लाखों का होगा फायदा: इस खेती से ले लेंगे फॉर्च्यूनर कार, बस इस तरह से करें काम

How To Baby Corn Farming: यह देश से तीसरी सबसे खेती है। किसान गेहूं और चावला के बाद अगर किसी फसल को उगाता है तो वह मक्का होता है। मक्के की खेती साल में 3-4 बार कर सकते हैं। किसान जनवरी से लेकर अक्टूबर तक बेबी कॉर्न की खेती तक सकता है, नमी और सिंचित स्थितियों के आधार पर होती है।

Update:2023-06-19 15:23 IST
How To Baby Corn Farming (सोशल मीडिया)

How To Baby Corn Farming: दिन पर दिन देश में किसानी खेती का विस्तार हो रहा है। पहले की तुलना में अब लोग एक फिर बार फिर से खेती से जुड़ने लगे हैं। इस जुड़ा की वजह यह है कि यहां होने वाली आय में वृद्धि हुई है। बाजार में कई ऐसी फसलें मौजूद हैं, जिनको किसान उगाकर मालामाल हो रहे हैं। इन फसलों के बने प्रोडक्ड की मांग का आलम यह है कि सीजन में तो मांग होती है, ऊपर गैर सीजन के दौरान भी मांग बनी रहती है, मांग वजह से किसानों को फसलों के अच्छे दाम मिलते हैं। इन्ही फसल में से एक फसल है मक्का की खेती यानी बेबी कॉर्न (Baby Corn) की फसल। आज के दौर में जो भी किसान बेबी कॉर्न की खेती कर रहा है, वह अन्य फसलों की तुलना में अधिक लाभ कमा रह है।

आखिर क्यों हैं बेबीकॉर्न की मांग ?

दरअसल, मक्का जिसको इंग्लिश में बेबी कॉर्न बोलते हैं, उसमें कई सारे पोषक तत्व मौजूद रहते हैं, जो हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। मक्के के आटा के साथ बाजार में मक्के के जुड़े कई खाने की चीजें बनाई जा रही है, जिनकी मांग अब गांव लेकर शहरों के बड़े बड़े फाइव स्टार होटलों, रेस्टोरेंट व पिच्जा व पास्ता बनाने वाली कंपनियों के आउटलेट में बढ़ती जा रही है। बाजार में मक्का का आटा से लेकर भुट्टा, पॉपकॉन, पिज्जा, पास्ता इत्यादि चीजें बनाई जा रही हैं। इन की मांग से किसानों को लाभ हो रहा है।

पशुओं के चारे के लिए भी काम आती फसल

यह देश से तीसरी सबसे खेती है। किसान गेहूं और चावला के बाद अगर किसी फसल को उगाता है तो वह मक्का होता है। किसान मक्का की फसल से दो प्रकार से कमाई करता है। पहला फसल के बीज बेचकर और दूसरा बीज के बाद बची फसल को पशुओं के चारे में बेचकर। कहते हैं कि मक्के की फसला का चारा काफी पौष्टिक होता है। अगर इसके चारे को दूध देने वाले पशु सेवन करते हैं तो उनकी दुग्ध उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है, क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेड, कैल्सियम, प्रोटीन और विटामिन पाया जाता है, जो पशुओं और मनुष्य दोनों के लिए उपयोगी होता है।

45-50 दिन में तैयार हो जाती है फसल

मक्के की खेती साल में 3-4 बार कर सकते हैं। किसान जनवरी से लेकर अक्टूबर तक बेबी कॉर्न की खेती तक सकता है, नमी और सिंचित स्थितियों के आधार पर होती है। मार्च के दूसरे सप्ताह में बुवाई के आद अप्रैल के तीसरे सप्ताह में सबसे अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है। इसकी पूरी फसल को तैयार होने में 45 से 50 दिन का समय लगता है। वहीं, मक्का के अपरिपक्व भुट्टे को बेबी कॉर्न कहा जाता है। सिल्क की 1 से 3 सेमी लंबाई वाली अवस्था और सिल्क आने के 1-3 दिनों के अंदर तोड़ा जाता है।

कैसे करें बेबीकॉर्न की खेती

बेनी कॉर्न की खेती कर रहे उन्नाव जिले के हिलौली ब्लॉक स्थित रजवाड़ा ग्राम के सिक्का खेड़ा गांव के निवासी सिद्धनाथ सिंह ऊर्फ गोले सिंह का कहना है कि यह फसल को रबी में 110-120 दिनों में, जायद में 70-80 दिनों में तथा खरीफ के मौसम में 55-65 दिनों में रेडी हो जाती है। अगर कोई किसान एक एकड़ में बेबीकॉर्न की खेती करता है तो उसका 15 हजार रुपये खर्च होता है। एक हैक्टेयर में बीज का दर 25-25 किग्रा प्रति होना चाहिए। पौधे से पौधे की दूरी 15 सेमी और पौधे की पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेमी होनी चाहिए। बीज को 3-4 सेमी गहराई में बोना चाहिए। मेड़ों पर बीज की बुवाई करनी चाहिए और मेड़ों को पूरब से पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए।

कमाई

बेबीकॉर्न से किसान पूरे साल चार फसल बोकर 4 लाख रुपये की कमाई कर सकता है। प्रति एकड़ फसल पर 15 हजार रुपये का खर्चा आता है। हर फसल पर 1 लाख रुपये की बचत होती है। बेनीकॉर्न की खेती को लेकर सरकार भी अपनी सहायता प्रदान कर रही हैं। केंद्र सरकार बेबीकॉर्न व मक्के की खेती के लिए किसानों को बढ़ा दे रही हैं। वहीं, बड़े लेवल पर इसकी खेती करने पर सरकार आर्थिक सहायता मुहैया प्रदान करवा रही हैं। चाहें तो किसान अधिक जानकारी हासिल करने के लिए iimr.icar.gov.in पर विजिट कर सकते हैं।

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