Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और सिंहदेव में टकराव टला, मंत्री के कड़े तेवर के बाद CM का रुख नरम
Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य क्षेत्र को बचाने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंह देव (TS Singh Deo) के बीच टकराव टलता हुआ नजर आ रहा है।
New Delhi: छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य क्षेत्र (Hasdeo forest area) को बचाने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) और उनके वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंह देव (Senior Minister TS Singh Deo) के बीच टकराव टलता हुआ नजर आ रहा है। सिंहदेव ने दो माइनिंग प्रोजेक्ट्स (mining projects) की मंजूरी के बाद हसदेव अरण्य क्षेत्र को बचाने के लिए तीखे तेवर अपना लिए हैं। उन्होंने सरगुजा में चल रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल होते हुए चेतावनी दी है कि यदि प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग की गई तो सबसे पहली गोली खाने वाला व्यक्ति मैं होऊंगा।
सिंहदेव के इस बयान के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) के तेवर पूरी तरह नरम पड़ गए हैं। उन्होंने कहा के सिंहदेव मेरी सरकार के वरिष्ठ मंत्री हैं। इसके साथ ही वे उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। उनकी इच्छा के विपरीत हसदेव अरण्य क्षेत्र में पेड़ तो क्या एक डाल भी नहीं काटी जाएगी। बघेल ने कहा कि सिंहदेव ने पहली गोली खाने की बात कही है मगर गोली चलाने की नौबत ही नहीं आएगी। उन पर गोली चलाने वाले पर पहले ही गोली चल जाएगी। बघेल और सिंहदेव के बीच छत्तीस का आंकड़ा रहा है। दोनों के बीच एक बार फिर टकराव बढ़ता दिख रहा था मगर बघेल के बयान से साफ हो गया है कि उन्होंने अपना रुख नरम करके इस टकराव को टाल दिया है।
पहले कड़ा रुख और फिर नरम पड़े बघेल
दरअसल सरगुजा (surguja) में दो माइनिंग प्रोजेक्ट्स की मंजूरी के बाद ग्रामीणों की ओर से जबर्दस्त विरोध किया जा रहा है। पहले इस मुद्दे पर बघेल ने कड़ा रुख अपनाया था और बयान दिया था कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं,उन्हें पहले अपने घरों की बिजली बंद कर देनी चाहिए। इसी बीच छत्तीसगढ़ सरकार में वरिष्ठ मंत्री सिंहदेव भी ग्रामीणों के समर्थन में उतर आए। उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर पूरी तरह ग्रामीणों के साथ हैं। उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट का विरोध करने वाले ग्रामीणों पर यदि गोली चलाई गई तो सबसे पहली गोली मुझ पर ही चलेगी।
सिंहदेव का यह बयान सियासी हलकों में चर्चा का विषय बन गया। बघेल और सिंहदेव के बीच पहले भी टकराव होता रहा है और एक बार फिर दोनों के बीच टकराव की बिसात बिछ गई थी मगर बघेल ने इस मामले में अपना तेवर नरम कर लिया। उन्होंने बयान दिया है कि यदि सिंहदेव नहीं चाहेंगे तो उनके क्षेत्र में एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा। उन्होंने कहा कि विरोध करने वालों पर गोली चलाने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। बघेल के इस बयान से दोनों नेताओं के बीच पैदा हुए तनाव ठंडा पड़ता नजर आ रहा है।
मुख्यमंत्री ने भाजपा पर साधा निशाना
हालांकि मुख्यमंत्री बघेल ने इस मामले में भाजपा (Bhartiya Janata Party) पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता ब्रजमोहन अग्रवाल को यदि ग्रामीणों के विरोध की इतनी चिंता है तो उन्हें केंद्र सरकार से कोल आवंटन ही निरस्त करवा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा विरोध का नाटक करने में जुटी हुई है। यदि भाजपा को ग्रामीणों के विरोध की इतनी चिंता है तो उसे केंद्र सरकार के समक्ष विरोध जताना चाहिए क्योंकि कोल आवंटन का काम केंद्र सरकार की ओर से किया गया है।
केंद्र सरकार की ओर से ही पर्यावरण और वन अधिनियम लागू किया जाता है। इस मामले में विरोध जताने वाले सारे लोगों को केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करनी चाहिए क्योंकि इसमें केंद्र सरकार की ही बड़ी भूमिका है।
सिंहदेव के समर्थन से बुलंद हुई आवाज
इस मामले में ग्रामीणों के विरोध को सिंहदेव के शामिल होने से काफी तेजी मिली। सिंहदेव आंदोलनकारियों का समर्थन करने के लिए उनके बीच पहुंच गए थे। उनका कहना था कि ग्रामीणों को इस मुद्दे पर पूरी तरह एकजुटता बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने ग्रामीणों को पूर्ण समर्थन देने का वादा भी किया था।
उनका कहना था कि मैं आंदोलन के पूरी तरह साथ हूं और आंदोलनकारियों की आवाज को किसी भी सूरत में दबाया नहीं जा सकता। उन्होंने इस मामले में ग्रामीणों को भाजपा से सतर्क भी किया था और कहा था कि इस मामले का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।