नई दिल्ली: दूसरी बड़ी सरकारी कंपनी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) में मोदी सरकार ने अपना हिस्सा बेचने का मन बनाया है। इसके लिए सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी है। इस वक़्त सरकार की BHEL में 63.17 फीसदी हिस्सेदारी है। अब सरकार ने मन बनाया है कि वह इसे घटाकर 26 फीसदी करना चाहती है। हालांकि, सरकार एक बार में ही इस हिस्सेदारी को नहीं बेचेगी। यह अलग-अलग चरणों में बेचा जाएगा।
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बता दें, न सिर्फ BHEL में हिस्सेदारी घटाई जाएगी, बल्कि इसके साथ मोदी सरकार दूसरी प्रक्रिया भी प्रक्रिया चला रही है। इस प्रक्रिया के तहत एसेट मॉनेटाइजेशन किया जा रहा है। अब ऐसे में सरकार BHEL के 4 से 5 ऐसे सेगमेंट की पहचान कर रही है, जिसको निजी हाथों में सौंपा जा सकता है। ये यूनिट्स कंपनी के कोर बिजनेस से मेल नहीं खाते हैं।
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नॉन-कोर बिजनेस को मोदी सरकार निजी हाथों में सौंपेगी। चालू वित्त वर्ष में इसकी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। निजी हाथों में BHEL के ट्रांसपोर्टेशन बिजनेस को खासकर सौंपने का प्लान बनाया जा रहा है। काफी उच्च स्तरीय बैठक इन दोनों प्रस्तावों पर हो चुकी है। साथ ही, इस पर सैद्धांति सहमति बन चुकी है। बस अब जल्द से जल्द इसकी प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा।
स्ट्रैटजिक बिक्री के लिए की कंपनियों की पहचान
इसके लिए मोदी सरकार ने स्ट्रैटजिक बिक्री की प्रक्रिया में सबसे पहले उन कंपनियों की पहचान की है जिसमें स्ट्रैटजिक बिक्री हो सकती है। ये अब तय करने का अधिकार कंपनी की नोडल मिनिस्ट्री के पास नहीं होगा, अब ये नीति आयोग के पास है। जिन कंपनियों की पहचान नीति आयोग ने की है, उनमें से एक नई कंपनी जुड़ गई है।