Bihar Caste Census: नीतीश सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती, जातीय जनगणना की मांगी इजाजत

Bihar Caste Census: बिहार की नीतीश सरकार ने पटना हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने पटना हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने और जातीय जनगणना की इजाजत दिए जाने की मांग की है।

Update:2023-05-11 23:01 IST
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो, साभार सोशल मीडिया)

Bihar Caste Census: पटना हाईकोर्ट ने 04 मई को बिहार में जातीय जनगणना पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। मामले में अगली सुनवाई तीन जुलाई को होनी है, तब तक किसी भी तरह के रिपोर्ट बनाने पर रोक लगी रहेगी। जातीय जगणना के खिलाफ दायर याचिका में कहा गया था कि बिहार सरकार को इसे कराने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। नीतीश सरकार ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

बिहार की नीतीश सरकार ने पटना हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने पटना हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने और जातीय जनगणना की इजाजत दिए जाने की मांग की है। बिहार सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर कब सुनवाई करेगा, यह फिलहाल तय नहीं हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट पर टिकीं निगाहें

बिहार में जातीय जनगणना को राज्य सरकार पहले भी दो बार सुप्रीम कोर्ट का रुख कर चुकी है। लेकिन तब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाईकोर्ट में अपील करने का निर्देश दिया था। ऐसे में अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का क्या रुख रहेगा, यह देखने वाली बात होगी। क्योंकि, इस मामले में पटना हाईकोर्ट का अभी अंतिम फैसला नहीं आया है, बाजवूद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

15 मई तक पूरा होना था जातीय जनगणना का काम

बिहार में जातीय जन-गणना शुरू से ही विवादों में रही है। बावजूद, बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने जातीय जनगणना का काम दो चरणों में पूरा करने का एलान किया था। इसका पहला चरण जनवरी में पूरा हो गया था। 15 अप्रैल से दूसरे चरण की शुरुआत हुई थी। 15 मई तक इसका भी काम पूरा होना था। इस बीच पटना हाईकोर्ट ने बिहार में जातीय जनगणना और आर्थिक सर्वेक्षण पर अंतरिम रोक लगा दी थी और कहा था कि जितनी भी जानकारी अब तक दर्ज हुई है, उसे सुरक्षित रखा जाए। मुख्य न्यायाधीश केवी चंद्रन की खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि रोक के दौरान राज्य सरकार एकत्र किये गये डेटा को उपयोग नहीं करे। कोर्ट का आदेश ऐसे वक्त आया जब बिहार दूसरे और अंतिम दौर और जाति आधारित गणना जारी थी।

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