असम-मिजोरम के बीच तनाव बरकरार, लोग कर रहे पलायन, ट्रकों की आवाजाही ठप होने से मिजोरम में संकट गहराया

Assam Mizoram Border Dispute : असम और मिजोरम के बीच सोमवार को भी हिंसा के बाद असम के लैलापुर कस्बे में हाईवे पर वाहनों का आवागमन पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shivani
Update: 2021-07-29 07:42 GMT

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Assam Mizoram Border Dispute : असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद को लेकर हुए खूनी संघर्ष के बाद तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। केंद्र सरकार की ओर से दोनों राज्यों के बीच शांति स्थापित करने की कवायद के बावजूद अभी तक हालात सामान्य होते नहीं दिख रहे हैं। खूनी हिंसा में छह पुलिसकर्मियों (6 Assam Police Personnel Killed) के मारे जाने के बाद असम के लोगों में जबर्दस्त गुस्सा है। असम की बराक घाटी के तीन जिलों में बुधवार को बंदी रही। प्रदर्शनकारियों ने ट्रकों का आवागमन (Truck Transportation Stops) भी पूरी तरह ठप कर दिया। असम की ओर से हाईवे बंद (Assam Closed Highway) कर दिए जाने के कारण मिजोरम में जरूरी चीजों की सप्लाई (Mizoram Supply Shut) का काम बाधित हो गया है। सीमा पर जरूरी सामानों से लगे लदे ट्रकों की लंबी लाइन लगी हुई है मगर ये ट्रक मिजोरम नहीं पहुंच पा रहे हैं।

दूसरी ओर केंद्र सरकार ने दोनों राज्यों के बीच शांति स्थापित करने के लिए गंभीर पहल की शुरुआत की है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से आयोजित बैठक में दोनों राज्यों के वरिष्ठ अफसरों ने बातचीत के जरिए विवाद को सुलझाने की पर सहमति जताई। बैठक में फैसला लिया गया कि सीमा पर विवादित इलाके से दोनों राज्यों की पुलिस को हटाकर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जाएगी। इसका मकसद आगे किसी भी प्रकार की हिंसा को रोकना है।

आवागमन ठप होने से हजारों वाहन फंसे

असम और मिजोरम के बीच सोमवार को भी हिंसा के बाद असम के लैलापुर कस्बे में हाईवे पर वाहनों का आवागमन पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है। नेशनल हाईवे 306 बंद हो जाने के कारण यहां हजारों की संख्या में वाहन फंसे हुए हैं। जरूरी सामानों से लदे ट्रकों की आवाजाही भी पूरी तरह ठप पड़ गई है जिसके कारण मिजोरम में आने वाले दिनों में बड़ी समस्या पैदा हो सकती है। दिल्ली और उत्तर प्रदेश से आने वाले ट्रकों के चालक जाम के कारण काफी परेशानी में फंस गए हैं। खूनी हिंसा के खिलाफ असम के लोगों में जबर्दस्त गुस्सा दिख रहा है और इसका असर भी वाहनों की आवाजाही पर पड़ा है।


आर्थिक नाकेबंदी से मुख्यमंत्री का इनकार

दूसरी ओर असम के मुख्य मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मिजोरम के खिलाफ किसी भी प्रकार की आर्थिक नाकेबंदी से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि असम सरकार इस तरह का कोई कदम नहीं उठाएगी। वैसे सूत्रों का कहना है कि सीमा पर तैनात सुरक्षाकर्मियों की ओर से ट्रकों की आवाजाही को रोका जा रहा है। मिजोरम ने इस मामले में केंद्र सरकार से दखल देने की मांग की है ताकि मिजोरम को जरूरी सामानों की सप्लाई पर असर न पड़े। सीआरपीएफ से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि मौजूदा समय में स्थिति शांतिपूर्ण बनी हुई है, लेकिन तनाव को देखते हुए किसी भी समय माहौल बिगड़ सकता है। इसी कारण वाहनों के आवागमन पर रोक लगाई गई है।

गिरफ्तारी में मदद पर इनाम की घोषणा

इस बीच असम पुलिस की ओर से ऐसे लोगों की तस्वीरों का संग्रह तैयार किया गया है जिन्होंने सोमवार की हिंसा की घटना को अंजाम दिया। असम के विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) जी पी सिंह ने कहा कि असम के 6 पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। उन्होंने इसे गंभीर मामला बताते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी में मदद देने वालों को पांच लाख का इनाम देने की भी घोषणा की।


उन्होंने कहा कि इस घटना में कछार के पुलिस अधीक्षक समेत 50 से अधिक लोग घायल हुए हैं। मिजोरम की ओर से गोलीबारी करने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। हिंसा की घटना में घायल कछार के एसपी वैभव चंद्रकांत को बेहतर इलाज के लिए एयरलिफ्ट कर मुंबई ले जाया गया है। मुंबई में एक निजी अस्पताल में उनकी तीन घंटे तक सर्जरी की गई। उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

केंद्र सरकार ने तेज की कवायद

इस बीच केंद्र सरकार ने दोनों राज्यों के बीच शांति स्थापित करने की कवायद तेज कर दी है। बुधवार को नई दिल्ली में इस सिलसिले में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की ओर से बुलाई गई इस बैठक में दोनों राज्यों के मुख्य सचिव और डीजीपी भी मौजूद थे। बैठक में फैसला लिया गया कि विवादित स्थान से दोनों राज्यों के पुलिस कर्मियों को हटाया जाएगा।

इन पुलिसकर्मियों के स्थान पर अब अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जाएगी ताकि भविष्य में किसी भी हिंसा की घटना को रोका जा सके। बैठक में सीमा विवाद के मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाने पर जोर दिया गया और दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों ने इस पर सहमति जताई। बैठक में सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह भी मौजूद थे। माना जा रहा है कि विवादित स्थान से दोनों प्रदेशों की पुलिस को हटाए जाने के बाद भविष्य में हिंसा की घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी।

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