CAA protest in North East: पूर्वोत्तर के कई संगठन फिर उठ खड़े हुए सीएए के खिलाफ, आंदोलन की धमकी दी

CAA Protest in North east: सीएए के खिलाफ (CAA Protest) आंदोलन को फिर से शुरू करने की घोषणा की

Report :  Neel Mani Lal
Published By :  Ragini Sinha
Update:2022-05-09 13:47 IST

पूर्वोत्तर के कई संगठनों फिर उठ खड़े हुए सीएए के खिलाफ (social media)

CAA Protest in North East: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तीन दिवसीय असम यात्रा के बीच, पूर्वोत्तर के विभिन्न संगठनों ने एक बार फिर से नागरिकता (citizen) अधिनियम (CAA) के खिलाफ अपने आंदोलन को फिर से शुरू करने की धमकी दी है।ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, राईजोर दल, असोम जातीयवादी युबा छात्र परिषद और मेघालय में खासी स्टूडेंट्स यूनियन (KSU) ने सीएए के खिलाफ (CAA Protest) आंदोलन को फिर से शुरू करने की घोषणा की। अमित शाह ने हाल ही में घोषणा की थी कि जैसे ही कोरोना महामारी (Corona Virus) खत्म होगी, सरकार सीएए को लागू करेगी। 

केएसयू अध्यक्ष लम्बोकस्टार मारंगर ने शिलांग में कहा कि सीएए को लागू करने के किसी भी प्रयास से राज्य में अशांति फैल जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके बजाय केंद्र, मेघालय विधानसभा के सर्वसम्मत प्रस्ताव और सभी राजनीतिक दलों की मांगों का जवाब देते हुए, अवैध प्रवासियों के प्रवेश को रोकने के लिए पूरे मेघालय में इनर-लाइन परमिट प्रणाली का विस्तार कर।

'भाजपा को महसूस करना चाहिए कि सभी वर्ग के लोग सीएए के खिलाफ हैं '

17 से अधिक संगठनों के एक निकाय, "मेघालय सामाजिक संगठनों का परिसंघ" राज्य के शेष हिस्सों में इनर लाइन परमिट की शुरुआत के लिए 2019 से आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है। यदि आईएलपी पूरे मेघालय में लागू किया जाता है, जैसे कि चार अन्य पूर्वोत्तर राज्यों - अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम और मणिपुर में है, तो मेघालय अपने को सीएए के दायरे से बाहर रखेगा। गोगोई ने कहा कि असम के लोग इस "जनविरोधी" कानून को कभी स्वीकार नहीं करेंगे। गोगोई, जो कृषक मुक्ति संग्राम समिति के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि भाजपा को यह महसूस करना चाहिए कि सभी वर्ग के लोग सीएए के खिलाफ हैं क्योंकि यह एक जनविरोधी कानून है। उन्होंने 2019 से असम में विवादास्पद नागरिकता कानून के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था। 2019 में राज्य में हिंसक विरोध प्रदर्शन के सिलसिले में उनको गिरफ्तार भी किया गया था और आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत चार्जशीट किया गया था।

बता दें कि इनर लाइन परमिट एक अस्थायी आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है जो किसी भी भारतीय नागरिक को एक सीमित अवधि के लिए संरक्षित क्षेत्र में जाने की अनुमति देता है।

2021 में सीएए के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे

केंद्र सरकार ने पहले घोषणा की थी कि सीएए, आईएलपी और जनजातीय स्वायत्त जिला परिषद (टीएडीसी) क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा। पूर्वोत्तर राज्यों में, संविधान की छठी अनुसूची के तहत गठित 10 टीएडीसी हैं। असम, मेघालय और मिजोरम में तीन-तीन टीएडीसी हैं जबकि त्रिपुरा में एक है।

सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों और पड़ोसी पश्चिम बंगाल में 2019 के अंत में और 2021 की शुरुआत में सीएए के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे। ये कानून उन गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों - हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना चाहता है, जो आस्था आधारित उत्पीड़न का सामना करने के बाद 31 दिसंबर, 2014 तक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से पलायन कर गए थे।

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