कर बिहार की राजनीति में उतरे। कुछ समय बाद एकबार फिर वे नीतीश कुमार के करीब हो गए। महागठबंधन सरकार में नीतीश ने उनके बेटे को मंत्री भी बनाया। मगर एकबार फिर यह साथ लंबा नहीं चला और कुछ माह पहले उन्होंने महागठबंधन से अलग होने का निर्णय ले लिया। अब वो फिर से एनडीए में हैं। 

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