रुपए की कीमतः डाॅलर के मुकाबले इतनी बढ़त, जानें जेब पर पड़ा कितना असर

आज रुपया उच्चतम स्तर पर है। घरेलू स्टॉक मार्केट में अन्य एशियाई करंसी में बढ़त से रुपये को मजबूती मिली है। इस महीने में विदेशी निवेशकों से 6.2 अरब डॉलर का फायदा हुआ हैं।

Update:2020-08-28 19:27 IST
भारत का केंद्रीय बैंक आरबीआई अपने भंडार और विदेश से कारोबार कर बाजार में डॉलर की आपूर्ति सुनिश्चित करता है। और फिर मजबूत होता है रुपया

नई दिल्ली : आज यानि शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले रुपया उच्चतम स्तर पर है। ये उछाल पिछले 6 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा है। अब डॉलर के मुकाबले रुपये का भाव 60 फीसदी बढ़कर 73.40 के स्तर पर है।

 

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रुपये में करीब 2 फीसदी की तेजी

 

21 दिसंबर 2018 के बाद यह एक सप्ताह में सबसे बड़ी तेजी है। बता दें कि पहले खबर थी कि भारतीय रिज़र्व बैंक सरकारी बैंकों के जरिए डॉलर खरीद रहा ताकि रुपये में बड़ी गिरावट को रोक सके। बीते एक सप्ताह की बात करें तो रुपये में करीब 2 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है।

 

एशियाई करंसी में बढ़त से रुपये को मजबूती

 

इसके पहले सत्र में यह 73.81 के स्तर पर बंद हुआ था। पिछले सत्र में डॉलर के मुकाबले रुपये में 73.28 का स्तर भी देखा गया, जो मार्च के बाद का उच्चतम स्तर है। इस दौरान प्रति अमेरिकी डॉलर रुपया 73.28 से 73.87 के रेंज में ट्रेड करते नजर आए।

 

फाइल

 

घरेलू स्टॉक मार्केट में अन्य एशियाई करंसी में बढ़त से रुपये को मजबूती मिली है। इस महीने में विदेशी निवेशकों से 6.2 अरब डॉलर का फायदा हुआ हैं। साथ ही बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स में 5 फीसदी की तेजी देखने को मिली है।

 

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एक्सपर्ट की राय

एक्सपर्ट का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की वर्तमान पॉलिसी से विदेशी फंड इनफ्लो को बढ़ावा मिल सकेगा। हालांकि, यह भी उम्मीद है कि फॉरेक्स रिज़र्व को मजबूत करने के​ लिए आरबीआई भी समय-समय पर डॉलर की खरीदता रहेगा। अप्रैल के बाद इसमें 60 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है।

रुपये में मजबूती से आयात सस्ता

अब रुपये में मजबूती से पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का आयात सस्ता हो जाएगा। देश में अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी से ज्यादा पेट्रोलियम प्रोडक्‍ट आयात होता है। है। इसके अलावा, रुपये के मजबूत होने से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें घट सकती हैं।

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ऐसे मजबूत होता है रुपया

डिमांड एवं सप्लाई यानि मांग और पूर्ति पर रुपये की कीमत पूरी तरह निर्भर करती है। इसमें इंपोर्ट और एक्सपोर्ट का पूरा असर पड़ता है। हर देश के पास दूसरे देशों की मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वे लेन देन यानी (आयात-निर्यात) करते हैं। इसे विदेशी मुद्रा भंडार कहते हैं।

आसान शब्दों में कहें तो भारत अमेरिका से कुछ बिजनेस करता हैं। जैसे-मअमेरिका के पास 67,000 रुपये हैं और हमारे पास 1000 डॉलर। ऐसे में आज डॉलर का भाव 67 रुपये है तो दोनों के पास बराबर रकम होगी।

हमें अमेरिका से भारत में कोई ऐसी चीज मंगाता है, जिसका भाव हमारी करेंसी के हिसाब से 6,700 रुपये है तो हमें इसके लिए 100 डॉलर चुकाने होंगे। ऐसे में अगर भारत की आय यानि 100 डॉलर का सामान अमेरिका को दे देगा तो उसकी स्थिति ठीक हो जाएगी।

यह स्थिति जब बड़े पैमाने पर होती है तो हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में मौजूद करेंसी में कमजोरी आती है। भारत का केंद्रीय बैंक आरबीआई अपने भंडार और विदेश से खरीदकर बाजार में डॉलर की आपूर्ति सुनिश्चित करता है।

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