भाजपा ने शिवसेना के खिलाफ खोला मोर्चा, पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट कर शिवसेना पर साधा निशाना
चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव तारीखों का ऐलान कर दिया है। हालांकि इस बार कोविड के कारण रैलियों पर प्रतिबंध लगाया गया है। जिसके बाद से चुनावी वार सियासी दलों द्वारा ट्विटर पर लड़ा जा रहा
भारत में राजनीति और सियासत एक ऐसा मुद्दा जो हर वक़्त जारी रहता है। भारत में राजनीति किसी चुनाव की तारीखों और चुनावी समीकरणों की मोहताज नहीं है।
आए दिन कई ऐसे मुद्दे सामने आते हैं जिसमें एक दल दूसरे राजनीतिक दल पर हमलावर होता नजर आता रहता है। हालांकि इसमें बदलाव सिर्फ इतना हुआ है कि वर्तमान में कोरोना महामारी के चलते इन आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला किसी रैली या भीड़भाड़ में ना होकर ट्वीटर पर होता नजर आता है।
चुनाव भले ही उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, गोवा, पंजाब और मणिपुर के आने वाले हो लेकिन सियासी बयार और आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला समूचे भारत में एक सा है।
इसी के मद्देनज़र महाराष्ट्र से एक ताज़ा मामला सामने आया है जिसमें भारतीय जनता पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री रावसाहेब पाटिल दानवे ने शिवसेना पार्टी और शिवसेना अध्यक्ष व महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा है।
भाजपा नेताओं ने ट्वीट के माध्यम से शिवसेना पर निशाना साधते हुए उन्हें हिन्दू विरोधी पार्टियों के साथ गठबंधन करने और बाला साहेब ठाकरे के उद्देश्यों के विपरीत जाने का आरोप लगाया है।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि-"मैं शिवसेना को चुनौती देता हूँ कि वह सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य जिनके भी साथ बैठते हैं, उनसे बालासाहेब के बारे में एक ट्वीट पोस्ट करवाएं। आपने राम मंदिर आंदोलन के दौरान सिर्फ भाषण दिए हैं लेकिन हमने आंदोलन में गोलियों और लाठियों का सामना किया है। जब तक शिवसेना हमारे साथ थी, वे नंबर 1 या नंबर 2 पार्टी हुआ करते थे लेकिन अब वे नंबर 4 पर हैं।"
इसी के साथ केंद्रीय मंत्री रावसाहेब पाटिल दानवे ने शिवसेना पर हमलावर होते हुए ट्वीट करते हुए लिखा कि-"डोंबिवली में प्रचार भाषणों के दौरान शिवसेना ने सावरकर का हवाला दिया। क्या यह हिंदुत्व की पार्टी है? आज उद्धव ठाकरे बाला साहब के उपदेश के ठीक विपरीत काम कर रहे हैं। वह सत्ता के लालच में हिंदुत्व विरोधी पार्टियों में शामिल हुए हैं।
आपको बता दें कि पूर्व में शिवसेना भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी दल हुआ करती थी लेकिन बीते महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के पूर्व ही शिवसेना ने गठबन्धन रद्द करने का ऐलान किया था।