सावधान शहद खाने वालों: मिठास में मिला जहर, फेल नामी-गिरामी कंपनियां

हम अधिक शहद का उपभोग कर रहे हैं ताकि महामारी से लड़ सकें, लेकिन शुगर की मिलावट वाला शहद हमें बेहतर नहीं बना रहा है और खतरे में डाल रहा है।

Update: 2020-12-02 11:51 GMT
एनएमआर परीक्षण वैश्विक स्तर पर मोडिफाई शुगर सिरप को जांचने के लिए प्रयोग किया जाता है। 13 ब्रांड परीक्षणों में सिर्फ 3 ही एनएमआर परीक्षण में पास हो पाए। इन्हें जर्मनी की विशेष प्रयोगशाला में जांचा गया था।

नई दिल्ली: शहद को आज के समय में अमूल्य पवित्र और अमृत की तरह माना जाता है। इसका सेवन औषधि की तरह किया जाता है। लेकिन इसमें जबरदस्त मिलावट की जा रही है। यह हालत सिर्फ सड़क किनारे भगोने में बिकने वाले शहद की नहीं, बल्कि नामी गिरामी ब्रांडेड शहद की भी है।

सीएसई ने इसका खुलासा करते हुए बाजार में बिकने वाले 13 ब्रांड वाले प्रोसेस्ड शहद को चुना। इन ब्रांड के नमूनों को सबसे पहले गुजरात के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड में स्थित सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फूड में जांचा गया। लगभग सभी शीर्ष ब्रांड (एपिस हिमालय छोड़कर) शुद्धता के परीक्षण में पास हो गए, जबकि कुछ छोटे ब्रांड इस परीक्षण में फेल हुए, उनमें सी3 और सी4 शुगर पाया गया, यह शुगर चावल और गन्ने के हैं, लेकिन जब इन्हीं ब्रांड्स को न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (एनएमआर) परीक्षण पर परखा गया तो लगभग सभी ब्रांड के नमूने फेल पाए गए।

वैश्विक स्तर पर मोडिफाई

एनएमआर परीक्षण वैश्विक स्तर पर मोडिफाई शुगर सिरप को जांचने के लिए प्रयोग किया जाता है। 13 ब्रांड परीक्षणों में सिर्फ 3 ही एनएमआर परीक्षण में पास हो पाए। इन्हें जर्मनी की विशेष प्रयोगशाला में जांचा गया था।

सीएसई के फूड सेफ्टी एंड टॉक्सिन टीम के कार्यक्रम निदेशक अमित खुराना ने कहा कि हमने जो भी पाया वह चौंकाने वाला था कि मिलावट का व्यापार कितना विकसित है जो खाद्य मिलावट को भारत में होने वाले परीक्षणों से आसानी से बचा लेता है।

 

जांच में सामने आए इन कंपनियों के नाम

77 फीसदी नमूनों में शुगर सिरप के साथ अन्य मिलावट पाए गए। कुल जांचे गए 22 नमूनों में केवल पांच ही सभी परीक्षण में पास हुए। शहद के प्रमुख ब्रांड्स जैसे डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडु, हितकारी और एपिस हिमालय, सभी एनएमआर टेस्ट में फेल पाए गए।

13 ब्रांड्स में से सिर्फ 3 – सफोला, मार्कफेड सोहना और नेचर्स नेक्टर, सभी परीक्षणों में पास पाए गए। भारत से निर्यात किए जाने शहद का एनएमआर परीक्षण 1 अगस्त, 2020 से अनिवार्य कर दिया गया है, जो यह बताता है कि भारत सरकार इस मिलावटी व्यापार के बारे में जानती थी, इसलिए उसे अधिक आधुनिक परीक्षणों की आवश्यकता पड़ी। इसमे गोल्डन सिरप, इनवर्ट शुगर सिरप और राइस सिरप का इस्तेमाल शहद में मिलावट के लिए किया जा रहा है।

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चीन के व्यापारिक पोर्टल्स की छानबीन

निदेशक अमित खुराना ने कहा कि एफएसएसएआई के निर्देश में जिन सिरप के बारे में कहा गया है, वे उन नामों से आयात नहीं किए जाते हैं या इनसे मिलावट की बात साबित नहीं होती। इसकी बजाए चीन की कंपनियां फ्रुक्टोज के रूप में इस सिरप को भारत में भेजती हैं।

चीन की कंपनियों को ईमेल भेजे गए और उनसे अनुरोध किया गया कि वे ऐसे सिरप भेजें, जो भारत में परीक्षणों में पास हो जाएं। उनकी ओर से भेजे गए जवाब में हमें बताया गया कि सिरप उपलब्ध हैं और उन्हें भारत भेजा जा सकता है।

सीएसई ने अलीबाबा जैसे चीन के व्यापारिक पोर्टल्स की छानबीन की जो अपने विज्ञापनों में दावा करते हैं कि उनका फ्रुक्टोज सिरप भारतीय परीक्षणों को बाईपास कर सकता है। सीएसई ने इस मामले में और जानकारी हासिल करने के लिए एक अंडरकवर ऑपरेशन चलाया।

 

सीएसई की तरफ से बयान

सुनीता नारायण ने कहा कि इस समय हमने मिलावट के कारोबार का खुलासा किया है। हम सरकार, उद्योग और उपभोक्ताओं से ये चाहते हैं कि -चीन से सिरप और शहद का आयात बंद किया जाए। भारत में सार्वजनिक परीक्षण का सुदृढ़ीकरण किया जाए, ताकि कंपनियों को जिम्मेदार ठहराया जा सके। शहद मधुमक्खी पालकों या छत्तों से लिया गया है, सभी शहद बेचने वाली कंपनियों को इसका खुलासा करना चाहिए।

 

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शुगर की मिलावट वाला शहद

सुनीता नारायण ने कहा कि हमें बतौर उपभोक्ता शहद के बारे में और अधिक जागरूक होना चाहिए जो हम इसकी अच्छाई के लिए खाते हैं। नारायण ने कहा कि हम अधिक शहद का उपभोग कर रहे हैं ताकि महामारी से लड़ सकें, लेकिन शुगर की मिलावट वाला शहद हमें बेहतर नहीं बना रहा है और खतरे में डाल रहा है। लोग इस समय जानलेवा कोविड-19 के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं और इससे बचने का कोई रास्ता नहीं है। ऐसे कठिन समय में भोजन में चीनी का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल हालात को और भयावह बना देगा।

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