Amarinder Singh Ka Delhi Daura: आखिर क्या गुल खिलाने वाले हैं कैप्टन, सीएम पद छोड़ने के बाद दूसरे दिल्ली दौरे पर टिकीं नजरें

Amarinder Singh Ka Delhi Daura: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद दूसरी बार दिल्ली पहुंचे हैं। कैप्टन के दिल्ली दौरे को लेकर पंजाब की सियासत एक बार फिर गरमा गई है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shreya
Update:2021-10-07 09:15 IST

कैप्टन अमरिंदर सिंह (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Amarinder Singh Ka Delhi Daura: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा (Amarinder Singh Ka Istifa) देने के बाद दूसरी बार दिल्ली पहुंचे हैं। पंजाब का मुख्यमंत्री (Punjab Ka Mukhyamantri) पद छोड़ने के बाद कैप्टन की यह दूसरी दिल्ली यात्रा (Amarinder Singh Delhi Visit) है। कैप्टन के दिल्ली दौरे को लेकर पंजाब की सियासत (Punjab Politics) एक बार फिर गरमा गई है। कैप्टन ने अपनी पिछली दिल्ली यात्रा (Delhi Yatra) के दौरान अमित शाह (Amit Shah) और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) से मुलाकात की थी। 

जानकारों का कहना है कि अपनी मौजूदा दिल्ली यात्रा के दौरान कैप्टन की कई वरिष्ठ भाजपा (BJP) नेताओं से मुलाकात हो सकती है। इन नेताओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई सदस्य शामिल है। कैप्टन कांग्रेस (Congress) छोड़ने का पहले ही एलान कर चुके हैं। हालांकि उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि वे भाजपा में नहीं शामिल होंगे। पंजाब में कैप्टन के अगले सियासी कदम का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। 

अमरिंदर सिंह-नवजोत सिंह सिद्धू (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

सिद्धू के खिलाफ खोल रखा है मोर्चा

पंजाब में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कैप्टन लगातार सियासी रूप से सक्रिय बने हुए हैं। उन्होंने पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। सिद्धू को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताने के साथ ही उन्होंने अगले विधानसभा चुनाव (Punjab Vidhan Sabha Chunaav) में सिद्धू का हराने का भी एलान किया है। उनका कहना है कि सिद्धू जिस सीट से भी चुनाव मैदान में उतरेंगे वहां मजबूत उम्मीदवार उतारा जाएगा।

पंजाब में हर किसी की दिलचस्पी यह जानने में है कि आखिर कैप्टन किस सियासी दल से चुनाव मैदान में उतरेंगे। पहले कैप्टन के भाजपा में शामिल होने की सियासी अटकलें लगाई जा रही थीं। मगर कैप्टन ने खुद ही इन अटकलों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि कैप्टन कोई अलग पार्टी बनाकर सियासी अखाड़े में उतर सकते हैं।

केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच उनके मध्यस्थ बनने की संभावना भी जताई जा रही है। पंजाब के सियासी हलकों में यह भी चर्चा है कि कैप्टन पंजाब विकास पार्टी के नाम से नया दल बना सकते हैं। लेकिन कैप्टन ने अभी तक इस बाबत खुद कुछ भी खुलकर नहीं कहा है।  

कैप्टन अमरिंदर सिंह (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

कैप्टन ने नहीं खोले सियासी पत्ते

कैप्टन पंजाब की सियासत का बड़ा चेहरा रहे हैं। पंजाब में लंबे समय से कांग्रेस की सियासत उनके ही इर्द-गिर्द घूमती रही है। वे करीब साढे 9 साल तक पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में उनकी बड़ी भूमिका मानी जाती रही है। पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इस कारण कैप्टन का अगला सियासी कदम काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

यदि कैप्टन कोई नया सियासी दल बनाकर भाजपा के साथ हाथ मिलाते हैं तो पंजाब की सियासत में इस कदम का काफी असर पड़ सकता है। उनके कांग्रेस से अलग होने पर उनके समर्थक विधायकों के भी पार्टी छोड़ने की संभावना जताई जा रही है। कैप्टन ने अपनी भावी सियासत के संबंध में अपने समर्थकों से लंबी चर्चा की है मगर उन्होंने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। माना जा रहा है कि वे सियासी समीकरणों की नापतोल में जुटे हुए हैं। इसी बाबत चर्चा करने के लिए वे दिल्ली पहुंचे हैं। इस यात्रा के दौरान उनकी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है। 

राहुल-सोनियां गांधी और कैप्टन अमरिंदर सिंह (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

अगले सियासी कदम का बेसब्री से इंतजार

कैप्टन के हाईकमान पर हमलावर होने के बावजूद अभी तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कैप्टन ने राहुल और प्रियंका को अनुभवहीन बताया था। उनका कहना था कि इन दोनों के सलाहकार उन्हें गुमराह करने में जुटे हुए हैं। कैप्टन की अगुवाई में कांग्रेस ने 2017 के विधानसभा चुनाव में 77 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 13 में से 8 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। पंजाब की सियासत में कैप्टन की सिद्ध से कभी पटरी नहीं बैठी और सिद्धू के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद दोनों के बीच मोर्चा खुल गया जिसकी परिणति कैप्टन के इस्तीफे के रूप में सामने आई।

इस्तीफा देने के बाद कैप्टन ने हाईकमान पर खुद को अपमानित करने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि मैंने पहले ही इस्तीफे की पेशकश कर दी थी । मगर उस समय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से इस्तीफा नहीं स्वीकार किया गया। ऐसे में माना जा रहा है कि अपने अपमान का बदला लेने और कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के लिए कैप्टन किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसी कारण उनके अगले सियासी कदम का हर किसी को इंतजार है। 

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