अब इस कंपनी में हिस्सेदारी बेचेगी सरकार, मंगाई बोली, रखी ये बड़ी शर्त
आपको बता दें कि BEML में 26 फीसदी हिस्सेदारी की कीमत मौजूदा बाजार भाव पर एक हजार 055 करोड़ रुपये है। मौजूदा समय में केंद्र के पास इस कंपनी में 54.03 फीसदी की हिस्सेदारी है।
नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) एक और सरकारी कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए तैयार है और इसके लिए रविवार को बोली (Bid) मंगाई है। जिस कंपनी में सरकार अपनी रणनीतिक हिस्सेदारी बेच रही है, वो कंपनी है BEML. बीईएमएल में मैनेजमेंट कंट्रोल के साथ केंद्र अपनी 26 फीसदी हिस्सेदारी बेचने वाली है। BEML में हिस्सेदारी खरीदने के लिए इच्छुक कंपनियों को 1 मार्च 2021 से पहले EoI यानी एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट जमा करना होगा।
सरकार के पास है इतनी हिस्सेदारी
सरकार के इस फैसले के बाद अब बीईएमएल भी उन्हीं कंपनियों में शामिल हो गई है, जिसमें मोदी सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचने जा रही है। आपको बता दें कि BEML में 26 फीसदी हिस्सेदारी की कीमत मौजूदा बाजार भाव पर एक हजार 055 करोड़ रुपये है। मौजूदा समय में केंद्र के पास इस कंपनी में 54.03 फीसदी की हिस्सेदारी है। बाकी हिस्सेदारी व्यक्तिगत, म्यूचुअल फंड्स, विदेशी संस्थागत निवेशक और वित्तीय संस्थानों के पास है।
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तीन बिजनेस क्षेत्र में काम करती है कंपनी
BEML को भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (Bharat Earth Movers Ltd.) के नाम से भी जाना जाता था। BEML में 26 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की इच्छुक कंपनियों को ओपेन ऑफर के जरिए कंपनी में अतिरिक्त 26 फीसदी भी खरीदनी होगी। ऐसा सेबी के नियमों के तहत जरूरी है। BEML तीन स्पेशल बिजनेस क्षेत्र (Special Business Areas) में काम करती है, जैसे माइनिंग और कंस्ट्रक्शन, डिफेंस और एयरोस्पेस, रेल और मेट्रो क्षेत्र।
दो चरणों में होगा विनिवेश
इस कंपनी में 6,602 कर्मचारी काम करते हैं। इस कंपनी का वित्त वर्ष 2020 में कुल मुनाफा 68 करोड़ रुपये रहा था। बेंगलुरु की इस कंपनी में दो चरणों में विनिवेश (Disinvestment) किया जाएगा। पहले चरण में चुनी गई कंपनियों को फाइनेंशियल बिड सबमिट करना होगा। जिसमें नॉन-कोर जमीन और अन्य एसेट्स को हटा दिया जाएगा। प्रस्तावित विनिवेश में ये शामिल नहीं होंगे।
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रखी गईं ये शर्तें
एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट की शर्तों के अनुसार, कंपनियां, LLPs और भारत में निवेश करने योग्य फंड्स Disinvestment प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते हैं। उनके पास 1,400 करोड़ रुपये का नेटवर्थ होना चाहिए। वहीं इसमें कॉन्सॉर्टियम के माध्यम से भी शामिल हुआ जा सकता है, लेकिन प्रमुख सदस्य के पास कम से कम 51 फीसदी हिस्सेदारी होगी। इसके अलावा विनिवेश प्रक्रिया में शामिल होने वाली कंपनियों के पास बीते पांच सालों में कम से कम तीन साल में टैक्स के पास पॉजिटिव प्रॉफिट होना चाहिए।
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