कोविड-19 साइड इफेक्टः ई कामर्स मार्केट में बूम, डिजिटल खरीदारी भा गई लोगों को
भारत का ई-कॉमर्स बाजार जो कि 2020 में लगभग 60 बिलियन डॉलर था इसके अब मोबाइल से खरीदारी के बढ़ते चलन के बीच 2024 तक 111 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। भारत का मार्केट अगले चार वर्षों में सालाना 21 प्रतिशत वृद्धि की दर से बढ़ने का अनुमान है।
रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ: देश में ऑन लाइन कारोबार की बढ़ती मांग के बीच भारत के ई कामर्स मार्केट के 2024 तक 84 प्रतिशत वृद्धि दर के साथ 111 बिलियन डालर हो जाने का अनुमान लगाया गया है। इसकी वजह यह है कि लोगों को आम घरेलू उपयोग की वस्तुएं और महीने का राशन ई कामर्स मार्केट पर बाजार के खुदरा व्यापारियों के मुकाबले कहीं अधिक सस्ता मिल रहा है।
2024 तक भारत की ई-कॉमर्स मार्केट के 84 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान
फिनटेक फर्म एफआईएस की एक रिपोर्ट में बुधवार को कहा गया है कि कोविड -19 महामारी के दौरान शारीरिक दूरी की गाइड लाइन के चलते और विकल्प में जनता द्वारा डिजिटल तकनीकों को त्वरित रूप से अपनाए जाने से 2024 तक भारत की ई-कॉमर्स मार्केट के 84 प्रतिशत वृद्धि के साथ 111 बिलियन डॉलर हो जाने का अनुमान है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत सहित तमाम देशों में कोविड -19 की वजह से उपभोक्ताओं के व्यवहार में बदलाव आया है और उन्होंने भुगतान के नये तरीकों के प्रति रुझान बढ़ाया है। एफआईएस ने अपनी 2021 की ग्लोबल पेमेंट्स रिपोर्ट में 41 देशों में वर्तमान और भविष्य के भुगतान के रुझान की जांच की।
भारत का ई-कॉमर्स बाजार जो कि 2020 में लगभग 60 बिलियन डॉलर था इसके अब मोबाइल से खरीदारी के बढ़ते चलन के बीच 2024 तक 111 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। भारत का मार्केट अगले चार वर्षों में सालाना 21 प्रतिशत वृद्धि की दर से बढ़ने का अनुमान है।
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डिजिटल वॉलेट से उपभोक्ता ने की खरीदारी
मोबाइल में डिजिटल वॉलेट से उपभोक्ता वस्तुओं की खरीदारी में 40 प्रतिशत ने क्रेडिट कार्ड और 15 प्रतिशत ने डेबिट कार्ड को प्राथमिकता दी है। इसके साथ ही ऑन लाइन पेमेंट में 2024 तक 47 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है। इसके अलावा अभी खरीदो भुगतान बाद में जैसी स्कीमों का भी मार्केट पर असर पड़ा है। हालांकि अभी यह बाजार तीन फीसदी का है जिसके 2024 तक बढ़कर नौ फीसदी हो जाने का अनुमान है।
इस मार्केट की ग्रोथ देखते हुए ऐसा लगता है कि ई मार्केट अब पारंपरिक वेबसाइटों तक सीमित नहीं है बल्कि खुदरा व्यवसाय भी इसमें शामिल हो गया है। इसे इस तरह भी देखा जा सकता है कि बाजार अब उपभोक्ता की मुट्ठी में है। उसे न तो बाजार जाना है न भीड़ भाड़ में अफरातफरी के बीच अपने उपयोग की वस्तु तलाशनी है। वह किसी भी तनाव से मुक्त होकर सीधे अपनी जरूरत की वस्तु का चयन करता है उसके बारे में सोशल मीडिया पर आ रही प्रतिक्रियाओं से गाइड होता है। जो लोग डिजिटल भुगतान की क्षमता रखते हैं वह तेजी से खुदरा और ई मार्केट को कैप्चर कर सकते हैं।
निजी संस्था को आउटसोर्स करने पर विचार
डिजिटल मार्केट की ग्रोथ को देखते हुए ही एमएसएमई मंत्रालय अब भारतीय एमएसएमई उत्पादों को ऑनलाइन बेचने को बेताब हो गया है। पहले वह अलीबाबा और अमेज़न की तर्ज पर ई-कॉमर्स पोर्टल भारत क्राफ्ट लाना चाहता था लेकिन अब एक निजी संस्था को आउटसोर्स करने पर विचार कर रहा है।
सोमवार को मुंबई में एसएमई बॉडी इंडिया एसएमई फोरम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, "हमने सरकार के साथ कई दौर की बैठकें कीं, साथ ही सरकार ने ई -मार्केट (जीईएम) के साथ कई दौर की बैठकें कीं, लेकिन अब पोर्टल को निजी हाथों से संचालित करने की तैयारी है। पोर्टल जितना बेहतर प्रदर्शन करेगा, उतना ही बेहतर कमीशन मिलेगा।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) भा आज एक ऐप लॉन्च करने जा रहा है ताकि वह अपने ई-कॉमर्स पोर्टल भारत मार्केट के लिए छोटे व्यापारियों को अवसर दे सके। सीएआरआईटी ने कहा है कि भारत मार्केट व्यापारियों और व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए शुद्ध रूप से सबसे आधुनिक डिजिटल तकनीक के साथ भौतिक ऑफ़लाइन खुदरा व्यापार का सबसे अच्छा संयोजन है।
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ऑन लाइन खरीदारी का बाजार ग्रोथ कर रहा है
ऑन लाइन खरीदारी का बाजार किस तरह ग्रोथ कर रहा है इसका एक नमूना पिछले दिनों देखने को मिला जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आदिवासी महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाए गए उत्पादों को खरीदने के लिए ट्राइब्स इंडिया पोर्टल को चुना तो इसके बाद पोर्टल ने 30,000 से अधिक दैनिक ग्राहकों की वृद्धि दर्ज की पोर्टल को लगभग 1.50 लाख रुपये के ऑर्डर मिले।
इसी तरह एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 2021-22 में सार्वजनिक खरीद पोर्टल GeM से 1 लाख करोड़ रुपये की वस्तुओं और सेवाओं की खरीद की उम्मीद है। सरकार ने यह ई-मार्केट (GeM) पोर्टल अगस्त 2016 में ऑनलाइन खरीद के लिए शुरू किया था। GeM के मुख्य कार्यकारी अधिकारी तलीन कुमार ने कहा कि 2020-21 में ऑर्डर मूल्य 37,000 करोड़ रुपये है, जो पिछले वर्ष में 22,896 करोड़ रुपये था। मार्च 2021 तक रेल मंत्रालय के ऑनबोर्डिंग के साथ, GeM अगले वित्त वर्ष के एक लाख करोड़ रुपये के ऑर्डर मूल्य की ओर अग्रसर है।
कुल मिलाकर भारत के खुदरा व्यवसायियों को अपने परंपरागत बाजार और मार्केट की धारणा को तोड़कर लागत में कटौती करते हुए ऑन लाइन खरीदारी के तरीकों को अपनाना होगा तभी वह भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
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