बजट से तगड़ा झटका: जनता की जेब काटने के लिए छोड़ा प्रेत, अब कैसे बचेंगे आप

फिलहाल लोग यह मानकर चल रहे हैं कि सरकार तेल कंपनियों की जेब से कोरोना काल के दौरान हुए फायदे को निकालने की कोशिश कर रही है। लेकिन इतिहास गवाह है कि जब भी पेट्रोलियम उत्पादों पर कोई सेस लगा है उसकी वसूली जनता की जेब से ही हुई है।

Update:2021-02-01 17:19 IST
Petrol Diesel Price: आज फिर महंगा हुआ पेट्रोल-डीजल

रामकृष्ण वाजपेयी

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पेट्रोल व डीजल पर कृषि सेस लगाकर जनता को जोर का झटका धीरे से दिया है। इस बार का बजट सचमुच में खास है, जब केंद्र सरकार ने जनता के कंधे पर प्रेत टैक्स छोड़ दिया है। अब सरकार नहीं ये प्रेत करेगा वसूली और इस पैसे को सरकार अपनी मनमर्जी से खर्च करने को स्वतंत्र हो जाएगी। हालांकि बजट में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने यह एलान नहीं किया।

उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि मैं कुछ चीजों पर एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डवलपमेंट सेस लगाने का प्रस्ताव रखती हूं। फिलहाल लोग यह मानकर चल रहे हैं कि सरकार तेल कंपनियों की जेब से कोरोना काल के दौरान हुए फायदे को निकालने की कोशिश कर रही है। लेकिन इतिहास गवाह है कि जब भी पेट्रोलियम उत्पादों पर कोई सेस लगा है उसकी वसूली जनता की जेब से ही हुई है।

यह भी पढ़ें: Budget 2021: बजट से झूमा शेयर बाजार, यहां जानें सेंसेक्स और निफ्टी का हाल

खाड़ी युद्ध के दौरान पहली बार सुना गया सेस का नाम

जहां तक ध्यान है 1990 के खाड़ी युद्ध के दौरान पहली बार सेस का नाम सुना गया था, ये तब वार सेस के रूप में आया था और पेट्रोल डीजल के दाम बढ़े थे। सारा भार पेट्रोलियम कंपनियों ने जनता के कंधों पर डालकर वसूली की थी। सरकार मूकदर्शक रही थी।

रोड सेस

इसके बाद आया रोड सेस। शुरू में यह सेस एक रुपये था। रोड सेस रोड सेस की शुरुआत 1998 में हुई तो पहले इसे सिर्फ पेट्रोल पर लगाया गया लेकिन एक साल बाद ही 1999 में इसे डीजल पर भी लगा दिया गया। रोड सेस से होने वाली कमाई का इस्तेमाल देश में सड़क, ब्रिज, अंडरपास बनाने के लिए किया जाता है।

शिक्षा सेस का भी यही हाल

सरकार इसे पेट्रोल और डीजल कंपनियों से नहीं बल्कि इन उत्पादों का इस्तेमाल करने वालों से वसूलती है। इसका सीधा असर आम आदमी की जेब और उसके बजट पर पड़ता है। एक रूपये का रोड सेस आज बहुत भारी हो गया है आम आदमी को एक लीटर पेट्रोल-डीजल खरीदते वक्त 18 रुपए प्रति लीटर तक चुकाने पड़ते हैं। शिक्षा सेस का भी यही हाल है इसकी वसूली भी जनता की जेब से ही हो रही है।

(फोटो- सोशल मीडिया)

कितना लगाया गया पेट्रोल-डीजल पर सेस

अब पेट्रोल-डीजल पर कृषि सेस लगाया गया है। पेट्रोल पर प्रति लीटर 2.50 रुपये और डीजल पर प्रति लीटर 4 रुपये का कृषि सेस लगाया गया है। कहा ये जा रहा है कि इसका सीधा असर ग्राहकों पर नहीं पड़ेगा। लेकिन तेल कंपनियां इसे अपनी जेब से तो नहीं भरेंगी। बोझ जनता पर आना तय है।

यह भी पढ़ें: Budget 2021: अपनी कमाई के हिसाब से जानें अब कितना देना पड़ेगा टैक्‍स

विशेषज्ञों का तर्क यह है कि पेट्रोल और डीजल पर कृषि सेस लगाए जाने के साथ ही मौलिक उत्पाद शुल्क (बीईडी) और विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एसएईडी) को कम किया गया है। इसलिए कृषि सेस का भार ग्राहकों पर नहीं पड़ेगा। लेकिन जमीनी हकीकत जल्द ही सामने आ जाएगी।

अब अनब्रान्डेड पेट्रोल और डीजल पर क्रमश: 1.4 रुपये और 1.8 रुपये प्रति लीटर का बीईडी लगेगा। वहीं, अनब्रांडेड पेट्रोल और डीजल पर एसएईडी को क्रमश: 11 रुपये और 8 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है।

लेकिन कम्पनियां धीरे- धीरे डीजल-पेट्रोल का दाम बढ़ाकर ये सेस जनता से उसूल सकती हैं इस बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस ने इसे आम जनता से लूट बताया है।

अब पेट्रोल-डीजल के अलावा एल्कोहॉलिक बेवरेज पर 100 प्रतिशत सेस लगाया जाएगा। वहीं कच्चे पाम तेल पर17.5 फीसदी और कच्चे सोयाबीन व सूरजमुखी तेल पर 20 फीसदी कृषि सेस लगाया जाएगा। यानी ये सब महंगे होने तय हैं।

सेस टैक्स नहीं भी है और है भी

कुल मिलाकर सरकार ने चुपके से जनता की जेब काटने वाले हथियार को चलाया है। सेस टैक्स नहीं भी है और है भी। यानी सरकार इसे टैक्स नहीं कहेगी लेकिन जनता की जेब कटेगी। मोटे तौर पर सेस वो शुल्क है जो सरकार अपनी किसी स्कीम या लोक निर्माण से जुड़े किसी खास मकसद को पूरा करने के लिए खर्च करने को स्वतंत्र है उसे किसी मंजूरी की जरूरत नहीं है।

यह भी पढ़ें: Budget 2021 में रेलवे, एवियेशन व उन्नत सड़कों पर रहा जोर

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Tags:    

Similar News