PPF व FD में निवेश करने पहले जानें कौन हैं बचत के बेहतरीन विकल्प, जानें पूरी जानकारी
PPF vs FD: अगर कोई निवेश किसी को एफडी के परिपक्व होने से पहले उसमें से पैसा निकालना है तो उस पर जुर्माना शुल्क लिया जाता है। वहीं, पीपीएफ निवेश के पांच साल पूरे होने पर आंशिक निकासी की अनुमति देता है।
PPF vs FD: यदि आप अपनी बचत के लिए सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) और सावधि जमा (एफडी) को चुन रहे हैं तो यह खबर आपके लिए है। लोगों के लिए PPF और FD बचत के लिए उत्कृष्ट विकल्प होता साबित हो सकता है। लेकिन पैसा लगाने से पहले निवेशक दोनों के बार में सही से जानकारी ले लेना चाहिए, ताकि उन्हें कर लाभ और आपके निवेश पर ब्याज अर्जित करने का मौका दोनों से प्रदान हो सके। आइये जानते हैं इसके बारे में
अपनी जरूरतों के हिसाब से चुनें ये विकल्प
मुंबई स्थित कर और निवेश विशेषज्ञ बलवंत जैन का कहना है कि पीपीएफ उन लोगों के लिए सबसे अच्छा है जो कर लाभ और सुरक्षित निवेश विकल्प के साथ दीर्घकालिक बचत की तलाश में हैं। दूसरी ओर, एफडी अधिक लचीलापन और तरलता देते हैं।
PPF व FD से आयकर लाभ
निवेशक को पीपीएफ योगदान करने में आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कर कटौती के लिए योग्य होता है। इससे अर्जित ब्याज और परिपक्वता राशि कर-मुक्त है। वहीं, बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करना सुरक्षित माना जाता है और यह एक लोकप्रिय निवेश उपकरण है। ऐसे निवेशों पर कर-पश्चात रिटर्न आम तौर पर बैंक की प्रस्तावित ब्याज दर से कम होता है, “उच्च कर ब्रैकेट वाले व्यक्ति अपने आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करके टीडीएस का दावा नहीं कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप सावधि जमा से कर-पश्चात रिटर्न कम होता है।
दोनों की ब्याज दरें क्या हैं?
निवेशक पीपीएफ पर मौजूदा ब्याज दर 7.1 फीसदी (जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए) है। सरकार हर तिमाही दर की घोषणा करती है। यह घट और बढ़ सकती है। जबकि बैंकों में एफडी पर ब्याज दरें आम तौर पर सालाना 3.5% से 7.5% तक होती हैं,लेकिन इस वक्त यह अधिकतम ब्याज दरें 9 फीसदी तक पहुंच गई हैं।
कैसे होती है ब्याज दरों की गणना
पीपीएफ के संबंध में जिस ब्याज को अर्जित करने या संयोजित करने की आवश्यकता होती है, वह वर्ष में एक बार किया जाता है। सावधि जमा के मामले में ब्याज दर निर्धारित करने के लिए या तो साधारण ब्याज या चक्रवृद्धि ब्याज का उपयोग किया जाता है।
कब पैसा निकाल सकते हैं
इस पर बाजार एक्सपर्ट का कहना है कि अगर कोई निवेश किसी को एफडी के परिपक्व होने से पहले उसमें से पैसा निकालना है तो उस पर जुर्माना शुल्क लिया जाता है। वहीं, पीपीएफ निवेश के पांच साल पूरे होने पर आंशिक निकासी की अनुमति देता है। हालांकि पूरे 15 साल की अवधि समाप्त होने के बाद पूर्ण निकासी की भी अनुमति है। यदि आप तरलता की तलाश में हैं तो आवश्यकता के आधार पर एफडी का विकल्प चुनें, क्योंकि यह सात दिनों से लेकर दस साल तक की विभिन्न अवधि प्रदान करता है। पीपीएफ के मामले में कार्यकाल काफी लंबा है यह अधिकतम 15 वर्ष का होता है। इसको उपयोग उन लोगों करना चाहिए जो सेवानिवृत्ति के लिए कोष तैयार करना चाह रहे हों।
जोखिम के मामले में कौन अच्छा
जोखिम एफडी के मामले में, जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) प्रति बैंक प्रति जमाकर्ता ₹5 लाख तक आपके पैसे की सुरक्षा करता है। पीपीएफ कम जोखिम वाला निवेश विकल्प है,। यह पूरी तरह से सरकार द्वारा समर्थित है।