कांग्रेस के मुआवजा दांव ने किया बूमरैंग, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में उठ रहे सवाल
लखीमपुर में मुआवजे के बाद अब राजस्थान में दलित परिवारों और छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को भी आर्थिक सहायता का सवाल तूल पकड़ रहा है।
नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में कांग्रेस की ओर से चला गया मुआवजे का दांव अब कांग्रेस पर ही बूमरैंग करता दिख रहा है। राहुल गांधी के साथ पहुंचे छत्तीसगढ़ व पंजाब के मुख्यमंत्रियों ने पीड़ित परिवारों को 50-50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी है। ऐसे में अब राजस्थान में दलित परिवारों और छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को भी आर्थिक सहायता का सवाल तूल पकड़ रहा है।
लखीमपुर खीरी कांड में क्या कांग्रेस ने आर्थिक सहायता के बहाने भी राजनीति की है। यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार जब पहले ही इस मामले में मारे गए सभी किसानों और पत्रकार के परिवारीजनों को 45-45 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दे चुकी थी तो कांग्रेस ने अलग से आर्थिक सहायता क्यों दी।
दलित को पीट कर मारे जाने का मामला
क्या राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने पीड़ित परिवारीजनों की सहानुभूति व समर्थन पाने के लिए ऐसा किया है। हर पीड़ित परिवार को कांग्रेस की ओर से एक-एक करोड़ रुपये दिए गए हैं। इस बीच राजस्थान के हनुमानगढ़ में दलित को पीट कर मारे जाने का मामला सामने आया है।
भारतीय जनता पार्टी की ओर से इस पर कांग्रेस नेताओं से तीखे सवाल किए गए हैं। पूछा जा रहा है कि लखीमपुर खीरी जाने की जिद करने वाले कांग्रेस के भाई-बहन अब क्या राजस्थान भी पहुंचेंगे या दलित प्रेम केवल दिखावा है।
भाजपा के पूर्व सांसद हरिओम पांडेय ने राजस्थान की गहलोत सरकार के शासन काल में हुई दलित उत्पीड़न की घटनाओं का जिक्र करते हुए कांग्रेस सरकार के काम-काज व आर्थिक सहायता नीति पर सवाल खड़े किए हैं।
राजस्थान भाजपा ने भी गहलोत सरकार पर नाकामी का ठीकरा फोड़ा है और कहा कि कांग्रेस की राजस्थान सरकार के शासन में दलितों की कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। दबंग व सामंती मानसिकता के लोग दलितों की जान ले रहे हैं लेकिन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को राजस्थान की ओर देखने की फुर्सत नहीं मिल रही।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी पूछे तीखे सवाल
बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने रविवार को अपने बयान में कहा कि राजस्थान के हनुमानगढ़ में दलित की पीट-पीट कर हत्या की गई। यह घटना अति-दु:खद व निंदनीय है। इसके बावजूद कांग्रेस हाईकमान चुप क्यों है।
क्या छत्तीसगढ़ व पंजाब के सीएम जाकर पीड़ित परिवारों को 50-50 लाख रुपये मुआवजा देंगे। उन्होंने कहा कि बहुजन समाज पार्टी इसका जवाब चाहती है वरना दलितों के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाना बंद करें।
छत्तीसगढ़ में आठ आदिवासियों की मौत पर आर्थिक सहायता का मामला
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के साथ लखनऊ आए थे। लखीमपुर खीरी कांड में पीड़ित परिवारों से मिलकर उन्होंने भी 50-50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता का एलान किया है। इस बीच छत्तीसगढ़ के बस्तर में आठ आदिवासियों की मौत का मामला सामने आया है। यह मामला हालांकि आठ साल पुराना है ।
लेकिन राज्य सरकार के न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट पिछले दिनों जारी हुई है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि बीजापुर के एडसमेट्टा गांव में सुरक्षाबलों ने 17-18 मई, 2013 की रात में आठ आदिवासियों की गोली मारकर हत्या कर दी। इसमें तीन नाबालिग भी थे। पांच लोग इस फायरिंग में घायल हुए थे।
बताया जाता है कि गांव के लोग अपने देवता की हर साल की जाने वाली पूजा के बाद रात में जब नाच-गा रहे थे तो उधर से गुजरे सुरक्षा बलों की गश्ती टुकड़ी ने नक्सली समझकर हमला कर दिया। अब यह मामला छत्तीसगढ़ में तूल पकड़ रहा है।
आदिवासी संगठनों ने सवाल उठाया है कि जब यूपी में जाकर लोगों की आर्थिक सहायता की जा सकती है तो सुरक्षाबलों की गोली से मारे गए आदिवासियों की मदद क्यों नहीं हो रही। पीड़ित आदिवासी परिवारों को एक करोड़ रुपये मुआवजा देने की मांग हो रही है।