बिहार: 'का बा' का जवाब है आनंद कुमार, तथागत, सत्यम कुमार और आरके श्रीवास्तव

बिहार में का बा यह गाना सोशल मीडिया पर छप्पड़ फाड़कर वायरल होता है।इस गाने में बाढ़, बेरोजगारी से लेकर किसानों की समस्या को उठाती हैं गायिका नेहा सिंह राठौर। नेहा अपने गानों के ज़रिये आज सोशल मीडिया की सेंसेशन बन चुकी हैं।

Update: 2020-10-05 07:35 GMT
हिंदुस्तान सहित पूरे विश्व मे बढ़ाया बिहार का गौरव

पिछले दिनों लॉकडाउन के दौरान बड़े-बड़े शहरों से पलायन कर रहे मजदूरों का दर्द बयां करता मनोज बाजपेयी का एक पॉपुलर रैप सॉन्ग आया था- बंबई में का बा ,इसके बाद एक और भोजपुरी गाना आता है- बिहार में का बा यह गाना सोशल मीडिया पर छप्पड़ फाड़कर वायरल होता है।इस गाने में बाढ़, बेरोजगारी से लेकर किसानों की समस्या को उठाती हैं गायिका नेहा सिंह राठौर। नेहा अपने गानों के ज़रिये आज सोशल मीडिया की सेंसेशन बन चुकी हैं। लेकिन इसके बीच आपको हम बिहार में का बा को अलग तरीके से बताने जा रहे है। जिसने बढ़ाया देश-विदेश में बिहार का गौरव। बिहार से ऐसे ऐसे प्रतिभा निकले जिन्हे पुरे दुनिया आज भी करता है सलाम। अपने पूर्वजो के गौरव को बढ़ा रहे वर्तमान में ये सभी बिहारी।

"बिहार में का बा" का जवाब है, बिहार में आनंद कुमार, तथागत, सत्यम कुमार , आरके श्रीवास्तव और रहमान बा।सत्यम कुमार , तुलसी अवतार तथागत, आनंद कुमार , गुरु रहमान और आरके श्रीवास्तव बिहार की कोख से पलकर हिंदुस्तान सहित पूरे विश्व मे बढ़ाया बिहार का गौरव-;

सत्यम कुमार

मात्र 12 साल की उम्र में दुनिया का सबसे कठिन परीक्षा माना जाने वाला IIT JEE को क्रैक कर पूरी दुनिया में तहलका मचा देने वाला बिहार का सत्यम बीते वर्ष में भी फ्रांस में इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए नजीर बन चुका था। बारह वर्ष की नन्ही सी उम्र में आइआइटी के ऊंचे किले को फतह करने वाला सत्यम के कायल फ्रांस में इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स भी रह चुके है। सत्यम अपनी मेधा के कायल फ्रांसिसी छात्रों को भारतीय शिक्षा पद्धति का गुर सीखा चुके है। भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड के बखोरापुर निवासी रामलाल सिंह का पोता सत्यम कुमार भारत में खूब नाम कमाया था। जब महज बारह वर्ष की उम्र में आइआइटी की प्रतियोगिता में बुलंदी का झड़ा गाड़ा था। फिलहाल सत्यम आइआइटी कानपुर से इलेक्ट्रिकल ब्राच से बीटेक कर पास हो चुका है। वर्तमान में सत्यम The university of texas at austin से पीएचडी की पढ़ाई कर रहे है।

