Akshaya Tritiya 2022: बेहद महत्वपूर्ण पर्व है अक्षय तृतीया, इससे बढ़ कर कोई तिथि नहीं

Akshaya Tritiya 2022: अक्षय का मतलब होता है जिसका कभी भी क्षय या नाश न होना। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाए जाने वाले इस पर्व का उल्लेख विष्णु धर्म सूत्र आदि में मिलता है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shashi kant gautam
Update:2022-05-02 23:42 IST

अक्षय तृतीया 2022: Photo - Social Media

Lucknow: पंचांग के अनुसार हर वर्ष वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 03 मई को है। अक्षय तृतीया को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय का मतलब होता है जिसका कभी भी क्षय या नाश न होना। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाए जाने वाले इस पर्व का उल्लेख विष्णु धर्म सूत्र, मत्स्य पुराण, नारदीय पुराण तथा भविष्य पुराण आदि में मिलता है।

अक्षय तृतीया एक ऐसा मुहूर्त या ऐसी तिथि है जिसमें किसी तरह का शुभ कार्य या शुभ किया जा सकता है और सभी तरह के शुभ कार्य की शुरुआत की जा सकती है। धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि अक्षय तृतीया के दिन किया गया दान-पुण्य कर्म का फल कभी नष्ट नहीं होता। इस तिथि पर सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य बिना पंचाग देखे किए जाते हैं। अक्षय तृतीया के दिन विवाह करना, सोना खरीदना, माता लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है।

"न माधव समो मासो न कृतेन युगं समम्।
न च वेद समं शास्त्रं न तीर्थ गंगयां समम्।।"

यानी वैशाख के समान कोई मास नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं हैं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है। उसी तरह अक्षय तृतीया के समान कोई तिथि नहीं है। 

खास बातें-

- मान्यता है कि अक्षय तृतीया की तिथि पर भगवान परशुराम (lord parshuram) और हयग्रीव का अवतार हुआ था।

- अक्षय तृतीया के दिन द्वापर युग का समापन और त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था।

- अक्षय तृतीया के दिन ही महाभारत (Mahabharata) के युद्ध का समापन हुआ था। और इसी दिन से ही वेद व्यास और भगवान गणेश ने महाभारत ग्रंथ लिखना शुरू किया था।

Photo - Social Media

- अक्षय तृतीया के दिन ही मां गंगा का धरती पर आगमन हुआ था।

- अक्षय तृतीया के दिन सुदामा भगवान कृष्ण से मिलने पहुंचे थे।

- ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था। इस दिन श्री बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं। बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते हैं। वृन्दावन स्थित श्री बाँके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं।

- मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर अपने अच्छे आचरण और सद्गुणों से दूसरों का आशीर्वाद लेना अक्षय रहता है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। इस दिन किया गया आचरण और सत्कर्म अक्षय रहता है।

देवी माँ अन्नपूर्णा: Photo - Social Media

- यह दिन रसोई एवं पाक (भोजन) की देवी माँ अन्नपूर्णा का जन्मदिन भी माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन माँ अन्नपूर्णा का भी पूजन किया जाता है और माँ से भंडारे भरपूर रखने का वरदान मांगा जाता है। अन्नपूर्णा के पूजन से रसोई तथा भोजन में स्वाद बढ़ जाता है।

- दक्षिण में इस दिन की अलग ही मान्यता है. उनके अनुसार इस दिन कुबेर ने शिवपुरम नामक जगह पर शिव की आराधना कर उन्हें प्रसन्न किया था।

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