Corona in China: कोरोना के नए वेरिएंट से भयभीत हुआ चीनी शेयर मार्केट, 15 दिनों से लगा रहा है गोते

चीन में इन दिनों कोरोना के नए सब-वेरिएंट ने खलबली मचा दी है। ये वेरिएंट तेजी से फैल रहा है। इसका असर चीन के शेयर बाजार पर भी दिख रहा है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2022-07-13 16:16 IST

Chinese Stock Market। (Social Media)

Corona In China: कोरोनावायरस महामारी (Coronavirus) का उद्गम स्थल माने जाने वाला चीन (China) अभी तक इससे उबर नहीं पाया है। महामारी अपने तीसरे साल में प्रवेश कर चुकी है लेकिन दुनिया की महाशक्ति बनने के लिए ललायित ड्रैगन अब भी इससे जूझ रहा है। चीन में इन दिनों कोरोना के नए सब – वेरिएंट ने खलबली मचा दी है। ये वेरिएंट तेजी से फैल रहा है। जिससे नई लहर की आहट एकबार फिर सुनाई देने लगी है। इसका असर चीन के शेयर बाजार पर भी दिख रहा है।

चीन के वित्तीय बाजार सुस्ती के संकेत

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के वित्तीय बाजार सुस्ती के संकेत दे रहे हैं। 28 जून के बाद से Hang Seng China Enterprise Index तकरीबन नौ फीसदी गिर चुका है। बढ़ते कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकन के लिए चीन में एकबार फिर सख्त लॉकडाउन लगाया जा सकता है। अगर लॉकडाउन लगा तो देश की अर्थव्यवस्था के लिए इसके नतीजे काफी भयावह होंगे।

चीन में कोरोना के नए सब – वेरिएंट के कारण एकबार फिर लगाया जाता लॉकडाउन

रिपोर्ट में बाजार के विशेषज्ञों के हवाले से बताया गया है कि अगर चीन में कोरोना के नए सब – वेरिएंट के कारण एकबार फिर लॉकडाउन लगाया जाता है तो फैक्ट्रियों में उत्पादन ठप हो जाएगा। विनिर्माण से जुड़े काम रूक जाएंगे, परिवहन भी ठप हो जाएंगे। लोग खर्च नहीं कर पाएंगे। कर्ज की मार झेल रही कंस्ट्रक्शन कंपनियां पहले से ही मुश्किलों का सामना कर रही हैं। चीन के रियल एस्टेट की एक बड़ी कंपनी Evergrande Group अपने लोन पर डिफॉल्ट कर सकती है। जानकार हाल के दिनों में कच्चे तेल में आई नरमी की वजह भी चीन के कुछ शहर में लगे लॉकडाउन को मानते हैं।

ग्रोथ रेट हासिल करने की उम्मीद

इकोनॉमी से जुड़े तमाम इंडिकेटर्स इस बात की गवाही दे रहे हैं कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन में गिरावट का दौर शुरू हो चुका है। लेकिन चीन सरकार की उम्मीदें इस साल की दूसरी छमाही पर टिकी हैं। जिनपिंग सरकार का मानना है कि इससे 5.5 प्रतिशत ग्रोथ का लक्ष्य हासिल हो जाएगा। सरकार को लगता है कि वो कुछ वित्तीय उपायों जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाकर और बिजनेस पर टैक्स कम करके ऐसा कर सकती है। 

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