शिक्षा-दिशा

आईआईटी कानपुर में पढ़ाई के दौरान फ्रांस में समर रिसर्च इन्टर्न के अवसर पर ‘ब्रेन कम्प्यूटर इन्टरफेसेज’ विषय पर रिसर्च के लिए सत्यम का चयन कर लिया गया था। उसका चयन फ्रांस के चार्पैक स्कॉलरशीप तथा भारत सरकार में ‘ए सर्विस ऑफ दी एम्बेसी’ के संयुक्त तत्वावधान में ‘टू प्रमोट हाईयर एजुकेशन इन फ्रांस’ के लिए भी हो चुका था। वही दुसरी तरफ फ्रांस के डीयू लैब के डायरेक्टर गिल्स कौपीन ने फोन से सत्यम से बात कर छात्रों को मोटीवेट करने का प्रस्ताव भी भेजा था जिस पर सत्यम ने अपनी सहमती भी दे दी । सत्यम फिलवक्त फ्रांस के ब्रीस्ट शहर में टेलिकॉम डी सी ब्रीटेग्नी में रिसर्च का काम डीयू के लैब निर्देशक गिल्स कौपीन व फ्रांसिस्को एन्ड्रयूली के सान्निध्य में भी कर चुके है।

फ्रांस के वैज्ञानिकों को साथ किया काम

फ्रांस के वैज्ञानिकों के साथ बौद्धिक साझेदारी का सुन्दर अवसर भी प्राप्त हो चुका है। सभी सत्यम के प्रतिभा के कायल भी हुए। बिहार के साथ देश का नाम भी सत्यम ने रौशन किया है। इतनी छोटी उम्र में ही इतनी बडी उपलब्धि हासिल करना बहुत बडी बात है। बिहार को सत्यम पर गर्व है और उम्मीद है कि आने वाले समय में सफलताओं के बुलंदियों पर पहुंचेगा और पूरे देश का नाम रौशन करेगा।

तुलसी अवतार तथागत

प्रतिभाशाली बच्चों के रूप में ज्ञात तथागत अवतार तुलसी जिसने महज 9 साल की उम्र में मैट्रिकुलेशन, 11 साल की उम्र में ही बीएससी और 12 साल की उम्र में एमएससी की डिग्री हासिल कर इतिहास रच दिया था। मात्र 22 साल की उम्र में ही आईआईटी, मुंबई में उन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर बनने बनने का गौरव हासिल हुआ था। तुलसी आईआईटी के सबसे युवा प्रोफेसर माने जाते है।

डा. तथागत अवतार तुलसी

तथागत ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु से पीएचडी कर भारत के सबसे युवा पीएचडी होल्डर और सबसे कम पेज का (मात्र 33 पेज) पीएचडी थेसिस लिखने का रिकार्ड भी बनाया था। तथागत की उपलब्धियों पर ही 2002 में आई हॉलीवुड फिल्म ए ब्यूटीफुल माइंड प्रेरित थी। इस फिल्म को चार ऑस्कर पुरस्कार भी मिले थे। तथागत ने कहा कि आईआईटी, पटना ने मेरे ऑफर को ठुकरा दिया था।तुलसी को कनाडा की वाटरलू यूनिवर्सिटी ने भी अच्छे खासे पैकेज पर अपने यहां प्रोफेसर बनने का ऑफर दिया था लेकिन उन्होंने उसे ठुकरा दिया था क्योंकि वह देश में रहकर ही काम करना चाहते थे। उन्हें इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस भोपाल ने भी नौकरी की पेशकश की थी। 2003 में उन्हें टाइम पत्रिका ने विश्व के सात सर्वाधिक चमत्कारिक युवाओं की लिस्ट में शामिल किया था।

सुपर 30 वाले आनंद कुमार

बिहार के पटना जिले में रहने वाले शिक्षक आनंद कुमार न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स के बीच चर्चित नाम हैं। इनका 'सुपर 30' प्रोग्राम विश्व प्रसिद्ध है। इसके तहत वे आईआईटी-जेईई के लिए ऐसे 30 मेहनती छात्रों को चुनते हैं, जो बेहद गरीब परिवार से हों। 2018 तक उनके पढ़ाए 480 छात्रों में से 422 अबतक आईआईटियन बन चुके हैं। आनंद कुमार की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि डिस्कवरी चैनल भी उनपर डॉक्युमेंट्री बना चुका है। उन्हें विश्व प्रसिद्ध मेसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और हार्वर्ड युनिवर्सिटी से भी व्याख्यान का न्योता मिल चुका है।

