कंपनी का चेयरमैन-एमडी नहीं हो सकता एक, सेबी का बड़ा आदेश
कंपनियां दी गई समयसीमा से पहले ही चेयरमैन और प्रबंध निदेशकों की भूमिका को अलग करने पर काम करें।
नई दिल्ली: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कंपनियों की स्थिति में सुधार और एक ही व्यक्ति पर अधिक काम को कम करने के लिए एक फैसला लिया हैं। बाजार नियामक सेबी ने कहा कि अप्रैल, 2022 से शीर्ष-500 सूचीबद्ध कंपनियां एक ही व्यक्ति को चेयरमैन-एमडी नहीं बना सकेंगी।
सेबी ने कंपनियों से कहा कि कंपनियां दी गई समयसीमा से पहले ही चेयरमैन और प्रबंध निदेशकों की भूमिका को अलग करने पर काम करें।
चेयरमैन-एमडी की भूमिका अलग
सेबी ने कहा कि इसको लेकर उनका मकसद प्रवर्तकों की स्थिति कमजोर करना नहीं है बल्कि कंपनियों के संचालन ढांचे में सुधार लाना है। और इससे एक व्यक्ति के पास अधिक अधिकारों को कम करने में मदद मिलेगी। वहीं कई कंपनियों ने चेयरमैन एवं एमडी का पद मिला दिया।
दो साल के लिए टली व्यवस्था
बता दें कि सेबी ने जनवरी, 2020 में चेयरमैन-एमडी की भूमिका को अलग करने की व्यवस्था को कंपनियों के आग्रह पर दो साल के लिए टाल दिया। अपने इस निर्देश को लेकर सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के कार्यक्रम में कहा, कि करीब 53 फीसदी सूचीबद्ध कंपनियां ही 2020 तक इस व्यवस्था का पालन कर रही, जबकि कई कंपनियों ने चेयरमैन एवं एमडी का पद मिला दिया है।
ब्रिटेन-ऑस्ट्रेलिया में बहस
इस बदलाव से एक व्यक्ति के पास अधिक अधिकारों को कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही उन्होंने कहा, कि वैश्विक स्तर पर भी अब चेयरपर्सन और एमडी/सीईओ के पदों को अलग करने पर काम हो रहा है। ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में भी इसको लेकर बहस हुई जो अब दोनों पदों को अलग करने की ओर झुक गई है।
'स्टूवर्डशिप' नियम का पालन
सेबी चेयरमैन ने कहा कि ग्राहकों और लाभार्थियों के प्रति पूरी जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए बैंक, बीमा कंपनियां और पेंशन कोष जैसे संस्थागत निवेशक 'स्टूवर्डशिप' नियम का पालन करें। यह नियम संस्थागत निवेशकों को अपने दायित्वों को पूरा करने में मदद करता है। सेबी ने दिसंबर, 2020 में म्यूचुअल फंड एवं सभी श्रेणियों के वैकल्पिक निवेश कोषों के लिए 'स्टूवर्डशिप' संहिता तय की, जो एक जुलाई, 2020 से लागू है।