Budget 2021: रोजगारोन्मुख बजट ला सकता है नौकरियों की बहार
भाजपा के ‘मुख्य वोट बैंक’ मध्यम आय वर्ग और असंगठित क्षेत्र है और ये दोनो ही कोरोनावायरस के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। लाखों लोगों की इस दौरान नौकरियां छूट गई हैं। इसके अलावा बेरोजगार युवाओं की बड़ी फौज भी बजट से उम्मीद लगाए हुए है।
रामकृष्ण वाजपेयी
कोरोना महामारी के दौरान अर्थ व्यवस्था पर पड़ी मार की भरपाई करने और रोजगार सृजन की दृष्टि से ये बजट महत्वपूर्ण रहेगा। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण महामारी से प्रभावित हुए टेक्सटाइल, किफायती आवास, पर्यटन, एमएसएमई और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे प्रमुख क्षेत्रों में रोजगारोन्मुख बजट ला सकती हैं। इसके साथ ही महामारी को देखते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर सृजित हो सकते हैं।
रोजगार पैदा करने पर होगा सरकार का ध्यान
भाजपा के ‘मुख्य वोट बैंक’ मध्यम आय वर्ग और असंगठित क्षेत्र है और ये दोनो ही कोरोनावायरस के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। लाखों लोगों की इस दौरान नौकरियां छूट गई हैं। इसके अलावा बेरोजगार युवाओं की बड़ी फौज भी बजट से उम्मीद लगाए हुए है। सरकार की मंशा इस वर्ग को पहुंची क्षति से उबारने की रहेगी।
इस साल चार राज्यों (तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, असम और केरल) और एक केंद्र शासित प्रदेश (पुडुचेरी) में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में बेरोजगारी एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है, इसलिए सरकार का ध्यान विनिर्माण और सेवा जैसे क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने पर होगा।
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किसानों और कृषि उपकरणों को लेकर कई घोषणाएं हो सकती हैं
उम्मीद है सरकार कड़े वित्तीय अनुशासन से परहेज करते हुए लोककल्याणकारी बजट पेश कर सकती है। भाजपा भी कुछ ऐसा ही दृष्टिकोण रखती है उसके थिंक टैंक ने बजट में बुनियादी ढांचे, निर्माण, आवास और पर्यटन आदि क्षेत्रों पर अधिक खर्च की वकालत की है, क्योंकि इसमें सबसे ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा होते हैं। किसान आंदोलन को देखते हुए बजट में किसानों और कृषि उपकरणों को लेकर कई घोषणाएं की जा सकती हैं। जिससे प्रोडक्शन से जुड़ी कंपनियों को भी राहत मिल सकती है और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने वाले उपाय किये जा सकते हैं।
महत्वपूर्ण यह है कि हम कोरोना महामारी की लंबी अवधि के बाद के दौर से गुजर रहे हैं। हालांकि टीकाकरण शुरू हो चुका है। लेकिन खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है। इसलिए लोगों को अभी भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है। ऐसे में सरकार का फोकस अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का माहौल बनाने पर रहने की संभावना है। बजट में व्यावसायिक प्रशिक्षण, कौशल प्रबंधन पर जोर दिये जाने से रोजगार सृजन के उद्देश्य की प्राप्ति हो सकती है। निजी क्षेत्र को भी प्रोत्साहन मिल सकता है।
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भाजपा का बड़ा वोट बैंक माने जाने वाले व्यापारी वर्ग और एक बड़े रोजगार सृजनकर्ता एमएसएमई क्षेत्र को बजट में खासी अहमियत मिल सकती है, इस तथ्य के बावजूद कि आत्मनिर्भर भारत पैकेज में उनके लिए राहत के उपाय किए गए थे। इसके अलावा सरकार को बैंकों को ‘एमएसएमई को आसान ऋण देने’ के लिए प्रेरित कर सकती है जिससे नए स्टार्टअप को बढ़ावा मिल सकता है।
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नए उद्यमों के लिए कोई उधार नहीं मिल रहा
अभी बैंक केवल उन एमएसएमई को ऋण दे रहे हैं, जिनका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा है। नए उद्यमों के लिए कोई उधार नहीं मिल रहा। इसलिए, दूसरे फंड बनाने के बजाये एमएसएमई को आसान कर्ज उपलब्ध कराने के लिए बैंकों को आगे बढ़ाना बेहतर विकल्प हो सकता है। कंसलटिंग फर्म डेलॉयट के बजट से जुड़े एक सर्वे के अनुसार बड़ी संख्या में शामिल लोग इकनॉमिक रिकवरी और मांग में बढ़ोतरी को लेकर आशावादी दिख रहे हैं। सर्वे में शामिल पेशेवर को भी उम्मीद है कि आगामी बजट में सरकार नौकरियां पैदा करने पर फोकस रख सकती है। खासतौर पर कम-कुशल वर्करों के लिए नौकरी पर फोकस रह सकता है। आय और मांग बढ़ाने के लिए सरकार ऐसा कर सकती है।
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