'गुरु रहमान’

बिहार की राजधानी पटना प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए देश भर में प्रसिद्ध है। जहाँ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग संस्थान लाखों की फीस वसूलते हैं, वहीं पटना के नया टोला में स्थित गुरू रहमान का ‘अदम्य अदिति गुरुकुल संस्थान’ है जो ग्यारह रुपया गुरु दक्षिणा लेकर छात्रों को दारोगा से लेकर आईएएस और आईपीएस बनाता है। गुरुकुल की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहाँ अन्य कोचिंग संस्थानों की तरह फीस के नाम पर भारी-भरकम रकम की वसूली नहीं की जाती, बल्कि छात्र-छात्राओं से गुरु दक्षिणा के नाम पर महज 11 रुपये लिए जाते हैं। 11 से बढ़कर 21 या फिर 51 रुपये फीस देकर ही गुरुकुल से अब तक ना जाने कितने छात्र-छात्राओं ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से लेकर डॉक्टर और इंजीनियरिंग के परीक्षाओं में सफलता हासिल की है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ बिहार के छात्र ही यहाँ पढ़ते हैं, बल्कि गुरुकुल में झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से भी छात्र आकर गुरु रहमान से टिप्स लेते हैं। सन् 1994 में जब बिहार में चार हजार दरोगा की बहाली के लिए प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित की गई थी तो उस परीक्षा में गुरुकुल से पढ़ाई करने वाले 1100 छात्रों ने सफलता हासिल की थी जो एक रिकॉड है। शिक्षा माफियाओं द्वारा बिज़नेस बन चुके शिक्षण व्यवस्था के बीच ‘गुरु रहमान’ का ‘गुरुकुल’ अपने आप में प्रेरणा हैं।

आरके श्रीवास्तव

1 रूपया गुरु दक्षिणा लेकर 540 गरीब स्टूडेंट्स को इंजीनियर बना दिया, बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले आरके श्रीवास्तव देश में मैथेमैटिक्स गुरु के नाम से मशहूर हैं। बिहार देशभर में अनूठे एकेडमिक्स की वजह से भी चर्चित है। आनंद कुमार ( Anand Kumar) ने गरीब बच्चों को आईआईटी (IIT) जैसे संस्थानों में भेजकर ऐसी लकीर खींच दी है कि पूरी दुनिया उनके काम को सलाम करती है। एक मैथमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव (RK Srivastava) भी गज़ब तरीके से बच्चों को पढ़ाते हैं। आरके चुटकले और कबाड़ों के जरिए से खेल-खेल में बच्चों को गणित की मुश्किल पढ़ाई करवाते हैं। कबाड़ को जुगाड़ से खिलौने बनाकर प्रैक्टिकल में यूज करते हैं। वो सामाजिक सरोकार से गणित को जोड़कर, सवाल हल करना बताते हैं। आरके 52 तरीके से पाइथागोरस प्रमेय (Pythagoras theorem) को सिद्ध कर दुनिया को हैरान कर चुके हैं।

इनपर बनी फिल्म सुपर 30

गरीब परिवार में जन्में आरके श्रीवास्तव का जीवन काफी संघर्ष से भरा रहा। जिससे लड़ते हुए वह अपनी पढ़ाई पूरी की। लेकिन, टीबी की बीमारी के कारण आईआईटी की प्रवेश परीक्षा नहीं दे पाए। बाद में ऑटो चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करने लगे। वो 450 से ज्यादा बार फ्री नाईट क्लासेज चलाकर भी सुर्खियां बटोर चुके हैं। उनकी क्लास में स्टूडेंट पूरी रात 12 घंटे गणित की पढ़ाई कर चुके हैं। जो खुद मैं हैरान करने वाली बात है। लोग बताते हैं कि वह भी सुपर 30 की तरह भी गरीब स्टूडेंट को इंजीनियर बनाते हैं। इसके बदले में मात्र एक रुपए गुरुदक्षिणा लेते हैं। अभी तक 540 स्टूडेंट्स को इंजीनियर बना चुके है। कई लोग दावा करते हैं कि आरके, सुपर 30 के आनंद कुमार की परंपरा के टीचर हैं।

