Bihar Politics: चिराग को अब आलीशान बंगले से भी बेदखल करने की तैयारी, सरकार और मोहलत देने को तैयार नहीं

लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में हुई बगावत के बाद चिराग पासवान अलग-थलग पड़ चुके हैं। अब उन्हें 12 जनपथ स्थित बंगले से भी बेदखल करने की तैयारी है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shashi kant gautam
Update:2021-08-10 13:59 IST

चिराग को अब आलीशान बंगले से बेदखल करने की तैयारी: फोटो- सोशल मीडिया

Bihar Politics: लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में हुई बगावत के बाद चिराग पासवान अलग-थलग पड़ने के साथ ही लगातार कमजोर पड़ते जा रहे हैं। पार्टी पर कब्जे की लड़ाई में पिछड़ने के बाद अब उन्हें 12 जनपथ स्थित बंगले से भी बेदखल करने की तैयारी है। दरअसल मोदी कैबिनेट में फेरबदल के बाद अभी तक कई नए मंत्रियों को सरकारी बंगला नहीं आवंटित किया जा सका है।

जानकारों के मुताबिक कई मंत्रियों की नजर 12 जनपथ स्थित इस आलीशान बंगले पर टिकी हुई है जो पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान को आवंटित किया गया था। रामविलास पासवान का पिछले साल निधन हो गया था मगर चिराग पासवान अभी भी इस बंगले पर काबिज हैं।

जल्द खाली करना होगा 12 जनपध का बंगला

सूत्रों के मुताबिक शहरी विकास एवं आवास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले संपदा निदेशालय की ओर से चिराग पासवान को 12 जनपथ स्थित सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस जारी किया जा चुका है। करीब एक महीना पहले जारी नोटिस के बाद चिराग पासवान निदेशालय से कुछ और समय की मांग की है।

सूत्रों के मुताबिक चिराग ने रामविलास पासवान की पहली बरसी तक यह बंगला अपने पास रखने की बात कही है। जानकारों के मुताबिक संपदा निदेशालय चिराग पासवान को इतना ज्यादा समय देने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में चिराग को जल्द ही यह बंगला खाली करना पड़ सकता है।

पिता रामविलास पासवान के साथ चिराग पासवान: फोटो- सोशल मीडिया

 

वीपी सिंह के कार्यकाल में मिला था बंगला

जनपथ स्थित 12 नंबर का यह आलीशान बंगला चिराग के पिता रामविलास पासवान को विश्वनाथ प्रताप सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में आवंटित हुआ था। 1982 में पैदा हुए चिराग की उम्र उस समय मात्र आठ साल थी और वह तभी से अपने माता-पिता के साथ इस आलीशान बंगले में रहते आए हैं। उनके बचपन और युवावस्था का लंबा समय इसी बंगले में बीता है और उन्होंने राजनीति का ककहरा भी इसी बंगले में सीखा है।

मंत्री न रहने पर भी यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान रामविलास पासवान को इस बंगले से नहीं हटाया गया था। 2009 का चुनाव हारने और 2010 में राज्यसभा सदस्य बनने के बीच की अवधि में उन्होंने बाजार दर पर इस बंगले के किराए का भुगतान किया था।

यह बंगला केंद्रीय मंत्री या उसी स्तर के लोगों के लिए ही निर्धारित है और चिराग पासवान मौजूदा समय में महज सांसद हैं। इस कारण वे इस बंगले में रहने की योग्यता नहीं पूरी करते। सांसद के रूप में चिराग को एक और आवास मिला हुआ है, लेकिन वे इसी बंगले में रहते हैं और लोकसभा की वेबसाइट पर भी उनके आवासीय पते के तौर पर यही बंगला दर्ज है।

पशुपति कुमार पारस: फोटो- सोशल मीडिया

पारस इस बंगले में रहने को तैयार नहीं

जानकारों का कहना है कि पहले यह बंगला लोजपा से बगावत करके केंद्र सरकार में मंत्री बने पशुपति कुमार पारस को आवंटित करने की तैयारी थी मगर पारस ने इस बंगले में जाने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि वे बड़े भाई रामविलास पासवान के पर्याय की तरह रहे इस आवास में रहने के इच्छुक नहीं हैं। उनके मुताबिक यहां रहने के दौरान मुझे हर वक्त अपने बड़े भाई की कमी महसूस होगी।

सूत्रों के मुताबिक पारस ने काफी सोच समझकर यह फैसला लिया है क्योंकि उनके इस बंगले में रहने से चिराग उसका सियासी फायदा उठाने की कोशिश भी कर सकते थे। इसके जरिए उन्हें बिहार के लोगों की सहानुभूति भी हासिल हो सकती थी। ऐसे में पारस ने पहले ही इस बंगले में रहने से इनकार कर दिया है।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी दस जनपथ में रहती हैं और उनके आवास के पास ही लुटियन जोन में 12 जनपथ का यह आलीशान बंगला स्थित है। मोदी सरकार के कई मंत्रियों की नजर इस बंगले पर लगी हुई है। इन मंत्रियों में बिहार के आरसीपी सिंह का नाम भी शामिल है जिन्हें हाल में जदयू कोटे से मोदी सरकार में शामिल किया गया है।

चिराग को लगातार लग रहे झटके

लोजपा में पांच सांसदों की बगावत के बाद चिराग पासवान इन दिनों अपनी सियासी साख बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। लोजपा पर प्रभुत्व की लड़ाई में चाचा पशुपति पारस ने चिराग को जबर्दस्त झटका दिया है। पांच सांसदों के साथ अलग गुट बनाने के बाद पारस गुट को लोकसभा स्पीकर की ओर से भी मान्यता मिल चुकी है।

स्पीकर के फैसले के खिलाफ चिराग की याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से भी खारिज किया जा चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पशुपति पारस को अपनी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाकर चिराग को और बड़ा झटका दिया है। अब उन्हें उस बंगले से भी बेदखल करने की तैयारी है जिसके साथ चिराग और उनके पिता की काफी यादें जुड़ी हुई हैं।

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