Gulkhaira Farming Tips: इस पौधे से बनती है औधषियां, चंद महीनों में बन जाएंगे लखपति, जानें कैसे करें ?
Gulkhaira Farming Tips: गुलखैरा की खेती मुख्य रुप से अफगानिस्तान और पाकिस्तान में होती है, लेकिन अब धीरे धीरे भारत में भी इसकी खेती की जाने लगी है। उत्तर प्रदेश के कन्नौज, हरदोई व उन्नाव जिले के किसान गुलखैरा की खेती कर रहे है और सालाना लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं।
Gulkhaira Farming Tips: यदि आप किसान हैं और अपनी कमाई से परेशान है तो आपको अब पारंपरिक खेती को छोड़ना पड़ेगा या फिर उसके साथ-साथ कुछ उन फसलों की खेती करने की होगी, जिसकी बाजार में अधिक मांग हो और फसल का अच्छा दाम मिले। हमारे देश में ऐसी कई औषधीय फसलों की खेती की जाती है, जिसकी किसान खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकता है। आज मैं आपको एक ऐसी ही औषधीय फसल की खेती के बारे में बताने जा रहा हूं कि जिसमें जो भी व्यक्ति ने कदम रखा है वह चंद महीनों में लखपति बन गया है और अधिक समय तक काम करने वाला व्यक्ति करोड़पति तक बना गए हैं। पहले इसकी खेती मुख्य तौर पर पाकिस्तान और अफगानिस्तान में होती है, लेकिन अब भारत में भी इसकी खेती की जाने लगी है। यहां तक यूपी में भी इस औषधीय फसल की खेती हो रही है।
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चंद महीनों में किसान बना जाता है लखपति
दरअसल, हम जिस औषधीय फसल की बात कर रहे हैं, वह गुलखैरा की खेती है। गुलखैरा एक प्रकार का औषधीय फल होता है, जिसका उपयोग कई प्रकार की दवाइयों को तैयार करने में किया जाता है। इसकी खेती की खास बात यह होती है कि गुलखैरा के जड़ से लेकर पत्तियां, तना और बीज तक बाजार में बिकता है, जिसके चलते इसकी खेती करने वाला किसान हमेशा से फायदे में रहता है। अगर आप किसान हैं और यूपी के रहने वाले किसान हैं तो गुलखैरा की खेती आपको कुछ सालों मे करोड़पति बना सकती है। आइये आपको बताते हैं कि कैसे करें गुलखैरा की खेती?
कैसे करें गुलखैरा की खेती?
किसान भाई ध्यान दें कि गुलखैरा की खेती करने का समय आ रहा है। गुलखैरा की खेती यानी बुवाई नवंबर महीने में की जाती है। पहली बार बुवाई कर रहे किसान को बाजार से गुलखैरा का बीज खरीदना पड़ता है, लेकिन एक जो किसान इसकी खेती कर लेता है तो उससे दोबारा इसका बीज नहीं खरीदना पड़ता है। फसलों की बीजों के दोबारा गुलखैरा की बुवाई हो जाती है। इसकी फसल अप्रैल-मई महीने में तैयार हो जाती है। जब फसल तैयार होती है तो फूल की पत्तियां और तना सूखकर खेत में गिर जाता है, जिसको किसाना इक्कठा कर लेते हैं और बाद में इसकी बिक्री करते हैं। एक बीधा में 5 क्विंटल गुलखैरा तैयार होता है।
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गुलखैरा का फल यहां होता है उपयोग
जैसा कि पहले ऊपर बताया है कि यह एक औषधीय खेती है। तो इसके फूल पत्तियों से लेकर तना उपयोग यूनानी दवाओं को तैयार करने में होता है। मर्दाना ताकत की दवाओं में भी इसका फूल मिलता है। इसके अलावा बुखार व खांसी की दवाओं में भी गुलखैरा के फूल का उपयोग किया जाता है।
यहां यहां पैदा होता है गुलखैरा?
गुलखैरा की खेती मुख्य रुप से अफगानिस्तान और पाकिस्तान में होती है, लेकिन अब धीरे धीरे भारत में भी इसकी खेती की जाने लगी है। उत्तर प्रदेश के कन्नौज, हरदोई व उन्नाव जिले के किसान गुलखैरा की खेती कर रहे है और सालाना लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। रेट की बात करें तो गुलखैरा 10 हजार रुपये क्विंटल तक बिकता है। तो इस हिसाब से किसान भाई मात्र एक बीधे में 50 से 60 हजार रुपए की कमाई कुछ महीनों में कर सकता है।