लद्दाख मुद्दे पर 12वें दौर की वार्ता ,क्या गोगरा से चीन करेगा वापसी

लद्दाख सीमा तनाव मुद्दे को लेकर चीन और भारत के बीच बातचीत होने जा रही है...

Written By :  Akhilesh Tiwari
Published By :  Ragini Sinha
Update:2021-07-30 21:05 IST

लद्दाख से जुड़ी फाइल तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

इसी साल अप्रैल महीने की दसवीं तारीख को लद्दाख सीमा तनाव मुद्दे को लेकर चीन और भारत के बीच सैन्य कमांडर्स के स्तर पर बातचीत होने जा रही है। ठीक 112 दिन के बाद जब दोनों सेनाओं के अधिकारी एक साथ होंगे तो लद्दाख में चीन के अवैध कब्जे वाले गोगरा व हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र से सेना की वापसी को लेकर चर्चा होगी। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या चीन इस इलाके को खाली करने के लिए तैयार हो जाएगा। 

2020 में स्थिति तब तनावपूर्ण हो गई थी 

 भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच शनिवार को 12वें दौर की वार्ता होने जा रही है। इससे पहले 11 दौर की वार्ता हो चुकी है। लगभग डेढ़ साल पहले चीन की ओर से लद्दाख में किए गए सीमा अतिक्रमण के बाद जून 2020 में स्थिति तब तनावपूर्ण हो गई थी जब चीन के सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर जानलेवा हमला किया। गलवान इलाके में हुए टकराव के दौरान भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे जबकि चीन के भी 40 सैनिकों के मारे जाने की खबर आई थी। हालांकि चीन ने इसकी पूरी तौर पर पुष्टि नहीं की है। चीन का मानना है कि उसके सैनिक मारे गए थे लेकिन उनकी संख्या को लेकर अब तक चुप्पी साधे हुए है। गलवान घाटी के संघर्ष के बाद जब भारतीय सैनिकों ने भी बढ़ कर मोर्चा संभाल लिया तो चीन ने वापसी के लिए वार्ता का दौर शुरू किया है। पिछले दौर की वार्ता में पैंगोग त्सो झील के फिंगर इलाके से सेनाओं की वापसी पर सहमति बनी थी लेकिन गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स इलाके को खाली करने के लिए चीन तैयार नहीं हुआ। तब चीन का दावा था कि वह किसी भी अन्य इलाके में अवैध तरीके से दाखिल नहीं हुआ है। उसकी सेनाएं पीछे नहीं हटेंगी। लेकिन जुलाई महीने में ही भारत और चीन के विदेश मंत्री स्तर पर हुई वार्ता में गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स इलाके में सेनाओं की मौजूदगी का आकलन करने और वापस करने पर सहमति बनी है। 

 12 वें दौर की सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता

12 वें दौर की सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता भी पिछली बार की तरह चीन के कब्जे वाले मोल्डो गैरिसन इलाके में होने जा रही है। इस वार्ता पर पूरे देश की नजर टिकी हुई है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर चीन इस इलाके को खाली करने के लिए तैयार हो जाता है तो माना जा सकता है कि वह भारत के साथ संबंध खराब करने में बुद्धिमानी नहीं मान रहा है लेकिन अगर उसका रुख अड़ियल ही बना रहता है तो भारत सरकार को चीन के साथ कूटनीतिक व सामरिक संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा।

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