Food Delivery Workers: फ़ूड डिलीवरी का काम करने वाले अच्छे खासे क्वालिफाइड, पढ़ें ये ख़ास रिपोर्ट

Food Delivery Workers: शहरों में फ़ूड डिलीवरी पहुंचाने वाले एक-तिहाई से अधिक डिलीवरी मैन अच्छे खासे क्वालिफाइड हैं।

Update:2023-08-30 18:29 IST
फ़ूड डिलीवरी का काम करने वाले अच्छे खासे क्वालिफाइड, पढ़ें ये ख़ास रिपोर्ट : Photo- Social Media

Food Delivery Workers: शहरों में फ़ूड डिलीवरी पहुंचाने वाले एक-तिहाई से अधिक डिलीवरी मैन अच्छे खासे क्वालिफाइड हैं। नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) के एक अध्ययन से पता चला है कि फ़ूड डिलीवरी का काम करने वाले एक तिहाई लोग ग्रेजुएट डिग्री धारक हैं।

एक्स्ट्रा क्वालिफाइड

924 फ़ूड डिलीवरी श्रमिकों के सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि छोटे शहरों में एक्स्ट्रा क्वालिफाइड डिलीवरी श्रमिकों की हिस्सेदारी 39.7 प्रतिशत हो गई हैऔर उनमें से 12.5 प्रतिशत के पास तकनीकी और व्यावसायिक डिग्री या डिप्लोमा था।

10 लाख डिलीवरी कर्मी

उद्योग के अनुमान के मुताबिक, भारत में ज़ोमैटो और स्विगी जैसे प्लेटफार्मों पर 7,00,000 से 10 लाख फ़ूड डिलीवरी कर्मचारी हैं। मांग की मौसमी स्थिति के साथ संख्याएँ घटती बढ़ती रहती हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक एनसीएईआर के प्रोफेसर और अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता बोर्नाली भंडारी ने कहा कि - वे श्रमिक बहुत उच्च शिक्षित हैं। सर्वे में पाया जिस कि फ़ूड डिलीवरी के काम में आने से पहले उन श्रमिकों के पास सभी प्रकार की नौकरियां थीं। ये अकाउंटेंट, ड्राइवर, कारीगर, व्यापारी, कैशियर, रसोइया, सभी प्रकार के लोग थे। एक व्यक्ति तो पॉलिटेक्निक संस्थान का प्रमुख भी रह चुका है।

ज्यादा काम, कम पैसा

सर्वे के अनुसार इन श्रमिकों ने आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) 2021-22 में शामिल अपने सहकर्मी समूह (22,494 रुपये प्रति माह) की तुलना में थोड़ा ही (20,744 रुपये प्रति माह) कम कमाया। सहकर्मी समूह में कम से कम उच्चतर माध्यमिक शिक्षा प्राप्त 18-35 आयु वर्ग के श्रमिक शामिल हैं। अध्ययन में पाया गया कि वे अपने साथियों की तुलना में 23 प्रतिशत अधिक काम कर रहे थे और उनसे 8 प्रतिशत कम कमा रहे थे।

घट गई आमदनी

सर्वे में कहा गया है कि बढ़ती ईंधन लागत और उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति के कारण इन डिलीवरी श्रमिकों का वास्तविक वेतन 2019 के स्तर से 2022 में 11 प्रतिशत घटकर 11,963 रुपये प्रति माह हो गया। वास्तविक आय का मतलब मुद्रास्फीति के एडजस्टमेंट के बाद की कमाई से है। इसे वास्तविक मजदूरी भी कहा जाता है। नाममात्र आय उन कमाई को कहा जाता है जिन्हें मुद्रास्फीति दरों में बाद के बदलावों के लिए एडजस्ट नहीं किया जाता है।

रिपोर्ट के अनुसार, सर्वेक्षण किए गए खाद्य वितरण श्रमिकों की नाममात्र आय 2019 में 19,239 रुपये प्रति माह से 2022 में 4 प्रतिशत बढ़कर 20,026 रुपये हो गई।

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