Vishwakarma Yojana Scheme: आज पीएम मोदी का बड़ा ऐलान, जानें क्या है विश्वकर्मा योजना ?
Vishwakarma Yojana Scheme: प्रधानमंत्री मोदी हर साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से नई-नई स्कीम की घोषणा करते रहे हैं। इस बार भी उन्होंने कुछ नई योजनाओं को लेकर बड़ा ऐलान किया है।
Vishwakarma Yojana Scheme: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आज यानी मंगलवार 15 अगस्त को राष्ट्र ध्वज फहराया। इसके बाद ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करने के दौरान एक नई योजना का ऐलान किया। जिसकी अब चर्चा शुरू हो गई है। इस नई स्कीम का नाम है ‘विश्वकर्मा योजना’ ।
दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी हर साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से नई-नई स्कीम की घोषणा करते रहे हैं। इस बार भी उन्होंने कुछ नई योजनाओं को लेकर बड़ा ऐलान किया है। जिनमें विश्वकर्मा योजना भी शामिल है। ये योजना अब तक योजनाओं से काफी अलग है, इसलिए इसकी चर्चा होने लगी है। तो आइए इसके बारे में जानते हैं।
क्या है विश्वकर्मा योजना ?
लाल किले की प्राचीर से लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार देश के पारंपरिक कौशल वाले लोगों के लिए विश्वकर्मा योजना नाम से एक नई स्कीम शुरू करने जा रही है। जिसका शुरूआती बजट 13 हजार से 15 हजार करोड़ रूपये का होगा। इस विश्वकर्मा जयंती पर लॉन्च किया जाएगा। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में उन वर्गों का खासतौर पर उल्लेख किया है, जिन्हें इस योजना से फायदा मिलने वाला है। उन्होंने कहा कि यह स्कीम खासकर नाई, सुनार, धोबी और चर्मकार जैसे पारंपरिक काम करने वाले कामगारों के लिए होगी।
योजना से क्या होगा फायदा ?
समाज में कुछ पेशे ऐसे हैं, जो पीढी दर पीढ़ी चलती रहती है। नाई, सुनार, धोबी और चर्मकार जैसे पारंपरिक काम इसी श्रेणी में आते हैं। पीएम विश्वकर्मा योजना से इसी तरह के ट्रेडिशनल स्किलस में काम करने वाले कामगारों को फायदा मिलेगा। इस योजना का उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों में सुधार लाना और उन्हें घरेलू एवं वैश्विक बाजार से जोड़ना है। दरअसल, इस तरह के काम में लगे अधिकांश लोगों की आर्थिकी सेहत अच्छी नहीं है। ऐसे में सरकार इस योजना के जरिए उनका आर्थिक सशक्तिकरण करना चाहती है।
योजना का नाम विश्वकर्मा क्यों चुना गया ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में बताया कि विश्वकर्मा योजना अगले माह लॉन्च होगी। इसे 17 सितंबर यानी विश्वकर्मा जयंती के दिन लॉन्च किया जाएगा। तो ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरी इस योजना का नाम विश्वकर्मा क्यों चुना गया। दरअसल, इसके पीछे हिंदू धार्मिक मान्यता है। जिसके तहत भगवान विश्वकर्मा को निर्माण और सृजन का देवता माना जाता है। इन्हें देवताओं के महलों का शिल्पकार भी कहा जाता है। हर साल 17 सितंबर यानी विश्वकर्मा जयंती के दिन सभी कुशल मजदूर और मशीन से जुड़े लोग अपने औजार और मशीनों की पूजा करते हैं। कारखानों और औद्योगिक संस्थानों में खास आयोजन होते है। वाहनों की भी पूजा की जाती है। एक संयोग ये भी है कि 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन भी होता है।
योजना के सियासी मायने
लालकिले से प्रधानमंत्री के संबोधन से पहले ही ऐसे आसार थे कि वे समाज के निचले तबकों के लिए कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं। जो उनके संबोधन के दौरान सच साबित हुई। उन्होंने विश्वकर्मा योजना के तहत जिस वर्ग को साधने की कोशिश की है, उसकी राजनीतिक ताकत काफी ज्यादा है। इस योजना लाभान्वित होने वालों में अधिकांश दलित और ओबीसी वर्ग से आने वाले लोग होंगे। स्वभाविक तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले आम चुनाव में इस योजना को खासकर पिछड़ने समुदाय के मतदाताओं के बीच भुनाने की कोशिश करेंगे।