RBI का मास्टर स्ट्रोक, रेपो रेट में बिना कटौती के सस्ता होगा होम और कार लोन!
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने गुरुवार को मौजूदा वित्त वर्ष की छठीं और अंतिम मौद्रिक नीति का एलान किया है, लेकिन रेपो रेट में कोई कटौती नहीं की।
नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने गुरुवार को मौजूदा वित्त वर्ष की छठीं और अंतिम मौद्रिक नीति का एलान किया है, लेकिन रेपो रेट में कोई कटौती नहीं की। चालू वित्त वर्ष 2019-20 की 6वीं द्विमासिक मौद्रिक नीति का एलान करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को 5.15 फीसदी पर बरकरार रखा है।
रिवर्स रेपो रेट भी 4.90 प्रतिशत पर बरकरार है। रिजर्व बैंक ने सीपीआर 4 फीसदी और एसएलआर 18.5 फीसदी पर बनाए रखा है। आरबीआई ने इससे पहले दिसंबर में भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया था जबकि दिसंबर मौद्रिक नीति के पहले लगातार 5 बार में ब्याज दरों में 1.35 फीसदी कटौती हुई थी।
रिजर्व बैंक गवर्नर शंक्तिकांता दास ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 की अंतिम मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि एमपीसी के सभी सदस्य बदलाव न करने के पक्ष में थे। जनवरी-मार्च में सीपीआई महंगाई दर अनुमान 6.5% रखा गया है।
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रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2021 के लिए जीडीपी 6 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। जबकि अक्टूबर से दिसंबर 2020 के लिए जीडीपी ग्रोथ 6.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। अप्रैल से सितंबर 2020 के दौरान जीडीपी ग्रोथ 5.5 से 6 फीसदी रहने का अनुमान है। रिजर्व बैंक के मुताबिक घरेलू मांग में कमी धीमी ग्रोथ का सबसे बड़ी वजह है।
दास ने कहा कि अक्टूबर-दिसंबर, 2020 से महंगाई घटने का अनुमान है। कस्टम ड्यूटी बढ़ने से महंगाई में एकमुश्त बढ़ोतरी संभव है। इकोनॉमी में आगे भी कमजोरी के संकेत दिख रहे हैं। आरबीआई की अगली पॉलिसी 3 अप्रैल 2020 को होगी। रीयल एस्टेट सेक्टर के लिए बड़ी राहत का ऐलान हो सकता है।
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एमपीसी ने पॉलिसी का रुख अकोमेडेटिव बरकरार रखा है। यानी आगे ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद बनी हुई है। अगली मौद्रिक समीक्षा बैठक अप्रैल 2020 को होगी। बता दें कि पिछली मॉनेटरी पॉलिसी में भी आरबीआई ने रेपो रेट को 5.15 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा था। रिवर्स रेपो रेट भी 4.90 फीसदी पर बरकरार है. रिजर्व बैंक ने सीआरआर 4 फीसदी और एसएलआर 18.5 फीसदी पर बनाए रखा है।
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