Amazon की बड़ी जीत, फ्यूचर रिटेल को नहीं ले सकते अंबानी
सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले के बाद अब अमेज़न कम्पनी का बिग बाजार वाली कम्पनी फ्यूचर ग्रुप पर नियंत्रण हो जाएगा।
Amazon: सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले के बाद अब अमेज़न कम्पनी का बिग बाजार वाली कम्पनी फ्यूचर ग्रुप पर नियंत्रण हो जाएगा। यही नहीं, बिग बाजार के मालिक किशोर बियानी की संपत्तियां भी अब कुर्क हो जाएंगी।
सुप्रीम कोर्ट ने भारत के कॉरपोरेट जगत को प्रभावित करने वाला ऐतिहासिक फैसला सुनाया है जिससे अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरणों के प्रति भारत के सम्मान की पुष्टि होती है।
दरअसल अमेज़न ने दिल्ली हाई कोर्ट के एक स्टे आर्डर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। हाई कोर्ट ने फ्यूचर रिटेल और रिलायंस के बीच 24713 करोड़ की डील के संबंध में फ्यूचर ग्रुप की कंपनियों और किशोर बियानी की संपत्तियों की कुर्की के आदेश के खिलाफ स्टे आर्डर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के जज आर एफ नरीमन और जीबी गवई की बेंच ने हाई कोर्ट के स्टे आर्डर को खत्म करते हुए ये भी कहा कि एक आपातकालीन मध्यस्थ का आदेश आर्बिट्रेशन एक्ट की धारा 17(2) के अंतर्गत भारत में क्रियान्वित किया जा सकता है। जस्टिस नरीमन ने फैसला सुनाते हुए कहा- 'हमने दो सवालों का जवाब दिया है। पहला ये कि आपात मध्यस्थ का आदेश धारा 17(1) के तहत मान्य है और दूसरा यह कि मध्यस्थ का आदेश धारा 17 (2) के तहत लागू किया जा सकता है। अपील की अनुमति दी जाती है।'
क्या हुआ था हाई कोर्ट में
दिल्ली हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने एक सिंगल जज के आदेश पर स्टे लगा दिया था जिसमें आपात मध्यस्थ के आदेश को सही माना गया था, फ्यूचर रिटेल की संपत्तियों को अटैच करने की बात थी और फ्यूचर रिटेल को रिलायंस रिटेल के साथ विलय करने पर रोक लगा दी थी। डिवीजन बेंच द्वारा लगाए गए स्टे के खिलाफ अमेज़न ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
कानून विशेषज्ञों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से अंतरराष्ट्रीय समुदाय व कंपनियों को बहुत सकारात्मक संदेश गया है कि उनके अधिकारों को भारत में भारतीय कानूनों के तहत सुरक्षा मिलती रहेगी। इससे आगे की निवेश डील पर दूरगामी असर पड़ेंगे।
अब तक क्या हुआ
हुआ ये है कि किशोर बियानी ने अपने फ्यूचर ग्रुप का पूरा बिजनेस और देनदारी रिलायंस को बेच दी है। अमेज़न का कहना है कि उसकी फ्यूचर ग्रुप के साथ 2019 में डील हुई थी जिसमें साफ़ कहा गया था कि ये ग्रुप रिलायंस समेत कुछ ख़ास कंपनियों को नहीं बेचा जाएगा। अमेज़न ने फ्यूचर ग्रुप की डील के खिलाफ सिंगापुर की अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत में शिकायत की। इस अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि फ्यूचर ग्रुप अपना खुदरा कारोबार रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को नहीं बेच सकता है। मध्यस्थता अदालत के 130 पेज के फैसले से पता चलता है कि अमेज़न कंपनी के अपनी दलील में कहा है कि जब फ्यूचर ग्रुप के साथ हुये करार में ये साफ़ लिखा था कि इस ग्रुप की बिक्री रिलायंस समेत कुछ कंपनियों को नहीं की जायेगी तो फिर ये सौदा पूरी तरह धोखा है।
फ्यूचर ग्रुप ने अदालत में दलील दी कि कोरोना संकट से अनेक भारतीय बिजनेस प्रभावित हुए हैं। सबसे ज्यादा मार खुदरा व्यापार को पड़ी है। फ्यूचर ग्रुप-रिलायंस डील का लक्ष्य फंडिंग और लोन कवरेज के जरिये सभी स्टेकहोल्डर्स के हितों की रक्षा करना है। इस पर मध्यस्थ अदालत के जज ने कहा कि 'आर्थिक संकट, कानूनी बाध्यताओं की अवहेलना करने का कोई कानूनी आधार नहीं है।'
क्या थी डील
अगस्त 2020 में रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड ने फ्यूचर ग्रुप के सम्पूर्ण खुदरा और थोक व्यापार, लोजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग बिजनेस, 24,713 करोड़ रुपये में खरीदने की घोषणा की थी। जबकि 2019 में अमेज़न ने फ्यूचर ग्रुप की होल्डिंग कंपनी फ्यूचर कूपन्स में 49 फीसदी हिस्सेदारी ले ली थी। फ्यूचर ग्रुप में फ्यूचर कूपन्स की हिस्सेदारी 7.3 फीसदी की है।
फ्यूचर ग्रुप क्यों बिका
फ्यूचर ग्रुप का हाल ये है कि उसके कर्जे साल दर साल बढ़ते जा रहे थे। 30 सितम्बर 2019 को उस पर 12,778 करोड़ का कर्जा था जबकि 31 मार्च 2019 को ये 10,951 करोड़ का था यानी छह महीने में दो हजार करोड़ कर्जा बढ़ गया। इसे मार्च 2020 तक कर्जा वापस करना था। कोरोना के कारण कर्ज वापसी पर सरकार ने राहत दे दी सो कंपनी दिवालिया होने से बच गयी।