गरीब विद्यार्थियों के लिए उम्मीद की किरण

बिहार के रोहतास जिला के बिक्रमगंज में रजनीकांत का आशियाना है। बिक्रमगंज से 2008 में पढाना प्रारम्भ किया था, जिसके अन्तर्गत आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवाना प्रारंभ किया ,उसी दायरे से गरीब विद्यार्थियों के लिए उम्मीद की एक किरण निकलती है। कभी रजनीकांत को खुद के लिए ऐसे ही किसी गुरु की तलाश थी, लेकिन बदकिस्मती से उनकी उम्मीद पूरी नहीं हुई। घर की तंगहाली के बीच वे तपेदिक (Tuberculosis) के ऐसे मरीज बन गए कि आइआइटी की प्रवेश परीक्षा (IIT Entrance Examination) तक नहीं दे पाए।

इंजीनियर नहीं बने तो आया गरीबों को पढाने का विचार

इंजीनियर बनने की अधूरी हरसत कलेजे में टीस बन गई और उसी के साथ गरीबी के कारण मजबूर बच्चों को आगे बढ़ाने का विचार आया। माध्यम बना गणित, लेकिन कमाई का ख्याल तक नहीं। बच्चों की जिद है, लिहाजा पारिश्रमिक के रूप में 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेते है। वर्तमान में मैथेमैटिक्स गुरू आरके श्रीवास्तव को देश की प्रतिस्ठित शैक्षणिक संस्थाएँ अतिथी शिक्षक के रूप में अपने यहा पढाने के लिये बुलाते है। 2019 के आँकड़ों के अनुसार, उनके द्वारा प्रशिक्षित 540 आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), एनआईटी, बीसीईसीई ,एनडीए के लिये चयनित हो चुके हैं। भारत के प्रतिष्ठित सभी अखबारो में इनके शैक्षणिक कार्यों की खबरे हमेशा छपते रहते है। क्लासरुम प्रोग्राम में पाईथागोरस प्रमेय को 50 से अधिक तरीकों से बिना रुके सिद्ध कर दिखाया है । जिसके लिये इनका नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है। इसके अलावा 450+ नाइट क्लासेज ( पूरी रात लगातार 12 घंटे) गणित पढाने के लिये उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज है। गूगल ब्वाय कौटिल्य पंडित के गुरु के रूप में भी देश इन्हे जानता है।

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आरके श्रीवास्तव

बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले आरके श्रीवास्तव देश में मैथेमैटिक्स गुरु के नाम से मशहूर हैं। खेल-खेल में जादुई तरीके से गणित पढ़ाने का उनका तरीका लाजवाब है। कबाड़ की जुगाड़ से प्रैक्टिकल कर गणित सिखाते हैं। सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं। आर्थिक रूप से सैकड़ों गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई सहित देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में पहुँचाकर उनके सपने को पंख लगा चुके हैं। वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी आरके श्रीवास्तव का नाम दर्ज है। आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली की प्रशंसा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी कर चुके हैं। इनके द्वारा चलाया जा रहा नाइट क्लासेज अभियान अद्भुत, अकल्पनीय है। स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी के प्रति जागरूक करने लिये 450 क्लास से अधिक बार पूरी रात लगातार 12 घंटे गणित पढ़ा चुके हैं। इनकी शैक्षणिक कार्यशैली की खबरें देश के प्रतिष्ठित अखबारों में छप चुकी हैं।

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