लाल कपड़े में लिपटा मोदी सरकार का 'बजट', जानिए इसके पीछे की कहानी
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल जब पहला बजट पेश हुआ तो उस Budget के दस्तावेज को वित्त मंत्री परंपरागत तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले ब्रीफकेस के बजाय मखमली लाल कपड़े से कवर करके ले गई थीं। इसके साथ ही मोदी सरकार ने बजट से जुड़ी अंग्रेजों की पुरानी परंपरा को भी खत्म कर दिया है।
नई दिल्ली: संसद का बजट सत्र शुरू होने के बाद एक फरवरी, 2021 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) केंद्रीय बजट पेश करेंगी। इस बार भी बजट आपको लाल मखमली कपड़े में लिपटा नजर आएगा। बता दें कि ऐसा पहली बार मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट के दौरान देखने को मिला था। उस दौरान निर्मला सीतारमण बजट के दस्तावेज एक मखमली लाल कपड़े में लपेट कर लाई थीं। जिसने खूब लाइमलाइट बटोरा।
क्या रही है बजट पेश करने की परंपरा?
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल जब पहला बजट पेश हुआ तो उस Budget के दस्तावेज को वित्त मंत्री परंपरागत तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले ब्रीफकेस के बजाय मखमली लाल कपड़े से कवर करके ले गई थीं। इसके साथ ही मोदी सरकार ने बजट से जुड़ी अंग्रेजों की पुरानी परंपरा को भी खत्म कर दिया है। दरअसल, इससे पहले तक बजट के दस्तावेजों को सूटकेस में लाया जाता रहा है।
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कब से शुरू हुई ये परंपरा?
साल 1733 में जब ब्रिटिश सरकार के प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री रॉबर्ट वॉलपोल बजट पेश करने आए तब से बैग में बजट की परंपरा शुरू हुई। जब उस दौरान बजट पेश हुआ तो उनके हाथों में एक चमड़े का थैला था, जिसमें बजट से संबंधित दस्तावेज रखे गए थे। इस चमड़े के थैले को फ्रेंच भाषा में बुजेट कहा जाता था। बुजेट के आधार पर ही इस प्रक्रिया को बाद में बजट कहा जाने लगा। उसके बाद 1860 में इस्तेमाल हुआ लाल सूटकेस।
उस दौरान ब्रिटिश बजट चीफ विलिमय ग्लैडस्टोन ने पहली बार लाल सूटकेस का इस्तेमाल किया। जिसे ग्लैडस्टोन बॉक्स कहा जाने लगा और फिर इसी बैग में ब्रिटेन का बजट पेश होने परंपरा चल पड़ी। लंबे वक्त के बाद, जब इस बैग की स्थिति खराब हुई तो साल 2010 में इसे रिटायर कर दिया गया।
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भारत में भी अंग्रेजों वाली परंपरा
लंबे समय तक भारत में भी बजट की परंपरा अंग्रेजों वाली ही रही। साल 1947 में अंग्रेजों से आजादी के बाद भारत में कई चीजें नहीं बदली, उनमें से एक था बजट की परंपरा। 26 जनवरी 1947 को जब देश के पहले वित्त मंत्री आर.के शानमुखम चेट्टी ने पहली बार बजट पेश किया तो वो भी दस्तावेजों को एक लेदर के थैले में लेकर संसद पहुंचे। इसके बाद कई सालों तक यहीं परंपरा बनी रही। करीब एक दशक से ज्यादा वक्त के बाद यह परंपरा बदली।
1958 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने यह परंपरा बदलते हुए काले रंग के ब्रीफकेस में बजट को पेश किया। इसके बाद 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने लाल रंग के ब्रीफकेस में बजट को पेश किया। तब से ही लाल ब्रीफकेस में बजट पेश किया जाता रहा है। 1 फरवरी 2019 को पीयूष गोयल ने भी अंतरिम बजट लाल ब्रीफकेस में ही पेश किया था। लेकिन मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में यह परंपरा बदल गई।
लाल मखमली कपड़े में बजट के दस्तावेज
ऐसा पहली बार हुई जब बजट के दस्तावेज लाल मखमली कपड़े में लिपटे नजर आए। बजट की इस नई परंपरा को बही-खाता का नाम दिया गया। इस बारे में देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमण्यम ने कहा कि यह भारतीय परंपरा है, जो गुलामी व पश्चिम के विचारों से भारत की आजादी को प्रदर्शित करती है। उन्होंने यह भी कहा था कि यह बजट नहीं, बल्कि बही खाता है।
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