RBI ने खोला पिटारा, अब सरकार 1.76 लाख करोड़ से करेगी इन 5 क्षेत्रों में विकास
विदेश से कर्ज लेने पर इंटरेस्ट रेट कम पड़ता है। इसी सोच के साथ मोदी सरकार यह कदम उठाना चाह रही है। हालांकि, इस तरह के बॉन्ड को लेने से रुपये पर जोखिम बढ़ जाता है। वैसे भी इंटरनेशनल मार्केट हालात अभी सही नहीं हैं।
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने केंद्र की मोदी सरकार ने लिए अपना पिटारा खोल दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कई बड़े ऐलान किए थे। इसके बाद ही RBI ने सरकार को राहत देते हुए अपने खजाने से 1.76 लाख करोड़ रुपये देने का फैसला किया है। आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रही केंद्र सरकार के लिए ये काफी बड़ा तोहफा है।
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आइए जानते हैं कि सरकार इस बड़ी रकम को कहां खर्च कर सकती है:
सार्वजनिक बैंकों को मिल सकती है पूंजी
इस समय काफी बैंक ऐसे हैं, जोकि रिजर्व बैंक के त्वरित सुधार कार्रवाई (PCA) ढांचे के तहत लाए गए हैं। यही नहीं, सार्वजनिक बैंकों के पास भी अभी पर्याप्त पूंजी नहीं है और वह नकदी की तंगी से गुजर रहे हैं। इस दिक्कत से निपटने के लिए पिछले हफ्ते ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी सार्वजनिक बैंकों को दी जाएगी। हालांकि, बैंकों को इससे ज्यादा पूंजी की जरूरत अभी भी है।
बुनियादी ढांचे के विकास पर हो सकता है खर्चा
मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 100 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का मन बनाया है। इसके लिए सरकार कहां से पैसे जुटाती, ये सोचने वाली बात थी, क्योंकि बैंक भी अभी इसके लिए पैसे देने में हिचक रहे थे। मगर RBI के खजाने से 1.76 लाख करोड़ रुपये आने के बाद सरकार बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 100 लाख करोड़ रुपये खर्च कर सकती है।
सरकारी एजेंसियों के सिर से हल्का हुआ बोझ
ऐसी कई योजनाएं सरकार द्वारा चलाई जाती हैं, जिंका बोझ बैंकों और सरकारी एजेंसियों पर पड़ता है। किसानों, गरीबों और छोटे उद्यमियों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा कई योजनायें चलाई जा रही हैं, जिनके लिए भरी-भरकम रकम बैंकों से ली जाती हैं। ऐसे में बैंक सरकारी एजेंसियों से मदद लेते हैं लेकिन कोई वित्तपोषण नहीं होने के कारण सरकारी एजेंसियों और बैंकों पर इसका असर पड़ता है।
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मान लीजिये, बैंकों द्वारा मुद्रा लोन के तहत 10 लाख करोड़ रुपये का लोन दिया गया। मगर बाद में बैंकों को इसके बदले उनको वित्तपोषण नहीं मिल पता है। ऐसे में मोदी सरकार नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी), सिडबी और नाबार्ड जैसी एजेंसियों की पूंजी बढ़ाने के लिए RBI के खजाने का इस्तेमाल कर सकती है।
सरकार पर नहीं बढ़ेगी उधारी
मोदी सरकार पिछले कई सालों से बाजार से कर्ज ले रही थी। यह सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा था। वित्त वर्ष 2019-20 की बात करें तो इस बार भी सरकार ने 7 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेने की योजना बनाई है। ऐसे में RBI का पिटारा खुलने के बाद मोदी सरकार अपने ऊपर चढ़े कर्ज को भी कम कर सकती है। इससे प्राइवेट सैक्टर को भी फायदा होगा।
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कम हो जाएगी सॉवरेन बॉन्ड की जरूरत
मोदी सरकार सॉवरेन बॉन्ड के जरिये विदेश से कर्ज जुटाना चाहती है। वह लगभग 80 हजार करोड़ रुपये की भारी राशि का लोन लेने का मन बना रही है। दरअसल, विदेश से कर्ज लेने पर इंटरेस्ट रेट कम पड़ता है। इसी सोच के साथ मोदी सरकार यह कदम उठाना चाह रही है। हालांकि, इस तरह के बॉन्ड को लेने से रुपये पर जोखिम बढ़ जाता है। वैसे भी इंटरनेशनल मार्केट हालात अभी सही नहीं हैं। ऐसे में सरकार RBI के खजाने का इस्तेमाल कर सकती है।