राहुल-तेजस्वी की बातचीत से सुलझा विवाद, महागठबंधन में सीटों का फार्मूला तय
दरअसल बिहार कांग्रेस के प्रभारी गोहिल ने सीटों को लेकर विवाद पैदा होने के बाद राजद नेता तेजस्वी यादव के अनुभव व योग्यता पर ही सवाल खड़े कर दिए थे।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन में सीटों की शेयरिंग को लेकर उलझा मामला अब सुलझता दिखाई दे रहा है। सीटों को लेकर अभी तक कड़ा रुख अपनाने वाली कांग्रेस ने भी अपना रुख थोड़ा नरम किया है। इससे पहले बिहार कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल के कड़े बयान से राष्ट्रीय जनता दल भी नाराज हो गया था। मगर राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव के बीच सीधी बातचीत के बाद अब दोनों दलों का विवाद सुलझता दिखाई दे रहा है।
सीटों के बंटवारे को लेकर फंस गया था पेंच
दरअसल बिहार कांग्रेस के प्रभारी गोहिल ने सीटों को लेकर विवाद पैदा होने के बाद राजद नेता तेजस्वी यादव के अनुभव व योग्यता पर ही सवाल खड़े कर दिए थे। गोयल का कहना था कि यदि सीटों के बंटवारे फार्मूला नहीं तय हो पाया तो कांग्रेस राज्य में हर स्थिति के लिए पूरी तरह तैयार है। तेजस्वी यादव पर हमले के बाद राजद भी नाराज हो गई थी और उसने भी कांग्रेस के ऊपर पलटवार किया।
जानकारी सूत्रों के अनुसार दोनों दलों के बीच मामला बिगड़ता देख कर प्रियंका गांधी ने हस्तक्षेप किया और फिर राहुल और तेजस्वी के बीच सीधी बातचीत हुई। जानकार सूत्रों का कहना है कि दोनों दोनों के बीच सीटों को लेकर पैदा हुआ विवाद सुलझ गया है। सूत्रों के मुताबिक सीट संबंधी विवाद के निपटारे के लिए राजद और कांग्रेस दोनों दलों ने अपने रुख को लचीला बनाया है।
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तय किए गए फार्मूले के मुताबिक राजद की ओर से 138 सीटों पर प्रत्याशी उतारे जाएंगे जबकि कांग्रेस भी अपनी मांग से घटकर करीब 68 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार बताई जा रही है। राजद की ओर से भाकपा माले को 19, माकपा व भाकपा को 10 सीटें देने की बात कही गई है। मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी को एक दर्जन सीटें देने की तैयारी है। सियासी जानकारों के अनुसार अभी भी महागठबंधन में बातचीत का दौर जारी है। इसलिए सीटों की संख्या में थोड़ा बहुत फेरबदल हो सकता है।
पहले अड़े हुए थे दोनों दल
सियासी जानकारों के अनुसार राहुल गांधी के दखल देने के बाद ही महागठबंधन में सीटों का विवाद सुलझ सका है। इससे पहले राजद की ओर से 150 सीटों पर दावेदारी की गई थी जबकि कांग्रेस की ओर से भी 70 से 80 सीटें मांगी जा रही थी। कांग्रेस नेताओं की ओर से दिए जा रहे बयानों से साफ था कि वे किसी भी समझौते के लिए तैयार नहीं थे मगर आखिरकार राहुल गांधी के दखल से मामला सुलझता दिख रहा है। दोनों दलों की तनातनी इस हद तक बढ़ गई थी कि गोहिल ने आरोप लगाया था कि तेजस्वी में अनुभव की कमी होने के कारण उन्हें गुमराह किया जा सकता है।
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उनका यह भी कहना था कि अगर लालू प्रसाद यादव जेल से बाहर होते तो यह विवाद कब का सुलझ गया होता। गोहिल के मुताबिक दोनों दलों के अलग-अलग लड़ने से राजद को ज्यादा नुकसान होगा। उन्होंने सहयोगियों के साथ मिलकर कांग्रेस के कोई भी फैसला लेने तक की चेतावनी दे डाली थी। इसके जवाब में राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने सीएम पद के चेहरे तेजस्वी यादव पर कोई सवाल न उठाने की बात कही थी। उनका कहना था कि यदि कांग्रेस छेड़ेगी तो राजद किसी भी कीमत पर उसे नहीं छोड़ेगी।
प्रियंका के दखल से सुलझा मामला
दोनों दलों के लिए बीच बढ़ी तनातनी के बीच शुक्रवार को प्रियंका गांधी ने दखल देते हुए बीच का रास्ता अपनाने की सलाह दी और इसके बाद राहुल और तेजस्वी की सीधी बातचीत से सीटों का विवाद सुलझ पाया।
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पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भी राजद और कांग्रेस में सीटों की संख्या को लेकर विवाद पैदा हो गया था मगर आखिरी क्षणों में राहुल और तेजस्वी की बातचीत से ही विवाद सुलझ पाया था।