Bihar: हरिवंश के बागी तेवर से जदयू में भारी नाराजगी,नई संसद के समारोह में शामिल होने पर उठे सवाल, जमीर बेचने का आरोप
Bihar Politics: नई संसद के उद्घाटन समारोह में हरिवंश के शामिल होने के बाद यह नाराजगी और बढ़ गई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने उद्घाटन समारोह में हिस्सा नहीं लिया था मगर हरिवंश बागी तेवर दिखाते हुए इस समारोह में शामिल हुए थे।
Bihar Politics: राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के खिलाफ उनकी पार्टी जदयू में काफी नाराजगी दिख रही है। नई संसद के उद्घाटन समारोह में हरिवंश के शामिल होने के बाद यह नाराजगी और बढ़ गई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने उद्घाटन समारोह में हिस्सा नहीं लिया था मगर हरिवंश बागी तेवर दिखाते हुए इस समारोह में शामिल हुए थे।
वैसे हरिवंश के प्रति जदयू में काफी दिनों से नाराजगी दिख रही है। अभी हाल में संसद के उद्घाटन समारोह के बाद यह जख्म और हरा हो गया है और जदयू नेताओं ने हरिवंश पर हमलावर रुख अपना लिया है। जदयू का आरोप है कि अपनी कुर्सी बचाने के लिए हरिवंश ने जमीर बेच दिया है और मोदी सरकार से समझौता कर लिया है।
ललन सिंह ने हरिवंश से मांगी सफाई
दरअसल संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह में कांग्रेस और जदयू समेत करीब 20 विपक्षी दलों ने हिस्सा नहीं लिया था। इन दलों की ओर से आरोप लगाया गया था कि उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को न बुलाकर मोदी सरकार की ओर से उनका अपमान किया गया है। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाते हुए मोदी सरकार पर बड़ा हमला भी बोला था।
इसके बावजूद राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश उद्घाटन समारोह में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे। हरिवंश के इस कदम की आलोचना करते हुए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का कहना है कि इस मुद्दे पर हरिवंश को अपनी सफाई देनी चाहिए। जब जदयू की ओर से इस समारोह का बहिष्कार किया गया था तो आखिरकार क्यों वे इस समारोह में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि हरिवंश के इस कदम से साफ हो गया है कि उनके लिए नैतिकता का कोई महत्व नहीं है और उन्होंने नैतिकता को पूरी तरह कूड़ेदान में फेंक दिया है।
हरिवंश पर जमीर से समझौता करने का आरोप
जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी इस मुद्दे पर हरिवंश की तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि हरिवंश के इस कदम से साफ हो गया है कि उन्होंने जमीर से समझौता कर लिया है। नई संसद के औचित्य पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सवाल उठाए थे मगर इसके बावजूद हरिवंश ने उद्घाटन समारोह में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि हरिवंश को यह स्पष्ट करना चाहिए कि जब पार्टी की ओर से उद्घाटन समारोह का बायकाट किया गया था तो उनके इस समारोह में हिस्सा लेने का क्या औचित्य था।
बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजीत शर्मा ने हरिवंश पर अपनी पार्टी के साथ गद्दारी करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि हरिवंश जदयू में होने का दिखावा कर रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि उनका मन भाजपा में रमा हुआ है। कांग्रेस नेता ने कहा कि आने वाले दिनों में हरिवंश भाजपा में शामिल हो जाएंगे।
हरिवंश ने साधी चुप्पी
मजे की बात यह है कि जदयू नेताओं की ओर से तीखे हमले किए जाने के बावजूद हरिवंश ने पूरे प्रकरण पर चुप्पी साध रखी है। नई संसद के उद्घाटन समारोह के बाद उन्होंने इस बाबत ट्वीट भी किया था मगर उन्होंने अभी तक इस विवाद के संबंध में अपना मुंह नहीं खोला है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हरिवंश की बढ़ती दूरी काफी दिनों से चर्चा का विषय रही है। नीतीश कुमार भी हरिवंश के इस कदम को लेकर काफी नाराज बताए जा रहे हैं। हालांकि उन्होंने इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है।
नीतीश कुमार से बन चुका है छत्तीस का आंकड़ा
हरिवंश ने 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर पर लिखी अपनी किताब का विमोचन भी पीएम मोदी के हाथों कराया था। उस समय नीतीश कुमार भाजपा के ही साथ थे मगर वे हरिवंश की ओर से आयोजित इस समारोह में हिस्सा लेने के लिए नहीं पहुंचे थे। नीतीश कुमार की बदौलत ही हरिवंश 2014 में राज्यसभा का सदस्य बनने में कामयाब हुए थे मगर इधर के वर्षों में उनके और नीतीश के बीच छत्तीस का आंकड़ा बन चुका है।
नीतीश कुमार ने 2022 में भाजपा का साथ छोड़कर राजद से हाथ मिला लिया था। राजद से हाथ मिलाने के बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद की कुर्सी बचाने में कामयाब हुए थे। नीतीश कुमार की ओर से उठाए गए कदम पर भी हरिवंश ने चुप्पी साध ली थी। नीतीश के इस कदम के बाद भी हरिवंश की भूमिका को लेकर सवाल उठे थे मगर हरिवंश ने अभी तक इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है। यही कारण है कि बिहार के सियासी हलकों में हरिवंश की भाजपा से नजदीकी को लेकर तमाम बयानबाजी होती रही है।