Assam-Mizoram Border Dispute: क्या है असम-मिजोरम सीमा विवाद, यहां जानें कारण

Assam-Mizoram Border Dispute: असम-मिजोरम सीमा पर आज हिंसक झड़प देखने को मिली, जिसमें असम पुलिस के 6 जवान शहीद हो गए हैं, लेकिन क्या आपको विवाद के पीछे की वजह पता है।

Newstrack :  Network
Published By :  Shreya
Update:2021-07-26 22:01 IST

सीमा पर हुई झड़प का दृश्य (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Assam Mizoram Border Dispute: असम और मिजोरम सीमा पर असम सुरक्षाबलों और मिजोरम के नागरिकों के बीच हुई झड़प में अब तक असम पुलिस के 6 जवान शहीद हो गए हैं। इस बात की जानकारी असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने दी है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि मुझे यह बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि असम पुलिस के 6 वीर जवान  बॉर्डर पर हमारे प्रदेश की संवैधानिक सीमा की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। 

असम पुलिस ने इस हिंसक झड़प की जानकारी देते हुए बताया कि दोनों राज्यों की सीमा पर मिजोरम से आए कुछ अराजक तत्वों की ओर से पथराव और फायरिंग की गई है। जिसमें असम पुलिस के छह जवान शहीद हो गए हैं। वहीं इस मामले को लेकर दोनों राज्य एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इस बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा और मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने इस मामले में पीएमओ से दखल देने की मांग की है।

सीआरपीएफ की तैनाती के बाद काबू में हालात

इस बीच खबर यह भी है कि असम-मिजोरम बॉर्डर पर सीआरपीएफ की तैनाती के बाद स्थिति में कुछ शांति आई है। साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा इस मुद्दे को जल्द से जल्द हल करने का निर्देश भी दे दिया गया है। यहां आपको बताते चलें कि दोनों राज्यों के बीच यह सीमा विवाद काफी पुराना है। जिले हल करने के लिए दोनों राज्यों के बीच 1995 के बाद से कई वार्ताएं भी हो चुकी हैं, लेकिन सभी बेनतीजा रहीं। 

क्या है असम-मिजोरम सीमा विवाद (Kya Hai Assam Mizoram Seema Vivad)

दरअसल, असम की बराक घाटी में पड़ने वाले तीन जिलों कछार, करीमगंज और हैलाकांडी की 164 किमी सीमा मिजोरम के तीन जिलों आइजोल,कोलासीब और मामित से मिलती है। यानी ये जिले आपस में 164.6 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं। असम और मिजोरम सीमा को लेकर अलग अलग नियमों को मानना भी विवाद की सबसे अहम वजह है।

जहां असम राज्य 1933 में तय संवैधानिक नक्शे को मानता है, तो वहीं मिजोरम की ओर से बंगाल पूर्वी सीमांत नियम, 1873 के तहत 1875 में अधिसूचित 509 वर्ग मील के आरक्षित वन क्षेत्र के अंदरुनी हिस्से को सीमा माना जाता है।

अब तक क्या क्या हुआ?

ये विवाद तब और गहरा गया जब असम पुलिस ने राज्य की जमीन को कब्जे में लेने के लिए सीमा पर कथित तौर पर अतिक्रमण शुरू किया। इसके बाद सीमा के साथ सड़क निर्माण का मुआयना करने पहुंचे असम सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को निशाना बनाकर 10 जुलाई को अज्ञात लोगों ने बम से हमला कर दिया। 

इसके बाद असम के मुख्यमंत्री सरमा ने पड़ोसी राज्य असम पर अवैध कब्जे का आरोप लगाया। सरमा ने 12 जुलाई को विधानसभा में कहा कि मिजोरम के लोगों ने असम के 3 जिलों (हैलाकांदी, कछार, करीमगंज) में करीब 1,800 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है। इसके बाद असम ने अतिक्रमण को लेकर मिजोरम सरकार के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया। हालांकि मिजोरम ने असम सरकार की ओर से लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया था। 

यही नहीं मिजोरम की ओर से असम पर मानवाधिकार उल्लंघन के भी आरोप लगाए गए। जिसे असम ने इनकार कर दिया और कहा कि उसकी जमीन पर अतिक्रमण किया गया है, जो कि दोनों राज्यों के बीच सीमा पर विवाद का एक महत्वपूर्ण बिंदू है। 20 जुलाई को असम के सीएम ने बताया कि सीमा पर स्थिति नाजुक बनी हुई है, जिसे हल करने में समय लगेगा।

वहीं, मिजोरम की ओर से इस सीमा विवाद को हल करने के लिए उपमुख्यमंत्री तवंलुइया की अध्यक्षता में सीमा आयोग का गठन किया गया। 23 जुलाई को असम के एक सरकार अधिकारी ने बताया कि असम पुलिस मिजोयम के साथ लगती सीमा पर खुलिचेरा और ढोलाखाल में डेरा डाल रही है। इस बीच आज दोनों राज्यों की सीमा पर सुरक्षाबलों और लोगों के बीच झड़प छिड़ गई। हालांकि अब हालात काबू में है और केंद्र द्वारा इस मामले को सुलझाने के निर्देश दे दिए गए हैं।  

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