सुशांत का मुद्दा पड़ा ठंडा: बिहार चुनाव में गुप्तेश्वर का टिकट कटने की ये बड़ी वजह

एम्स के फॉरेंसिक विशेषज्ञों की रिपोर्ट में सुशांत की मौत को आत्महत्या का मामला मानने और अभी तक की जांच में कुछ खास हाथ न लगने के कारण दोनों दल अब इस मुद्दे को ज्यादा तूल नहीं देना चाहते।

Update: 2020-10-09 04:15 GMT

अंशुमान तिवारी

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के मौत के मामले की गरमाहट अब वैसी नहीं महसूस की जा रही है जैसी उम्मीद जताई जा रही थी। सच्चाई तो यह है कि यह मामला ठंडा पड़ता नजर आ रहा है। चुनाव में इस मामले को जोर-शोर से उठाने की तैयारी में जुटी भाजपा और जदयू दोनों अब इस मुद्दे से दूरी बनाने में जुट गई हैं।

एम्स के फॉरेंसिक विशेषज्ञों की रिपोर्ट में सुशांत की मौत को आत्महत्या का मामला मानने और अभी तक की जांच में कुछ खास हाथ न लगने के कारण दोनों दल अब इस मुद्दे को ज्यादा तूल नहीं देना चाहते। राज्य के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का टिकट कटने के पीछे पीछे भी इसे बड़ा कारण माना जा रहा है।

बिहार और महाराष्ट्र में हो गई थी तनातनी

विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत का मामला काफी गरमाया हुआ था। इस मामले को लेकर बिहार और महाराष्ट्र सरकार के बीच तनातनी भी पैदा हो गई थी। मुंबई पुलिस की जांच के दौरान बिहार सरकार ने पटना पुलिस को भी जांच पड़ताल के लिए मुंबई भेज दिया था।

पूर्व डीजीपी ने किए थे तीखे हमले

पटना पुलिस के अधिकारियों को मुंबई पुलिस की ओर से कोई सहयोग न मिलने पर तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस पर तीखे वार किए थे।

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बाद में जब पटना से एक आईपीएस अफसर को मामले की जांच पड़ताल के लिए मुंबई भेजा गया तो महाराष्ट्र सरकार ने उसे जबरन क्वारंटाइन कर दिया था। इस मामले को लेकर भी दोनों सरकारों के बीच तनातनी हुई थी।

सीबीआई के हाथ भी कुछ खास नहीं लगा

मीडिया और सोशल मीडिया में इस मामले के लगातार छाए रहने और सुशांत के परिवार की ओर से इंसाफ की मांग पर आखिरकार नीतीश सरकार ने इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश कर दी थी। सिफारिश को तुरंत ही केंद्र सरकार की ओर से मंजूरी भी मिल गई मगर सीबीआई की ओर से की जा रही जांच पड़ताल में भी अभी तक कुछ खास हाथ नहीं लगा है।

एम्स की रिपोर्ट से पलट गया मामला

मौजूदा समय में तीन-तीन एजेंसियां सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और एनसीबी इस मामले की जांच में जुटी हुई हैं। इस बीच एम्स के फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने इस मामले को आत्महत्या माना है और इसके बाद से ही पूरा मामला पलट गया है।

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सुशांत की मौत के बाद इस मामले को लेकर पूरे बिहार में काफी गरमाहट महसूस की जा रही थी और लोगों में इस घटना को लेकर काफी आक्रोश था मगर अब धीरे-धीरे इस मामले को लेकर पैदा हुई गरमाहट ठंडी पड़ती जा रही है।

भाजपा और जदयू ने बनाई दूरी

सुशांत की मौत के मामले में पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय काफी सक्रिय थे और इस मामले को लेकर लगातार मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार पर हमलावर थे, लेकिन एम्स की रिपोर्ट ने पूरे मामले की हवा निकाल दी है। अब भाजपा और जदयू दोनों ने इस मामले से दूरी बना ली है।

जदयू को इस बात का भी डर था कि ऐसे हालात में पूर्व डीजीपी को टिकट देने पर यह मामला फिर तूल पकड़ सकता है। उनका टिकट कटने के पीछे यह भी बड़ा कारण बताया जा रहा है।

खुद को नीतीश का सिपाही बताया

टिकट कटने के बाद पूर्व डीजीपी का कहना है कि अब मैं चुनाव नहीं लडूंगा। आगे चलकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो कहेंगे, वही करूंगा। उन्होंने खुद को जदयू का सच्चा सिपाही बताते हुए कहा कि नीतीश कुमार किसी को ठगते नहीं है।

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उन्होंने कहा कि मेरे शुभचिंतकों और समर्थकों को निराश नहीं होना चाहिए। अब देखने वाली बात यह होगी कि पूर्व डीजीपी का समायोजन नीतीश कुमार किस रूप में करते हैं।

दूसरी बार लगा सियासी झटका

पूर्व डीजीपी को अपने कैरियर के दौरान दूसरी बार सियासी झटका लगा है। ‌पहले उन्हें भाजपा ने झटका दिया था और अब जदयू ने। 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा की ओर से लोकसभा के टिकट का वादा किए जाने के बाद उन्होंने वीआरएस ले लिया था।

तब उन्हें बक्सर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारे जाने की चर्चा थी मगर भाजपा ने बाद में इस सीट से अश्वनी चौबे को टिकट दे दिया। हालांकि अपनी सियासी पहुंच के चलते गुप्तेश्वर पांडे दोबारा नौकरी हासिल करने में कामयाब हो गए थे।

भाजपा ने भी नहीं दिया महत्व

जदयू की ओर से टिकट कटने के बाद ऐसी चर्चा थी कि गुप्तेश्वर पांडेय को भाजपा की ओर से बक्सर सीट पर उतारा जा सकता है मगर भाजपा की ओर से भी उन्हें झटका लगा है क्योंकि भाजपा ने यहां से परशुराम चतुर्वेदी को मैदान में उतार दिया है।

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महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख का कहना है कि मैंने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से पूछा था कि क्या वे महाराष्ट्र को बदनाम करने वाले गुप्तेश्वर पांडेय का चुनाव प्रचार करेंगे। देशमुख के मुताबिक इसका जवाब तो नहीं मिला मगर शायद इसी कारण गुप्तेश्वर पांडेय का टिकट जरूर कट गया।

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